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Pithoragarh News पिथौरागढ़ जो कभी उत्तर प्रदेश में एक दंड जिले के रूप में जाना जाता था अब उत्तराखंड राज्य के अग्रणी जिलों में से एक है। बेहतर सड़क संपर्क हवाई सेवा पर्यटन विकास चिकित्सा सुविधाओं में सुधार और उच्च शिक्षा के अवसरों ने जिले का कायाकल्प कर दिया है। हालांकि गांवों का खाली होना और सीमावर्ती क्षेत्र में जनसांख्यिकीय परिवर्तन जैसी कुछ गंभीर चुनौतियां हैं।

पिथौरागढ़। Pithoragarh News: उत्तर प्रदेश के दौर में पनिशमेंट डिस्ट्रिक्ट की श्रेणी में रखे जाने वाले पिथौरागढ़ जिला अपना राज्य बन जाने के बाद प्रदेश के अग्रणी जिलों में शामिल हो गया है। यूपी में रहते हुए पिथौरागढ़ में पोस्टिंग से बचने वाले अधिकारी आज जिले में पोस्टिंग पाने को लालायित हैं, यह जिले की बदली तस्वीर को बयां करने को काफी है।

आल वेदर से हवाई सेवा तक की सुविधा

पिथौरागढ़: जिले को पिछले 25 वर्षों में यातायात की बेहतरीन सुविधायें मिली हैंं। जिला मुख्यालय को मैदानी क्षेत्र टनकपुर से जोड़ने वाली सड़क आल वेदर सड़क के रूप में विकसित हो चुकी है। सात घंटे का सफर अब साढ़े तीन से चार घंटे में पूरा हो रहा है। देहरादून के बाद पिथौरागढ़ अकेला ऐसा जिला है, जहां से दिल्ली, देहरादून और हल्द्धानी के लिए हवाई सेवा उपलब्ध है। चीन से लगी सीमा तक सड़क बन चुकी है।

आदि कैलास और ऊं पर्वत ने देश भर में बढ़ाई पहचान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो बार पिथौरागढ़ जनपद में आ चुके हैं। दूसरी बार आदि कैलास और ऊं पर्वत क्षेत्र की उनकी यात्रा ने पूरे जिले को देश में नई पहचान दी है। आज हजारों की तादात में यात्री दर्शनों के लिए पहुंच रहे हैं। इसका लाभ पर्यटन क्षेत्र को हो रहा है। स्थानीय लोगाें को होटल, टैक्सी, होम स्टे, साहसिक खेल आदि क्षेत्रों में इसका लाभ मिल रहा है।

अगले वर्ष तैयार हो जायेगा मेडिकल कालेज

पिथौरागढ़: स्वास्थ सेवाओं के क्षेत्र में भी जिले को काफी कुछ हासिल हुआ है। बेस चिकित्सालय शुरू हो चुका है। मोस्टामानू में मेडिकल कालेज का कार्य तेजी से चल रहा है। अगले वर्ष मेडिकल कालेज शुरू हो जाने की उम्मीद है।

मेडिकल कालेज शुरू हो जाने से जिले के लोगों को विशेषज्ञ चिकित्सकों की सुविधायें मिलने लगेंगी। अभी जिले में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी के चलते मरीज हल्द्धानी, बरेली के चक्कर काटने को मजबूर हैं। जिला और महिला चिकित्सालय में भी व्यवस्थायें बेहतर हुई हैं।

इंजीनियरिंग कालेज और कैंपस की उपलब्धि भी जिले के खाते में

पिथौरागढ़: पिथौरागढ़ जनपद को उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भी काफी कुछ हासिल हुआ है। सीमांत इंजीनियरिंग कालेज जिला मुख्यालय में संचालित हो रहा है। पिथौरागढ़ महाविद्यालय को अब कैंपस का दर्जा मिल चुका है। छात्र-छात्राओं को छोटी-छोटी समस्याओं के समाधान के लिए विश्वविद्यालय के चक्कर काटने से निजात मिली है।

गांवों का खाली होना गंभीर चिंता

पिथौरागढ़: जिले को कई सुविधायें मिली हैं, लेकिन अभी कुछ समस्यायें बेहद गंभीर हैं। गांवों का खाली होना सबसे बड़ी चुनौती है। तीन दर्जन से अधिक गांव खाली हो चुके हैं। जनशून्य गांवों की संख्या भी बढ़ रही है।

गांवों के रोजगार की कमी और खेती के अलाभकारी होने से यह समस्या बढ़ रही है। युवा रोजगार के लिए पलायन कर रहे हैं। गांवों को को मत्स्य पालन, डेयरी, पुष्प उत्पादन, जडी बूटी उत्पादन, चाय उत्पादन और पर्यटन से जोड़कर समस्या का समाधान निकाला जा सकता है।

सीमांत क्षेत्र में जनसांख्यिकी बदलाव एक चुनौती

पिथौरागढ: सीमांत जिले के लोग रोजगार के लिए महानगरों का रूख कर रहे हैं, दूसरी ओर बाहरी क्षेत्रों से बडी तादात में लोग रोजगार के लिए जिले में आ रहे हैं। पिथौरागढ़ जिला मुख्यालय में पिछले एक दशक में जनसांख्यिकी में भारी बदलाव आया है। मुख्य बाजारों में फड़, खोखा और कई दुकानों में बाहरी लोग काबिज हो चुके हैं।