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Varalakshmi Vrat की कथा के पाठ से दूर होगी आर्थिक समस्या, खुशियों से भर जाएगा आपका जीवन

हर साल सावन माह के अंतिम शुक्रवार को वरलक्ष्मी व्रत  किया है। यह पर्व मां लक्ष्मी को समर्पित है। धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत को करने से साधक को जीवन में आर्थिक समस्या से मुक्ति मिलती है और कथा का पाठ करने से व्यापार क्षेत्र में आ रही बाधाएं दूर होती हैं। चलिए इस लेख में जानते हैं वरलक्ष्मी व्रत से जुड़ी जानकारी।

 सनातन धर्म में धन की देवी मां लक्ष्मी को शुक्रवार का दिन समर्पित है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन सुबह स्नान कर मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही जीवन में सुख-समृद्धि में वृद्धि के लिए व्रत भी किया जाता है। सावन के अंतिम शुक्रवार को वरलक्ष्मी व्रत करने का विधान है। इस वर्ष वरलक्ष्मी व्रत 16 अगस्त (Varalakshmi Vrat 2024 Date) को है। माना जाता है कि व्रत की पूजा के दौरान कथा का पाठ न करने से साधक शुभ फल की प्राप्ति से वंचित रहता है। इसलिए व्रत कथा का पाठ जरूर करें। ऐसा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी और घर में खुशियों का आगमन होगा। आइए पढ़ते हैं वरलक्ष्मी व्रत की कथा।  

वरलक्ष्मी व्रत 2024 डेट और शुभ मुहूर्त 

पंचांग के अनुसार, सावन का अंतिम शुक्रवार 16 अगस्त को है। इसी दिन वरलक्ष्मी व्रत किया जाएगा।

सिंह लग्न पूजा मुहूर्त- सुबह 05 बजकर 57 मिनट से लेकर 08 बजकर 14 मिनट तक।

वृश्चिक लग्न पूजा मुहूर्त- दोपहर 12 बजकर 50 मिनट से लेकर दोपहर 03 बजकर 08 मिनट तक।

कुंभ लग्न पूजा मुहूर्त- शाम 06 बजकर 55 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 22 मिनट तक।

वृषभ लग्न पूजा मुहूर्त-रात 11 बजकर 22 मिनट से लेकर मध्य रात्रि 01 बजकर 18 मिनट तक।

वरलक्ष्मी व्रत कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन समय में मगध नाम ककराज्य था। इस नगर में चारुमति के नाम की एक महिला रहती थी। वह अपने ससुर-सास और पति की जिम्मेदारियों को निभाती थी। लावा मां लक्ष्मी की भक्ति करती थी। एक बार ऐसा हुआ कि रात को चारुमति के सपने में आकर दूसरों के दर्शन दिए और सावन माह की पूर्णिमा से पहले शुक्रवार को वरलक्ष्मी का व्रत रखने की सलाह दी। इसके पश्चात चारुमति ने शुक्रवार को विधिपूर्वक मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की और व्रत किया।

पूजा समापन के बाद कलश की परिक्रमा कर रही थी, तो उस दौरान उसके शरीर पर सोने के आभूषण सजने लगे थे। इसके अलावा उस महिला को धन की प्राप्ति हुई। इसके बाद चारुमति बेहद प्रसन्न हुई और इस व्रत की विधि को दूसरी नारियों को बताया। नगर की सभी महिलाओं ने वरलक्ष्मी व्रत रखा। मान्यता है कि इस व्रत को करने से उन्हें आर्थिक समस्या से मुक्ति मिली।  

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