हिदू धर्म में विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी का खास महत्व है। यह दिन पूरी तरह से बप्पशुभ दिन पर जो लोग भाव के साथ व्रत रखते हैं और पवित्रता के साथ पूजा-पाठ के सभी नियमों का पालन करते हैं उन्हें सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस बार विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी 21 सितंबर यानी आज मनाई जा रही है।
विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी का पर्व बेहद शुभ माना जाता है। यह हर महीने भक्ति भाव के साथ मनाया जाता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा का विधान है, जो ज्ञान, समृद्धि और बाधाओं को दूर करने में अपने भक्तों की मदद करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन गणेश जी की पूजा करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। साथ ही जीवन में आनी वाली बाधाएं समाप्त होती हैं।
इस बार विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी (Vighnaraja Sankashti Chaturth 21 सितंबर यानी आज मनाई जा रही है। वहीं, अगर आप इस शुभ दिन पर बप्पा के लिए व्रत करते हैं, तो आपको चतुर्थी व्रत कथा का पाठ जरूर करना चाहिए, क्योंकि यह व्रत तभी सफल होता है, तो आइए यहां इस कथा को पढ़ते हैं -
विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा (Ganesh Chaturthi Katha)
जिनमें से एक कथा का वर्णन हम यहां पर करेंगे। पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार नदी के तट पर माता पार्वती शिव जी के साथ बैठी थीं। तभी उन्होंने चौपड़ खेलने की इच्छा प्रकट की, लेकिन उनके अलावा कोई तीसरा नहीं था, जो चौपड़ के खेल के दौरान हार और जीत का निर्णय कर सके। इस स्थिति में भगवान शंकर ने और देवी पार्वती ने एक मिट्टी का बालक बनाया और उसमें प्राण का संचालन किया। ताकि खेल में हार-जीत का सही फैसला हो सके। इसके पश्चात पार्वती माता लगातार तीन से चार बार विजयी हुईं, लेकिन उस मिट्टी के बालक ने शिव जी को विजयी घोषित कर दिया। इससे देवी पार्वती को क्रोध आ गया और उन्होंने उस बालक को लंगड़ा बना दिया। तब बालक को अपनी गलती का अहसास हुआ और उसने माफी मांगी, लेकिन मां पार्वती ने कहा कि श्राप अब वापस नहीं लिया जा सकता।
इसलिए आप एक उपाय के जरिए इस श्राप से मुक्ति पा सकते हैं। उन्होंने कहा कि संकष्टी के दिन कुछ कन्याएं पूजन के लिए आती हैं, उनसे व्रत और पूजा की विधि पूछना। बालक ने ठीक ऐसा ही किया और उसकी पूजा से गौरी पुत्र गणेश खुश हो जाते हैं और उसकी जीवन के सभी मुश्किलों का अंत कर देते हैं। इससे बालक अपना जीवन फिर से खुशी-खुशी व्यतीत करने लगता है।
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