भूल भुलैया 3 (Bhool Bhulaiyaa 3) में मंजुलिका की बहन का किरदार निभाने वालीं माधुरी दीक्षित (Madhuri Dixit) काफी चर्चा में हैं। हॉरर मूवी में एक्ट्रेस की एंट्री ने बवाल मचा दिया है। अब दैनिक जागरण के साथ बातचीत में माधुरी दीक्षित ने अपनी डेब्यू फिल्म से लेकर जिंदगी में डर को लेकर खुलकर बात की है।
फिल्म ‘अबोध’ से अभिनय करियर की पारी का आगाज करने वाली माधुरी दीक्षित (Madhuri Dixit) ने इंडस्ट्री में चार दशक का सफर पूरा कर लिया है। सबसे नवीन प्रस्तुति के रूप में वह फिल्म ‘भूल भुलैया 3’ में नजर आईं। माधुरी दीक्षित ने अपने सफर, इस दौरान आए बदलावों और ‘भूल भुलैया 3’ में डांस को लेकर अपने जज्बात को लेकर बात की है
आज की माधुरी ‘अबोध’ की माधुरी से क्या कहना चाहेंगी?
(अपनी मनमोहक मुस्कान के साथ) जब मैं ‘अबोध’ कर रही थी तब मैं बिल्कुल अबोध (नासमझ) थी। मुझे कोई अनुमान नहीं था कि मैं इस इंडस्ट्री में 40 साल पूरे कर पाऊंगी। ‘अबोध’ मैंने कर ली थी क्योंकि मेरी दिलचस्पी एक्टिंग में थी और मुझे काम करने का प्रस्ताव भी मिल गया था। अभी कई साल काम करना है। वास्तव में मुझे खुद को सलाह देने की जरूरत ही नहीं पड़ी, क्योंकि मां मेरे साथ हरदम रहती थीं। हर सलाह जो मैं अपने आप को दूंगी, मम्मी वो तब ही दे चुकी थीं।
आप प्रशिक्षित डांसर भी हैं। यह आपकी अभिनय कला में मददगार रहा?
मैंने तीन साल की उम्र से डांस सीखना शुरू किया था। अभिनय डांस का एक हिस्सा होता है, जो कथक नृत्य में होता है। उसने बहुत मदद की क्योंकि भारतीय सिनेमा में नाच-गाना तो करना ही पड़ता है। चाहे वैजयंती माला जी हों या पद्मनी रामचंद्रन जी (अभिनेत्री और भरतनाट्यम डांसर), इतने सारे डांसर रह चुके हैं
मगर ऐसा कोई सोचा-समझा प्रयास नहीं था। पहले बालीवुड का डांस थोड़ा अलग लगता था, लेकिन जब कोरियोग्राफर के साथ काम किया तो उनसे कैमरे के सामने डांस करना सीखा। मैं हमेशा से जिंदगी में कुछ ऐसा करना चाहती थी, जो लोगों को याद रहे। भले ही एक्टिंग हो या डांस। वैसा ही, जैसे मैं सरोज जी (दिवंगत कोरियोग्राफर सरोज खान) से कहती थी कि लोग हमेशा आपका डांस याद रखेंगे।
फिल्म ‘देवदास’ के गाने ‘डोला रे डोला’ और ‘भूल भुलैया 3’ के ‘आमी जे तुमार 3.0’ के अनुभव किस प्रकार अलग रहे?
दोनों ही अनुभव बहुत अच्छे रहे। यह गाना आइकॉनिक है। जब मुझे इसका हिस्सा बनने का मौका मिला वो भी विद्या बालन के साथ तो मुझे लगा कि मजा आएगा। उनका भरतनाट्यम और मेरा कथक है। उस तरह से दोनों का डांस का प्रारूप अलग है।
जिंदगी में ऐसे कौन से डर रहे जो वक्त के साथ दूर हुए?
पहले डर रहता है कि लोग मुझे बतौर कलाकार स्वीकार करेंगे या नहीं। एक बार जब लोगों ने स्वीकार कर लिया तो यह डर रहता है कि अगली बार जब मैं काम करूंगी तो लोगों को कैसे प्रभावित करूंगी? मेरी फिल्म पसंद आएगी या नहीं तो स्वीकृति का वह डर हमेशा रहा है।
फिर जब आलोचनाएं होती हैं तो उसे कैसे लेती हैं?
मैं खुद अपनी आलोचक हूं। मेरे लिए हर परफार्मेंस को सर्वश्रेष्ठ करना जरूरी है। बाकी आलोचना तो होगी ही। कई बार तो लोगों ने काम देखा भी नहीं होता और आलोचना कर देते हैं। कभी-कभी आलोचना सकारात्मक होती है। जहां सकारात्मकता होगी वहां नकारात्मकता भी होगी, लेकिन आपको उससे सीखना और आगे बढ़ना है। मैंने हमेशा यही किया।
‘भूल भुलैया 3’ में आप कार्तिक आर्यन के साथ हैं। तब और अब के कलाकारों की कार्यशैली में किस प्रकार का बदलाव देखती हैं?
मुझे लगता है कि हमने जब शुरुआत की थी तो बहुत सिंपल था कि एक फिल्म करनी है। फिर अगली फिल्म करनी होगी। कभी प्रीमियर हो गया तो हो गया। गिनी-चुनी फिल्मी पत्रिकाएं थीं, तो उनसे बात हो जाती थी। अभी तो इंटरनेट मीडिया की वजह से सब जटिल हो गया है। अब आपको रील भी बनानी हैं, तस्वीरें भी डालनी हैं, क्योंकि आपके प्रशंसक की उसमें दिलचस्पी है। वैसे मुझे भी रील बनाने में बहुत मजा आता है। अब प्रशंसकों से सीधे बात करने का जरिया है जो पहले नहीं था। अब मुझे कुछ कहना है तो अपने इंटरनेट मीडिया अकाउंट पर सीधे बात रख सकती हूं।
अब बहुत सारी महिलाएं फिल्म इंडस्ट्री में शीर्ष भूमिकाओं में आ रही है। इससे अभिनेत्रियों की स्थिति कितनी बदली है?
अच्छा है न। इसके लिए ही हमने काम किया है। जब मैंने ‘बेटा’ या ‘मृत्युदंड’ की थी तब हम सशक्त महिला पात्रों की ओर देख रहे थे। आज जब मैं देखती हूं अभिनेत्रियां केंद्रीय भूमिकाओं में हैं, वह खुद का प्रोडक्शन हाउस चला रही हैं, अपनी फिल्में बना रही हैं तो यह शानदार है। उन्हें लेकर गर्व की अनुभूति होती है। मैं चाहूंगी कि उन्हें और ताकत मिले।
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