ऐसा माना जाता है कि महालक्ष्मी व्रत करने वाले साधक को मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त हो सकती है। मां अष्टलक्ष्मी के 8 रूपों की आराधना साधक को अगल-अगल परिणाम देती है। ऐसे में यदि आप महालक्ष्मी व्रत की पूजा के दौरान मां लक्ष्मी के केवल इन आठ नामों का जाप करते हैं तो इससे आपको धन की देवी का आशीर्वाद मिल सकता है।
हिंदू पंचांग में माना गया है कि हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से महालक्ष्मी व्रत की शुरुआत होती है। वहीं इस व्रत की समाप्ति आश्विन माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर होती है। ऐसे में महालक्ष्मी व्रत लगभग 16 दिनों तक किया जाता है। इस साल इस व्रत की शुरुआत बुधवार, 11 सितंबर से हो चुकी है, जिसका समापन मंगलवार, 24 सितंबर पर होगा।
ये हैं अष्ट लक्ष्मी के नाम -
- आदि लक्ष्मी - मां लक्ष्मी के पहले स्वरूप का नाम आदि लक्ष्मी है। लक्ष्मी जी के इस स्वरूप की पूजा-अर्चना करने से मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है।
- धनलक्ष्मी - मां लक्ष्मी के दूसरे स्वरूप को धनलक्ष्मी कहा जाता है। पुराणों में वर्णन मिलता है कि मां लक्ष्मी ने यह स्वरूप भगवान विष्णु को कुबेर के कर्ज से मुक्ति दिलाने के लिया था। ऐसे में देव के इस स्वरूप की आराधना से साधक को कर्ज से मुक्ति मिल सकती है।
- धान्यलक्ष्मी - मां लक्ष्मी के तीसरे स्वरूप का नाम धान्य लक्ष्मी है। जैसा कि नाम से ही ज्ञात होता है, मां लक्ष्मी का यह स्वरूप संसार में धान्य यानी अन्न के रूप में वास करती हैं।
- संतान लक्ष्मी - मां लक्ष्मी के चौथे स्वरूप को संतान लक्ष्मी कहा जाता है। देवी के इस रूप की आराधना से देवी भक्तों की रक्षा अपने संतान के रूप में करती हैं।
- गजलक्ष्मी - मां लक्ष्मी के पांचवें स्वरूप का नाम गज लक्ष्मी है। इस स्वरूप में मां लक्ष्मी हाथी के ऊपर कमल के आसन पर विराजमान हैं। ऐसा कहा जाता है कि मां गजलक्ष्मी की उपासना से कृषि में लाभ देखने को मिलता है।
- वीर लक्ष्मी - मां लक्ष्मी के छठे स्वरूप का नाम वीर लक्ष्मी है। माता लक्ष्मी ने इस स्वरूप में अपने हाथों में तलवार और ढाल जैसे अस्त्र-शस्त्र लिए हुए हैं। युद्ध में विजय दिलाता है।
- विजयलक्ष्मी - मां लक्ष्मी के सातवें स्वरूप का नाम विजय या जय लक्ष्मी भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि विजयलक्ष्मी की पूजा-अर्चना से जीवन के हर क्षेत्र में विजय प्राप्त होती है।
- विद्यालक्ष्मी - मां लक्ष्मी के आठवें स्वरूप का नाम विद्या लक्ष्मी है। मां लक्ष्मी के इस स्वरूप की पूजा ज्ञान, कला तथा कौशल की प्राप्ति के लिए की जाती है। साथ ही विद्यालक्ष्मी की साधना से शिक्षा के क्षेत्र में सफलता प्राप्त की जा सकती है।
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