
बिहार में 94 शत्रु संपत्तियों में से केवल 19 की ही जमाबंदी हो पाई है। सरकार ने शत्रु संपत्तियों को अपने नाम करने और नीलाम करने की योजना बनाई है। देशभर में 13 हजार से अधिक शत्रु संपत्तियों की पुष्टि हो चुकी है जबकि 9 हजार से अधिक संपत्तियों को शत्रु संपदा घोषित करने की प्रक्रिया चल रही है।
मुजफ्फरपुर। देशभर में फैली शत्रु संपदा (Enemy Property In India) को पूर्ण रूप से नियंत्रण में लेने की गृह मंत्रालय ने रणनीति बनाई है। घोषित की जा चुकी ऐसी संपत्ति को सरकार अपने नाम से करते हुए नीलामी करेगी। साथ ही, इस तरह की जहां भी संपत्ति है उसकी पहचान कर कब्जे में लेगी। पिछले वर्ष 12 दिसंबर को गृह मंत्रालय के पदाधिकारियों की समीक्षा बैठक के बाद आगे की रणनीति पर निर्णय लिया गया है।
समीक्षा में यह बात सामने आई कि देश के 20 राज्यों एवं तीन केंद्र शासित प्रदेशों में शत्रु संपदा है। इनमें से कई राज्यों में अभी और ऐसी संपत्ति की जानकारी मिलने के बाद उसे शत्रु संपदा घोषित की जानी है। साथ ही, पूर्व से जो संपत्ति शत्रु संपदा घोषित की जा चुकी है, उसकी जमाबंदी सरकार के नाम से नहीं हो सकी है।
बिहार में शत्रु संपत्तियों की जमाबंदी में देरी, सरकार ने कसी कमर
बिहार में 94 शत्रु संपदा घोषित हो चुकी हैं, मगर इनमें से 19 की ही जमाबंदी हो सकी है। अभी 75 की जमाबंदी की जानी है। इसे देखते हुए सभी राज्य सरकारों से इन संपत्तियों के बारे में विस्तृत जानकारी मांगी गई है। इसमें बताया जाना है कि घोषित की जा चुकी शत्रु संपत्तियों की जमाबंदी (म्यूटेशन) की गई या नहीं।
इसकी खरीद- बिक्री पर रोक, जिलास्तरीय मूल्यांकन समिति द्वारा मूल्यांकन, अतिक्रमण हटाए जाने को लेकर क्या कदम उठाए गए। घोषित संपत्ति का मूल्यांकन किए जाने के बाद उसकी नीलामी की जानी है।
सभी जिलों के समाहर्ता पदेन डिप्टी कस्टोडियन राज्यों को गृह मंत्रालय की बैठक की भेजी गई कार्यवाही के अनुसार सभी जिलों के समाहर्ता को पदेन डिप्टी कस्टोडियन (डीसीईपी), एसडीएम को सहायक कस्टोडियन (एसीईपी) और तहसीलदार या इसके समकक्ष को इंस्पेक्टर (आइईपी) बनाया गया है। इस सक्षम प्राधिकार के स्तर से ही सारी प्रक्रिया पूर्ण की जानी है।
समीक्षा में यह बात सामने आई कि राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में 13 हजार से अधिक ऐसी संपत्ति की पुष्टि हो गई है। इसके अलावा नौ हजार से अधिक ऐसी संपत्ति को शत्रु संपदा घोषित करने की कार्रवाई प्रक्रियाधीन है। सबसे महत्वपूर्ण इन संपत्तियों को चिह्नित करना है।
देश में सबसे अधिक ऐसी संपत्ति की त्रिपुरा में होने की जानकारी मिली है। इस राज्य में ऐसी पांच हजार, 971 संपत्ति है। उत्तर प्रदेश और बंगाल में सर्वाधिक शत्रु संपदा घोषित हो चुकी हैं। उत्तर प्रदेश में पांच हजार, 709 और बंगाल में चार हजार, 376 ऐसी संपत्ति है। इसे पूर्ण रूप से कब्जे में लेकर नीलामी की जानी है।
कई जिले में एक भी शत्रु संपदा की नहीं हो सकी दाखिल-खारिज
प्रदेश में गया की स्थिति सबसे बेहतर है। यहां घोषित आठ शत्रु संपदा में से सभी की जमाबंदी कर दी गई है। कटिहार में भी स्थिति ठीक है। यहां 17 में से सात की जमाबंदी हो गई है। सबसे अधिक ऐसी संपत्ति समस्तीपुर में है। यहां 54 शत्रु संपदा हैं। इनमें से महज चार का ही दाखिल-खारिज की जा सकी है। इसके अलावा खगड़िया, मुजफ्फरपुर, पटना में एक भी शत्रु संपदा की दाखिल-खारिज नहीं हो सकी है। यहां क्रमश: चार, सात और चार ऐसी संपत्ति है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय की समीक्षा बैठक के बाद राज्य के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के सचिव ने सभी संबंधित जिलों के समाहर्ता को निर्देशित किया है। इसमें शत्रु संपत्ति अधिनियम 1968 के प्रविधानों का अनुपालन करते हुए रिपोर्ट मांगी है। सचिव ने पत्र में यह भी जानकारी दी है कि इन जिलों में 140 और शत्रु संपदा का पता चला है। इसके आगे की प्रक्रिया को पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं।
बिहार में शत्रु संपदा की स्थिति
जिला
घोषित शत्रु संपदा
दाखिल-खारिज
लंबित
प्रक्रियाधीन शत्रु संपदा
गया
8
8
0
0
कटिहार
17
7
10
1
खगड़िया
4
0
4
0
मुजफ्फरपुर
7
0
7
5
पटना
4
0
4
65
समस्तीपुर
54
4
50
27
बेगूसराय
0
0
0
12
दरभंगा
0
0
0
13
जहानाबाद
0
0
0
3
नालंदा
0
0
0
3
नवादा
0
0
0
2
सिवान
0
0
0
1
वैशाली
0
0
0
8
कुल
94
19
75
140
देश भर में शत्रु संपदा का विवरण (दिसंबर, 2024 तक)
राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेश
घोषित शत्रु संपदा
प्रक्रियाधीन
उत्तर प्रदेश
5709
1572
उत्तराखंड
51
54
राजस्थान
13
83
हरियाणा
71
2
महाराष्ट्र
430
43
गोवा
244
16
मध्य प्रदेश
148
128
आंध्र प्रदेश
46
0
गुजराज
127
92
कर्नाटक
38
14
केरल
68
92
तमिलनाडु
66
0
तेलंगाना
234
12
असम
29
0
बिहार
94
140
छत्तीसगढ़
78
5
झारखंड
10
5
मेघालय
53
0
त्रिपुरा
500
5971
बंगाल
4376
782
दिल्ली
661
358
दमन एवं दीव
4
0
अंडमान एवं निकोबार
2
0
कुल
13052
9369
यह है शत्रु संपदा
शत्रु संपत्ति अधिनियम 1968 के अनुसार शत्रु संपदा पर भारत सरकार का अधिकार होगा। पाकिस्तान से 1965 में हुए युद्ध के बाद 1968 में शत्रु संपत्ति (संरक्षण एवं पंजीकरण) अधिनियम पारित हुआ था।
इस अधिनियम के अनुसार जो लोग 1947 के बंटवारे या 1965 में और 1971 की लड़ाई के बाद पाकिस्तान चले गए और वहां की नागरिकता ले ली थी, उनकी सारी संपत्ति 'शत्रु संपत्ति' घोषित कर दी गई। चीन से 1962 के युद्ध के बाद भी इस देश की नागरिकता लेने वालों की संपत्ति भी शत्रु संपदा घोषित हो गई।
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