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कनीना में भगवती देवी का निधन होने पर सीमा पर तैनात उनके दो पोते विकास और अविनाश अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो सके। दोनों ने देश की रक्षा को प्राथमिकता दी। विकास एयरफोर्स में और अविनाश सीआरपीएफ में हैं। उन्होंने अपनी दादी को ड्यूटी स्थल से ही श्रद्धांजलि दी और कहा कि सीमा की रक्षा करना उनका पहला कर्तव्य है।

कनीना। मातृभूमि को अपनी जननी मां से भी बढ़कर मानने वाले दो सपूतों ने अपनी दादी मां को भारत माता की रक्षा करते हुए ही हुए श्रद्धांजलि दी।

बता दें कि दादी के निधन के बाद दोनों पोते उन्हें कंधा देने के लिए भी नहीं पहुंच सके। उन्होंने कहा कि हम सीमा पर पहरा दे रहे हैं और इस मां की रक्षा करना हमारा पहला कर्तव्य है।

कनीना के वार्ड एक निवासी 90 वर्षीय भगवती देवी का निधन शनिवार को हो गया था और उनके दोनों पोते सीमा का पहरा दे रहे थे। सीमा पर पहरा दे रहे विकास यादव 2019 में एयरफोर्स में भर्ती हुए थे और कच्छ भुज में तैनात हैं। एक माह पहले घर आए थे, अपनी मां से मिलने के बाद वापस तैनाती पर चले गए थे।

परिजनों ने दोनों को फोन पर दी जानकारी 

वहीं, दूसरा पौत्र अविनाश यादव जो 2018 में सीआरपीएफ में भर्ती हुआ था और श्रीनगर में कार्यरत है। 15 दिनों पहले उनके पुत्र हुआ था तो वो घर आए थे परंतु सीमा पर तनाव होने के कारण उन्हें वापस जाना पड़ा। शनिवार को जब उनकी दादी का निधन हो गया तो उनके परिजनों ने दोनों को फोन पर जानकारी दी।

उन्होंने अपने ड्यूटी स्थल से ही दादी मां को श्रद्धांजलि दी और आने से मना कर दिया और बताया कि अभी सीमा की रक्षा करना बहुत जरूरी है। जब हालात सामान्य होंगे तभी वह घर लौट कर आएंगे।

उल्लेखनीय है कि दोनों के पिता सुरेश कुमार सीआरपीएफ में कार्यरत थे और हृदयगति रुकने से 1999 में उनका देहांत हो गया था। तब से उनकी इच्छा थी कि वह भी देश सेवा करें और एक दिन उनका सपना पूर्ण हो गया।

हालांकि, दादी भगवती देवी को मुखाग्नि उनके पुत्र और पौत्र प्रकाश, दिनेश, आकाश, हर्ष यादव आदि ने दी लेकिन पौत्र अविनाश और विकास ने तैनाती स्थल से ही श्रद्धासुमन अर्पित किये।