Haryana Weather Update: भारी वर्षा से घग्गर नदी का बढ़ा जलस्तर, हरियाणा के गांवों में बाढ़ का खतरा
घग्गर नदी का जलस्तर बढ़ने से सोम और मारकंडा के आसपास बसे गांवों में बाढ़ जैसे हालात बन गए थे। इससे किसानों की खेती भी प्रभावित है वहीं प्रदेश में मौसम विभाग ने 16 अगस्त तक भारी वर्षा का अनुमान जताया है। इससे नदी-नालों का जलस्तर बढ़ सकता है। प्रशासन ने लोगों को सतर्क रहने की हिदायत जारी की है।
पानीपत। शिवालिक की पहाड़ियों में हुई भारी वर्षा से घग्गर नदी का जलस्तर बढ़ना शुरू हो गया है। जलस्तर में एकाएक बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। सोमवार सुबह घग्गर में पानी का बहाव 300 क्यूसेक था, लेकिन मंगलवार को यह बढ़कर 2500 क्यूसेक तक पहुंच गया है। ऐसे में 24 घंटे में पानी का बहाव आठ गुना बढ़ गया है।
कई इलाकों में बढ़ा बाढ़ का खतरा
पंजाब, हरियाणा व हिमाचल प्रदेश से वर्षा का पानी घग्गर नदी के जरिये फतेहाबाद के जाखल और सिरसा के क्षेत्र में पहुंचना शुरू हो गया है। वहीं, यमुनानगर के साढौरा के पास से गुजर रही सोम नदी और कुरुक्षेत्र के शाहबाद से गुजर रही मारकंडा नदी का जलस्तर अब घट गया है।
सोम और मारकंडा के आसपास बसे गांवों में बाढ़ जैसे हालात बन गए थे और यहां पर खेतों में फसलों को नुकसान हुआ है। मौसम विभाग ने 16 अगस्त तक वर्षा का अनुमान जताया है।
ऐसे में अगर तेज वर्षा होती है तो नदियां फिर से उफान पर आ सकती है। प्रशासन ने लोगों को सतर्क रहने की हिदायत जारी की है।
पिछले दो दिनों से रुक-रुककर हो रही वर्षा से धान सहित सब्जियों की फसल को फायदा है। इस वर्षा से लोगों को गर्मी से भी राहत मिल रही है, हालांकि वर्षा कम हो रही है। राजौंद में सबसे ज्यादा तो सीवन व गुहला में सबसे कम वर्षा हुई है। इस साल जिले से इंद्र देव शुरु से नाराज ही चल रहे हैं।
जुलाई व जून में हुई कम बारिश
जून-जुलाई माह में पिछले साल की तुलना में इस बार 51 प्रतिशत वर्षा कम हुई तो अभी तक अगस्त में पिछले साल की तुलना में ही यह 70 प्रतिशत तक कम है।
किसानों ने बताया कि जुलाई व जून माह में काफी कम वर्षा हुई है, जिस कारण धान का सीजन इस बार प्रभावित हुआ है। इसका असर उत्पादन पर भी पड़ेगा। किसान सतनारायण, मुकेश व लखविंद्र ने बताया कि वर्षा न होने के कारण दोबारा से किसानों को धान की रोपाई करनी पड़ी।
अब अगस्त माह में वर्षा हो रही है, इससे धान की फसल को फायदा हुआ है। इस बार जिले में एक लाख 65 हजार हेक्टेयर में धान की फसल किसानों ने लगाई है।
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