फतेहगढ़ साहिब के सरहिंद में एक 7 दिन की नवजात बच्ची पार्क में बिलखती मिली। पार्क में टहल रहे लोगों ने बच्ची की रोने की आवाज सुनकर नजदीक जाकर देखा तो एक बच्ची कपड़ों में लिपटे हुई मिली। लोगों ने पुलिस कंट्रोल रूम को सूचित किया। पुलिस ने अस्पताल में बच्ची का चेकअप कराया तो बच्ची बिल्कुल स्वस्थ थी।
फतेहगढ़ साहिब। मां नौ माह तक तुम्हारी कोख में हर पल तुम्हें अनुभूत किया। जब आपने अपने पेट पर हाथ फेरा तो स्पर्श मेरे शरीर तक पहुंचा। आपने खाना खाया तो मेरी भूख मिटी। आपकी सांसों से मेरी सांसों की डोर बंधी थी। मेरे जरा सी तकलीफ पर आपका चैन छिन जाता।
मेरे सुकून में आपका सुकून था। जन्म के बाद आपके आंचल की छांव में दुनिया की खुशियों का अहसास हुआ। आपकी ममता ने मेरी किलकारियों की आवाज बढ़ा दी। आपकी लोरियों सुन मेरा दर्द दूर हो गया। आखिर सात दिन में ऐसा क्या हुआ कि आपने मुझे खुले आसमान तले फेंक दिया। कहीं बेटी होना तो मेरा गुनाह नहीं है...यदि ऐसा है तो मुझे जिंदगी जीने का मौका देकर तो देखती। मैं बेटे से बढ़कर आपकी खुशियों का ख्याल रखती।
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