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हरियाणा में पराली जलाने के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद हरियाणा सरकार ने किसानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए थे लेकिन मुख्यमंत्री नायब सैनी ने कहा है कि ऐसा कोई आदेश लागू नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि किसान समझदार हैं और वे पराली जलाने की बजाय फसल अवशेषों के निस्तारण के दूसरे उपायों को अपनाएंगे।

चंडीगढ़। हरियाणा और पंजाब में पराली (धान के फसल अवशेष) जलाने के आरोपितों के खिलाफ केस दर्ज नहीं करने पर सुप्रीम कोर्ट ने दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों को अगली सुनवाई पर तलब कर लिया है।

इसके बाद हरकत में आए हरियाणा के कृषि निदेशक राजनारायण कौशिक ने प्रदेश में पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराने के आदेश जारी कर दिए।

इसके साथ ही आरोपित किसानों के कृषि रिकॉर्ड में रेड एंट्री की जाएगी ताकि वे अगले दो सीजन में ई-खरीद पोर्टल के माध्यम से मंडियों में अपनी फसल न बेच सकें।

कोई आदेश लागू नहीं किया जाएगा

कैबिनेट बैठक के बाद मीडिया ने मुख्यमंत्री नायब सैनी के समक्ष यह मामला उठाया तो उन्होंने कहा कि ऐसा कोई आदेश प्रदेश में लागू नहीं किया जाएगा। प्रदेश के किसान समझदार हैं और वे पराली जलाने की बजाय फसल अवशेषों के निस्तारण के दूसरे उपायों को अपनाएंगे।

सरकार ने पराली निस्तारण के लिए कई योजनाएं बनाई हैं। किसान इन योजनाओं का लाभ उठाएं। उन्होंने कहा कि पराली प्रबंधन के लिए यदि किसी किसान को उपकरणों की जरूरत है तो वह सब्सिडी पर उपलब्ध कराए जाएंगे।

रणदीप सुरजेवाला ने लगाए आरोप

वहीं, कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और राज्यसभा सदस्य रणदीप सिंह सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि पराली जलाने वाले किसानों पर केस दर्ज करना और उनकी फसल दो साल तक नहीं खरीदना एमएसपी की गारंटी को खत्म करने की साजिश तो नहीं है। दो साल तक एमएसपी पर खरीद न करने का क्या औचित्य है। पराली न जलाने का क्या विकल्प है।

कितने किसानों को हैपी सीडर मशीन दी गई हैं। 50 प्रतिशत सब्सिडी देने के बाद भी किसान को हैपी सीडर मशीन के लिए 80 हजार रुपये देने पड़ते हैं, किसान यह पैसा कैसे देगा? हैपी सीडर मशीन के लिए 65 हार्स पावर से बड़े ट्रैक्टर की जरूरत है तो किसान इतना बड़ा ट्रैक्टर कहां से लाए।

अगर पराली में आंशिक नमी भी है तो हैपी सीडर मशीन 15-20 मीटर के बाद रुक जाती है। ऐसे में किसान क्या करे। सरकार आदेश को वापस ले, अन्यथा कांग्रेस कार्यकर्ता किसानों के साथ सड़कों पर उतरने को मजबूर होंगे।

खतरनाक स्तर पर पहुंचा प्रदूषण का स्तर

हरियाणा में प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। प्रदेश में अभी तक 700 स्थानों पर पराली जलाने के मामले सामने आ चुके हैं। कैथल, कुरुक्षेत्र और अंबाला में सर्वाधिक पराली जली है। हालांकि विशेषज्ञों की मानें तो प्रदूषण के लिए पराली से ज्यादा अन्य कारक जिम्मेदार हैं।

कारखानों और वाहनों से निकलता धुआं, निर्माण कार्यों में मानकों की अनदेखी सहित अन्य कारणों से वायुमंडल में हानिकारक तत्व घुल रहे हैं। झज्जर के बहादुरगढ़ में वायु गुणवत्ता सूचकांक 200 के पार पहुंच गया है, जबकि हिसार, कैथल, यमुनानगर, पंचकूला, चरखी दादरी और गुरुग्राम सहित अन्य कई क्षेत्रों में एक्यूआइ 175 से अधिक है।

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