कान्हा के जन्मोत्सव के बाद पूरा ब्रज मंडल उनकी प्राण प्रिय शक्ति राधारानी के जन्मोत्सव में जुटा है। राधा जन्मोत्सव को लेकर बरसाना को दुल्हन की तरह सजाया है। जन्म के बाद शृंगार आरती पर राधारानी सोने-चांदी तथा हीराजड़ित पीले रंग की पोशाक धारण करेंगी। इस पोशाक की कीमत लाखों रुपये बताई जा रही है। वहीं राधारानी को लाखों रुपये के जेवरात भी धारण कराए जाएंगे।
बरसाना। कीरतसुता के जन्मोत्सव को लेकर बरसाना उत्साह और उल्लास में डूबा है। भगवान श्रीकृष्ण की आल्हादिनी शक्ति राधारानी का जन्म बुधवार को होगा। ऐसे में पूरा बरसाना रंग-बिरंगी रोशनी से सराबोर है। राधा के जन्मोत्सव का साक्षी बनने के लिए सोमवार से ही श्रद्धालु श्रीजी के धाम पहुंचने लगे।
मंगलवार को लाखों की संख्या में श्रद्धालु बरसाना पहुंचेंगे। मंगलवार को श्रीजी का उनके निज महल में जन्मोत्सव मनाया जाएगा। राधारानी के जन्मोत्सव को लेकर सोमवार से ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु बरसाना पहुंच गए। सुबह चार बजे चांदी की चौकी तथा अष्टदल कमल में राधारानी के श्रीविग्रह को विराजमानकर पंचामृत से अभिषेक होगा। इसके लिए चार सौ लीटर दूध और दही मंगाया गया है।
रात्रि दो बजे से मंगल गायन
मंगलवार की रात्रि दो बजे से मंदिर परिसर में गोस्वामी समाज द्वारा मंगल गायन किया जाएगा। मूल नक्षत्र में जन्मी राधारानी के मूल शांति के लिए गर्भगृह में सेवायतों द्वारा वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ पूजन किया जाएगा। 27 कुओं का जल, 27 वृक्ष की पत्तियां, 27 पवित्र स्थानों की मिट्टी, 27 औषधि, 27 फल, तांबे के बर्तन में तेल आदि से उनका मूल शांति किया जाएगा। यह प्रक्रिया सुबह चार बजे तक चलेगी।
राधारानी वृषभानु की दुलारी।
पीले रंग के वस्त्र धारण कराकर मंगला आरती
सुबह साढ़े पांच बजे श्रीजी को पीले रंग का वस्त्र धारण कराकर मंगला आरती की जाएगी। राधाकृष्ण आभूषण धारण कर शीश महल में भक्तों को दर्शन देंगे। बुधवार सुबह ही बधाई गाई जाएगी।
डोला पर होगी पुष्प वर्षा
लाडली जी मंदिर परिसर में बरसाना और नंदगांव के लोग एक दूसरे को बधाई देंगे। बुधवार शाम चार बजे राधारानी का डोला बैंड बाजों के साथ सफेद छतरी में नीचे लाया जाएगा। डोला पर पुष्प वर्षा होगी।
रावल में छठ पूजन आज
महावन। राधाष्टमी की पूर्व संध्या में राधारानी की जन्मस्थली रावल में छठ पूजन मंगलवार शाम सात बजे किया जाएगा। मंदिर के सेवायत पुजारी राहुल कल्ला ने बताया शाम सात बजे मंदिर परिसर में भजन संध्या के साथ छठ पूजन किया जाएगा।
बृषभानु नंदिनी से पहले जन्मीं ललिता सखी
राधारानी के आठ सखियों में सबसे प्रधान सखी ललितजी का जन्मोत्सव उनके निज गांव ऊंचागांव में सोमवार को धूमधाम से मनाया गया। ऊंचागांव ललिता सखी के जयकारों से गूंज उठा। सखियों द्वारा मंदिर परिसर में बधाई गायन किया गया। सेवायतों द्वारा अटा-अटोर पर्वत पर बने भव्य ललिता मंदिर में सोमवार दोपहर 12 बजे ललिताजी के दिव्य विग्रह का अभिषेक कराया गया। अनुराग सखी की शिष्य नंदगोपल सखी ने सोलह शृंगार कर मंदिर परिसर में बधाई गायन प्रस्तुत किया। ललिता सखी के मंदिर का निर्माण अकबर के राजस्व मंत्री टोडरमल ने श्रील नारायण भट्ट के आदेश से कराया था। करीब 478 वर्ष पहले श्रील नारायण भट्ट तमिलनाडु के मुद्रापटनम से आए थे। उन्होंने ही ललिताजी की दिव्य विग्रह का प्राकट्य किया था। दोपहर करीब 12 बजे ललिता मंदिर के सेवायतों ने ललिताजी के श्रीविग्रह का घी, दूध, दही, शहद, बूरा, केसर, जटामसी, चंदन चूरा, पंच मेवा, गुलाब जल, इत्र आदि का पंचामृत बनाकर अभिषेक कराया। मंदिर में घंटे-घड़ियाल बज उठे। ललिता सखी व राधारानी के जयकारे गूंज उठे। गुर्जर समुदाय द्वारा लोक नृत्य प्रस्तुत किया गया। इस बार ललिता सखी का 5252वां जन्मोत्सव मनाया गया। ब्रजाचार्य पीठ के पीठाधीश्वर गोस्वामी उपेंद्र नारायण भट्ट, ललिता पीठ के पीठाधीश्वर गोस्वामी कृष्णा नंद तैलंग, ब्रजाचार्य पीठ के प्रवक्ता घनश्याम राज भट्ट, दिलीप भट्ट, सर्वेश भट्ट, रोहित भट्ट मौजूद रहे।
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