इस मामले में हाईकोर्ट ने भागलपुर विश्वविद्यालय से डिग्री रद्द करने से जुड़े दस्तावेज मांगे थे। विश्वविद्यालय ने कोर्ट को दस्तावेज सौंप दिए हैं। दरअसल तोमर की डिग्री को फर्जी पाए जाने के बाद रद्द कर दिया था। अब हाईकोर्ट इस मामले की सुनवाई कर रहा है।
भागलपुर। दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर की लॉ (कानून) की डिग्री पूर्व में तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (टीएमबीयू) द्वारा रद्द कर दी गई थी। विश्वविद्यालय के इस निर्णय को पूर्व मंत्री ने हाइकोर्ट में चुनौती दी है।
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान यह पूछा था कि टीएमबीयू प्रशासन ने किस आधार पर उनकी डिग्री रद्द की है। कोर्ट द्वारा इससे जुड़े दस्तावेजों को कोर्ट में जमा करने का निर्देश दिया गया। इस निर्देश के बाद हाइकोर्ट के अधिवक्ता प्रतिनिधि विकास पांडेय और विकास चंद्र पांडेय बुधवार को टीएमबीयू पहुंचे थे।
अधिवक्ता प्रतिनिधि ने कुलसचिव से जितेंद्र सिंह तोमर की डिग्री रद्द करने से जुड़े सभी दस्तावेज उपलब्ध कराने की मांग की। इसके बाद टीम को सभी दस्तावेज उपलब्ध करा दिए गए।
अब वे संबंधित दस्तावेज को हाईकोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करेंगे। टीएमबीयू के कुलसचिव डॉ. विकास चंद्र ने कहा कि अधिवक्ताओं ने जिन दस्तावेज की मांग की थी, वे उन्हें उपलब्ध करा दिए गए।
क्या था मामला
आम आदमी पार्टी (आप) के नेता जितेंद्र सिंह तोमर ने दावा किया था कि उन्होंने टीएमबीयू के मुंगेर स्थित विश्वनाथ सिंह विधि कॉलेज से शैक्षणिक सत्र 1994-97 में एलएलबी की डिग्री प्राप्त की थी। उनकी डिग्री को फर्जी बताते हुए दिल्ली में भाजपा के एक नेता ने कोर्ट में याचिका दायर की थी।
जांच में उनकी लॉ की डिग्री को सही नहीं पाई गई। इसको लेकर दिल्ली के हौजखास थाने में मुकदमा दर्ज किया गया था। बाद में टीएमबीयू ने उनकी ला की डिग्री को रद्द कर दिया था।
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