चीफ हसन नसरुल्ला पर हमले के लिए पूरी तैयारी के साथ योजना बनाई और सटीक निशाने के साथ सफलतापूर्वक मिशन को अंजाम दिया। इजरायली हमले से जुड़ी और भी कई अहम जानकारी अब सामने आ रही हैं जैसे कि इजरायल ने हमला करने के लिए अमेरिका के लड़ाकू विमान एफ-35 का उपयोग किया। पढ़ें इससे जुड़ी और भी डिटेल्स।
रॉयटर्स। विश्व के सबसे बड़े गैर सरकारी सशस्त्र संगठन हिजबुल्ला के प्रमुख सैयद हसन नसरुल्ला की इजरायल के हवाई हमले में मौत हो गई है। नसरुल्ला की मौत शुक्रवार देर शाम बेरूत के उपनगर दाहिये स्थित हिजबुल्ला के मुख्यालय पर इजरायल के हमले में हो गई थी, लेकिन उसकी पुष्टि शनिवार को हुई है।
पहले इजरायली सेना ने कहा, 'हमने आतंकी संगठन हिजबुल्ला के नेता को मार डाला है, वह पूरी दुनिया के लिए खतरा था।' इसके कुछ घंटे बाद हिजबुल्ला ने भी मान लिया कि उसका नेता अब इस दुनिया में नहीं है। नसरुल्ला का मारा जाना ईरान और उसके सहयोगी देशों-संगठनों के लिए बड़ा झटका है।
ईरान के सुर कमजोर
ईरान ने बदला लेने का एलान किया है लेकिन उसके सुर कमजोर हैं। नसरुल्ला के मारे जाने के बाद ईरान ने अपने सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई को अज्ञात स्थान पर भेज दिया है। महज दो महीने में हिजबुल्ला के पूरे नेतृत्व को खत्म कर देना इजरायल की बड़ी सफलता है।
80 टन वजनी बम से 20 मीटर नीचे बना बंकर बर्बाद
पता चला है कि इजरायल ने अत्याधुनिक अमेरिकी लड़ाकू विमान एफ-35 से हिजबुल्ला के मुख्यालय पर हमला किया था। इससे छोड़े गए 80 टन वजनी बम से भूतल से 20 मीटर नीचे बने बंकर में बैठे नसरुल्ला और ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड के उप प्रमुख की मौत हुई।
एक-एक कर खत्म किया हिजबुल्ला का नेतृत्व
हिजबुल्ला के खात्मे की शुरुआत 30 जुलाई को लेबनान में लक्षित बमबारी में सीनियर कमांडर फुआद शुकर के मारे जाने से हुई थी। इसके बाद 20 सितंबर को बेरूत के इसी दाहिये उपनगर में इजरायल के हमले में हिजबुल्ला के सैन्य प्रमुख इब्राहीम अकील समेत दर्जन भर से ज्यादा कमांडर मारे गए।
बीते गुरुवार (26 सितंबर) को हिजबुल्ला का ड्रोन कमांडर मुहम्मद हुसैन सुरूर मारा गया और शुक्रवार को हिजबुल्ला का सबसे बड़ा नेता नसरुल्ला मारा गया। नसरुल्ला हिजबुल्ला के संस्थापक सदस्यों में से एक था। ईरान द्वारा 1982 में गठित हिजबुल्ला की कमान 1992 में नसरुल्ला के हाथ आई थी, तब उसकी उम्र केवल 32 वर्ष थी।
2006 में इजरायली सेना को हटाया था पीछे
इसके बाद नसरुल्ला ने अपने संगठन में नई जान फूंकी और उसे दुनिया का सबसे बड़ा और शक्तिशाली संगठन बना दिया। इसी का नतीजा था कि 2006 के युद्ध में हिजबुल्ला ने दक्षिणी लेबनान से इजरायली सेना को पीछे हटने को मजबूर कर दिया था।
आठ अक्टूबर, 2023 को हमास के समर्थन में इजरायल पर राकेट और ड्रोन का हमला शुरू करने से पहले हिजबुल्ला के पास करीब 50 हजार लड़ाकों की ताकत और करीब सवा लाख मिसाइलों और बड़े रॉकेटों का जखीरा माना जा रहा था।
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