हर वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या तिथि पर दिवाली मनाई जाती है। इस शुभ अवसर पर धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। साथ ही पूजा होने तक व्रत रखा जाता है। धार्मिक मत है कि मां लक्ष्मी एवं भगवान गणेश की पूजा करने से धन संबंधी परेशानी दूर होती है। इस दिन मां काली की भी पूजा की जाती है।
हर वर्ष कार्तिक माह की अमावस्या तिथि को काली चौदस मनाई जाती है। इस दिन जग की देवी मां काली की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। साथ ही मनचाहा वर पाने के लिए कार्तिक माह की अमावस्या तिथि पर मां काली के निमित्त व्रत रखा जाता है। यह पर्व बिहार, बंगाल, ओडिशा और झारखंड समेत देश के कई राज्यों में धूमधाम से मनाई जाती है। धार्मिक मत है कि मां की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है। इस शुभ अवसर पर मां काली की विशेष पूजा की जाती है। आइए, काली पूजा का शुभ मुहूर्त, महत्व एवं योग जानते हैं-
काली पूजा शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह की अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर को दोपहर 03 बजकर 52 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, 01 नवंबर को संध्याकाल 06 बजकर 16 मिनट पर अमावस्या तिथि समाप्त होगी। मां काली की पूजा निशिता काल में होती है। इसके लिए 31 अक्टूबर को काली पूजा मनाई जाएगी।
काली पूजा शुभ योग
कार्तिक माह की अमावस्या तिथि के दिन प्रीति योग का संयोग बन रहा है। इस योग का निर्माण सुबह 09 बजकर 51 मिनट से हो रहा है। इसके साथ ही शिववास का भी संयोग बन रहा है। शिववास योग का संयोग दोपहर 03 बजकर 53 मिनट से हो रहा है। इस योग में शिव-शक्ति और मां काली की पूजा करने से साधक के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है।
पंचांग
सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 32 मिनट पर
सूर्यास्त - शाम 05 बजकर 36 मिनट पर
ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 49 मिनट से 05 बजकर 41 मिनट तक
विजय मुहूर्त - दोपहर 01 बजकर 55 मिनट से 02 बजकर 39 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 36 मिनट से 06 बजकर 02 मिनट तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 39 मिनट से 12 बजकर 31 मिनट तक
- Log in to post comments