हर साल भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी तिथि से गणेश महोत्सव की शुरुआत होती है। ऐसे में इस साल गणेश चतुर्थी 07 सितंबर को मनाई जाएगी। हिंदू धर्म ग्रंथों में गणेश जी से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं मिलती हैं। ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि आखिर क्यों गणेश जी ने एक छोटे से चूहे को अपने वाहन के रूप में चुना।
हिंदू धर्म में शिव जी का वाहन नंदी को माना जाता है, वहीं मां दुर्गा का वाहन शेर को माना जाता है। लेकिन वहीं गणेश जी छोटे-से चूहे पर सवार होते हैं। आपके मन में भी यह ख्याल आया होगा कि आखिर गणेश जी ने मूषक को ही अपना वाहन क्यों बनाया। दरअसल भगवान गणेश द्वारा चूहे को अपना वाहन बनाने के पीछे कई पौराणिक कथाएं मिलती हैं। तो चलिए जानते हैं इसका कारण।
मुनि वामदेव ने दिया श्राप
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार इंद्र देव के दरबार में एक क्रोंच नामक गंधर्व था। जब इंद्र का दरबार चल रहा था, तो क्रौंच हंसी ठिठोली में लगा हुआ था, जिससे दरबार में बाधा उत्पन्न होने लगी। अपनी मस्ती में मस्त क्रौंच ने मुनि वामदेव के ऊपर पैर रख दिया। इससे मुनिदेव क्रोधित हो उठे और क्रौंच को चूहा बनने का श्राप दे दिया। चूहा बनने के बाद भी वह नहीं सुधरा और उसने पराशर ऋषि के आश्रम में बहुत उत्पात मचाया
गणेश जी ने इस तरह की सहायता
चूहे के आतंक से परेशान होकर ऋषि, भगवान गणेश की शरण में पहुचे और उन्हें सारी बात बताई। तब भगवान गणेश ने उस उत्पाती चूहे को सबक सिखाने के लिए पाश फेंका, जिसमें वह फंस गया। इसके बाद वह गणेश जी से क्षमायाचना करने लगा, जिससे गणेश जी को उसपर दया आ गई और उन्होंने उसे अपना वाहन बना लिया।
मिलती है ये सीख
भगवान गणेश द्वारा एक छोटे और दुर्बल जीव को वाहन बनाना के पीछे यह भी है कि गणेश जी कमजोर और दुर्बलों पर कृपा करते हैं। यही कारण है कि एक छोटे से चूहे पर कृपा कर उन्होंने उसे अपने वाहन के रूप में स्वीकार किया। साथ ही उसे इतना प्रबल बनाया कि वह गणेश जी का भार उठा सके। साथ ही गणेश जी का चूहे को वाहन बनाना इस बात का भी संकेत है कि संसार में कभी किसी को छोटा या तुच्छ नहीं समझना चाहिए, क्योंकि हर किसी की अपनी एक उपयोगिता और क्षमता है।
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