जिला समाज कल्याण अधिकारी कार्यालय के एक औचक निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी ने फरियादियों से पूछा था आने का कारण। इस पर दिव्यांग युवती ने बताया कि उसे पिछले आठ महीने से पेंशन नहीं मिली है। भरण−पोषण की पेंशन 18 वर्ष पूरे होने के कारण पोर्टल पर बंद हो चुकी थी। डीएम के आदेश के बाद कर्मियों ने उसे दिव्यांग पेंशन में तब्दील किया और एकमुश्त भुगतान हुआ।
देहरादून। बेशक सरकार और उसके हर एक अंग का मुख्य काम नागरिकों की सेवा करना ही है। बावजूद इसके तमाम सरकारी कार्मिक जनता का काम इस भावना से करते हैं, जैसे उन पर एहसान कर रहे हों। खासकर कमजोर तबके के व्यक्तियों के साथ कार्मिकों का रवैया अच्छा नहीं रहता है।
हालांकि, नवनियुक्त जिलाधिकारी सविन बंसल अपनी तैनाती के बाद से ही जानता की सुविधाओं पर प्राथमिकता पर रखकर काम कर रहे हैं और समाज कल्याण विभाग में उनके औचक निरीक्षण के दौरान भी तब इस बात को देखा गया, जब उन्होंने कार्यालय में आए फरियादियों से रूबरू होकर उनकी समस्या सुनी।
आठ माह से परेशान थी दिव्यांग युवती
इसका त्वरित असर यह भी हुआ कि जिस दिव्यांग युवती को 08 माह से पेंशन नहीं मिल पा रही थी, उसे एक झटके में एकमुश्त पेंशन की राशि मिल गई। दरअसल, समाज कल्याण अधिकारी कार्यालय में रायपुर ब्लॉक के भगत सिंह कालोनी निवासी इजाजुद्दीन ने जिलाधिकारी को बताया कि उनकी दिव्यांग पुत्री फरहाना की भरण-पोषण पेंशन 08 माह से नहीं मिल पा रही है। इस व्यथा को समझते हुए जिलाधिकारी ने पेंशन की समस्या का त्वरित समाधान करने के निर्देश दिए थे।
पोर्टल पर बंद हो चुकी थी
पता चला कि भरण-पोषण पेंशन फरहाना के 18 वर्ष की उम्र पार करते ही पोर्टल से स्वतः बंद हो गई थी। अब कार्मिकों को इस पेंशन को दिव्यांग पेंशन के रूप में परिवर्तित करना था, लेकिन कार्मिकों ने इसकी जहमत नहीं उठाई और युवती के पिता भी एडियां घिसते रहे।
डीएम के संज्ञान में था मामला, तब जारी हुए रुपये
खैर, जब मामला जिलाधिकारी के संज्ञान में था तो कार्मिकों को भी अपनी मूल जिम्मेदारी का एहसास हो गया और फरहाना के खाते में 08 माह की दिव्यांग पेंशन के रूप में 12 हजार रुपए जारी कर दिए। जिलाधिकारी ने अधिकारियों को सख्त हिदायत दी है कि इस तरह के प्रकरणों का निस्तारण ब्लाक स्तर के कार्यालय से ही किया जाए।
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