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उत्तराखंड में विधानसभा उपचुनाव से पहले धामी कैबिनेट का विस्तार हो सकता है। साथ ही आलाकमान के निर्देश पर उत्तराखंड मंत्रिमंडल में फेरबदल की भी संभावनाएं व्यक्त की जा रही हैं। चर्चा है कि पितृपक्ष के शुरु होने से पहले मंत्रिमंडल का विस्तार हो सकता है। बता दें 17 सिंतबर से पितृपक्ष की शुरूआत हो रही है। 

देहरादून। पुष्कर सिंह धामी मंत्रिमंडल का जल्द विस्तार किया जा सकता है। तीन से लेकर चार नए मंत्री बनाए जा सकते हैं। यद्यपि, कहा यह भी जा रहा है कि हाईकमान के निर्देश पर फेरबदल जैसा कदम भी उठाया जा सकता है। चर्चा तो यहां तक है कि इस सबको लेकर गहन मंथन चल रहा है और पितृपक्ष शुरू होने से पहले मंत्रिमंडल विस्तार हो सकता है। पितृपक्ष 17 सितंबर से प्रारंभ होने जा रहा है।

वर्तमान में मुख्यमंत्री धामी की टीम के सदस्यों की संख्या मुख्यमंत्री समेत आठ है, जबकि संवैधानिक प्रविधान के मुताबिक यहां अधिकतम 12 सदस्यीय मंत्रिमंडल हो सकता है। वर्ष 2022 में जब लगातार दूसरी बार भाजपा सत्ता में आई, तब धामी मंत्रिमंडल में कुल नौ सदस्य शामिल किए गए और तीन स्थान रिक्त रखे गए।

पिछले वर्ष कैबिनेट मंत्री चंदन राम दास के निधन के कारण एक अन्य स्थान रिक्त हो गया। मंत्रिमंडल का आकार छोटा होने के कारण कई बार विस्तार की चर्चा चली, लेकिन अलग-अलग कारणों से यह विषय टलता रहा।

अब जबकि निकट भविष्य में राज्य में केदारनाथ विधानसभा सीट के उपचुनाव के साथ ही नगर निकाय व त्रिस्तरीय पंचायतों के चुनाव होने हैं, राजनीति के गलियारों में मंत्रिमंडल विस्तार की संभावनाएं व्यक्त की जा रही हैं

केंद्रीय नेतृत्व के साथ होनी है बैठक

पिछले दिनों भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने संकेत दिए थे कि मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर मुख्यमंत्री की अब केंद्रीय नेतृत्व के साथ एक दौर की बैठक और होनी है। इसके बाद मंत्रिमंडल विस्तार कर दिया जाएगा।

यद्यपि, मुख्यमंत्री के जब भी दिल्ली दौरे होते हैं तो मंत्रिमंडल विस्तार का विषय चर्चा के केंद्र में रहता है, लेकिन इन दिनों इस चर्चा ने फिर जोर पकड़ा है। कहा जा रहा है कि मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर मुख्यमंत्री इन दिनों गहन मंथन में जुटे हैं। पार्टी हाईकमान से हरी झंडी मिलते ही मंत्रिमंडल विस्तार किया जा सकता है

यह भी चर्चा पिछले कुछ दिनों से तेजी से चल रही है कि कुछ मंत्रियों के विभाग भी बदले जा सकते हैं। इस सबके बीच अब सभी की नजरें मुख्यमंत्री के अगले कदम पर टिक गई हैं, क्योंकि मंत्रिमंडल विस्तार उनके विशेषाधिकार का विषय है।