कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित तीन दिवसीय अखिल भारतीय किसान मेला एवं कृषि उद्योग प्रदर्शनी के दूसरे दिन गुरुवार को अखिल भारतीय पशु प्रदर्शनी एवं प्रतियोगिता हुई। जिसमें विभिन्न श्रेणियों के कुल 73 पशुओं का पंजीकरण कराया गया। पानीपत के रहने वाले पदमश्री नरेंद्र सिंह का विधायक नाम के भैंसे ने मुर्रा नस्ल में ओवरआल चैंपियन का खिताब जीता। विधायक की कीमत नौ करोड़ रुपये इस समय है।
मोदीपुरम। कृषि विश्वविद्यालय में चल रहे तीन दिवसीय अखिल भारतीय किसान मेला एवं कृषि उद्योग प्रदर्शनी के दूसरे दिन गुरुवार को अखिल भारतीय पशु प्रदर्शनी एवं प्रतियोगिता हुई। जिसमें विभिन्न श्रेणियों के कुल 73 पशुओं का पंजीकरण कराया गया। पानीपत के रहने वाले पदमश्री नरेंद्र सिंह का विधायक नाम के भैंसे ने मुर्रा नस्ल में ओवरआल चैंपियन का खिताब जीता। विधायक की कीमत नौ करोड़ रुपये इस समय है।
कृषि विश्वविद्यालय के निदेशक प्रसार डा. पीके सिंह ने बताया कि प्रतियोगिता में 43 पशुओं ने राज्य स्तर की प्रतियोगिता और 30 पशुओं ने अखिल भारतीय स्तर प्रतियोगिता में भाग लिया। पशु सौंदर्य प्रतियोगिता में देसी एवं संकर नस्ल के सांड, देसी व संकर नस्ल की गाय, दो दांत की बछिया, दूध देने वाली गाय, मुर्रा नस्ल की भैंस, चैंपियन आफ चैंपियन समेत कुल 25 श्रेणियों की प्रतियोगिता संपन्न हुई।
देसी नस्ल श्रेणी में अर्जुन कुमार की बछिया प्रथम
अखिल भारतीय देसी नस्ल सांड में अनूपगढ़ निवासी पशुपालक विनोद की साहिवाल गाय प्रथम घोषित हुई। उत्तर प्रदेश देसी नस्ल श्रेणी में अर्जुन कुमार की बछिया प्रथम रही। इनके अलावा पशुपालक सुरेंद्र कुमार निवासी पबरसा मेरठ, अजय सिंह रोहतक हरियाणा, सुनील यादव, विशाल, निशांत कुमार के पशुओं को भी विभिन्न श्रेणी में प्रथम स्थान मिला।
मुर्रा नस्ल की भैंसो की श्रेणी में नितिन राणा, नरेंद्र, नितिन के पशुओं को प्रथम स्थान मिला। विराट, विधायक, अनमोल, प्रीता, रानी, उम्मीद, शेरू, श्रुति, मुर्रा नस्ल के पशु आर्कषण का केंद्र रहे। पशुपाल पदमश्री नरेंद्र सिंह का विधायक नाम का मुर्रा नस्ल का भैंसे को ओवरआल चैंपियन चुना गया। जिसके बाद सभी ने पदमश्री को शुभकामनाएं दी।
पशु मेले में 23 करोड़ तक का भैंसा
कृषि विश्वविद्यालय के पशु मेले में काफी महंगे पशु आए हुए है। एक भैंसे की कीमत 23 करोड़ रुपये है। इसके मालिक बताते हैं कि वह सीमेन का व्यापार करते हैं। इसी कारण उनका भैंसा महंगा है। भैंसों की नस्ल में सुधार के लिए हरियाणा सरकार नरेंद्र को पदमश्री भी दे चुकी है
अनमोल नामक भैंसे की इतनी कीमत लगना अजीब बात नहीं है। इससे पहले भी गोलू-2 के 10 करोड़ रुपये की कीमत लग चुकी है। ऐसे भैंसे सीमन के लिए प्रयोग में लाए जाते है। भैंसे की मां ने कितना दूध दिया होगा, उससे जो जींस आए हैं, वही आगे ट्रांसफर होंगे उनके बच्चों में इसको देखते हुए इसका निर्धारण किया जाता है। तीन साल की उम्र से ये सीमन के लिए तैयार हो जाते हैं। इनके सीमन से जो भैंस पैदा होती है, वह भी दूध ज्यादा देती है। -डाॅ. अमित कुमार वर्मा, प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष वेटेनरी मेडिसन विभाग कृषि विवि मोदीपुरम।
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