भारत और चीन के बीच LAC पर पैट्रोलिंग को लेकर नई सहमति बन गई है। विदेश मंत्रालय ने सोमवार को एक बयान जारी कर इसकी जानकारी दी है। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय वार्ता के सवाल पर विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा पिछले कई हफ्तों से भारत और चीन के बीच राजनयिक और सैन्य वार्ता हो रही है।
भारत और चीन के बीच LAC पर पैट्रोलिंग को लेकर नई सहमति बन गई है। विदेश मंत्रालय ने सोमवार को बयान जारी कर इसकी जानकारी दी। यह समझौता ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से पहले हुआ है जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग भाग लेंगे।
कथित तौर पर यह समझौता देपसांग और डेमचोक इलाकों में पेट्रोलिंग से संबंधित है। जानकारी के मुताबिक संघर्ष के इन दोनों बिंदुओं (देपसांग और डेमचोक) पर पेट्रोलिंग शुरू हो चुकी है और जल्द ही दोनों देश अपने सैनिकों को पीछे हटाना शुरू कर देंगे, जिसे मिलिट्री टर्म में डिसइंगेटमेंट कहते हैं।
चीन और भारत के बीच कई हफ्तों से हो रही सैन्य वार्ता
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय वार्ता के सवाल पर विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा, पिछले कई हफ्तों से भारत और चीन के बीच राजनयिक और सैन्य वार्ता हो रही है।
उन्होंने कहा, चीन के साथ एलएसी के मुद्दों पर हमारा समझौता हुआ है। सैनिकों की वापसी और स्थिति के समाधान के लिए पैट्रोलिंग की व्यवस्था की गई है। द्विपक्षीय मुद्दे पर हम अभी भी समय और व्यस्तताओं के अनुरूप काम कर रहे है
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के लिए प्रधानमंत्री मोदी की रूस यात्रा से पहले विशेष मीडिया ब्रीफिंग को संबोधित करते हुए कहा कि चीनी वार्ताकारों के साथ चर्चा के परिणामस्वरूप भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर पैट्रोलिंग व्यवस्था पर सहमति बन गई है।
उन्होंने कहा कि इससे सैनिकों की वापसी हो रही है और अंततः 2020 में पूर्वी लद्दाख में चीनी सेना की कार्रवाई के बाद उत्पन्न मुद्दों का समाधान हो रहा है।
भारत-चीन के बीच पैट्रोलिंग व्यवस्था को लेकर हुई सहमति
उन्होंने कहा, जैसा कि पहले बताया गया, हम डब्ल्यूएमसीसी के माध्यम से चीनी वार्ताकारों के साथ चर्चा कर रहे हैं और सैन्य स्तर पर तथा विभिन्न स्तरों पर सैन्य कमांडरों की बैठकों के माध्यम से भी चर्चा कर रहे हैं। अतीत में इन चर्चाओं के परिणामस्वरूप विभिन्न स्थानों पर गतिरोध का समाधान हुआ है। आप यह भी जानते हैं कि कुछ स्थान ऐसे थे, जहां गतिरोध का समाधान नहीं हो पाया था।
उन्होंने कहा कि अब पिछले कई हफ्तों में हुई चर्चाओं के परिणामस्वरूप भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गश्त व्यवस्था पर एक समझौता हुआ है और इससे सैनिकों की वापसी हो रही है तथा अंततः 2020 में इन क्षेत्रों में उत्पन्न मुद्दों का समाधान हो रहा है।
हालांकि ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी की द्विपक्षीय बैठकों के बारे में अभी तक कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन गश्त व्यवस्था पर सहमति प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति के बीच बैठक का मार्ग प्रशस्त कर सकती है।
विदेश मंत्रालय ने एक विज्ञप्ति में कहा, जुलाई 2024 में अस्ताना और वियनतियाने में विदेश मंत्रियों की दो बैठकों में दिए गए मार्गदर्शन के अनुसार तथा पिछले महीने हुई WMCC बैठक के आधार पर, दोनों पक्षों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर स्थिति पर खुलकर, रचनात्मक और दूरदर्शी विचारों का आदान-प्रदान किया, ताकि मतभेदों को कम किया जा सके और लंबित मुद्दों का जल्द समाधान निकाला जा सके। इसके लिए, उन्होंने कूटनीतिक और सैन्य चैनलों के माध्यम से गहन संपर्क के लिए सहमति व्यक्त की।
LAC पर शांति और सौहार्द बनाने का फैसला
इसमें कहा गया है कि दोनों पक्षों ने प्रासंगिक द्विपक्षीय समझौतों, प्रोटोकॉल और दोनों सरकारों के बीच बनी सहमति के अनुसार सीमावर्ती क्षेत्रों में जमीनी स्तर पर शांति और सौहार्द बनाए रखने का निर्णय लिया है।
विज्ञप्ति में दोहराया गया कि शांति और सौहार्द की बहाली तथा एलएसी के प्रति सम्मान द्विपक्षीय संबंधों में सामान्य स्थिति की बहाली के लिए आवश्यक आधार हैं।
डब्ल्यूएमसीसी की बैठक बीजिंग में हुई।
प्रधानमंत्री मोदी रूस की अध्यक्षता में कजान में आयोजित 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए 22 और 23 अक्टूबर को रूस का दौरा करेंगे।
'न्यायसंगत वैश्विक विकास और सुरक्षा के लिए बहुपक्षवाद को मजबूत करना' विषय पर आयोजित यह शिखर सम्मेलन नेताओं को प्रमुख वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करेगा।
विदेश मंत्रालय ने एक विज्ञप्ति में कहा कि यह शिखर सम्मेलन ब्रिक्स द्वारा शुरू की गई पहलों की प्रगति का आकलन करने तथा भविष्य में सहयोग के लिए संभावित क्षेत्रों की पहचान करने का एक मूल्यवान अवसर प्रदान करेगा।
इसमें कहा गया है कि प्रधानमंत्री मोदी के ब्रिक्स सदस्य देशों के अपने समकक्षों और आमंत्रित नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें करने की भी उम्मीद है।
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