हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग की गलती से डी ग्रुप में भर्ती हुए 1500 युवाओं का भविष्य अधर में लटक गया है। स्पोर्ट्स कोटे से भर्ती होने के बावजूद उन्हें न तो कोई विभाग दिया गया है और न ही वेतन मिल रहा है। आठ महीने से कार्यालयों में ड्यूटी करने के बाद भी वेतन नहीं मिलने से युवा परेशान हैं।
भिवानी। कहने को तो डी ग्रुप में सरकारी नौकरी है। सुबह से सांय तक ड्यूटी भी करते हैं। मगर नौकरी रहेगी या नहीं, न ये तय है और न ही वेतन मिल रहा। यह हालत है बीते मार्च माह में डी ग्रुप में भर्ती हुए 1500 युवाओं की।
दरअसल, हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग की गलती इन भर्ती हुए 1500 युवाओं पर भारी पड़ रही है। स्पोर्ट्स कोटे में भर्ती हुए इन युवाओं को नौकरी तो दी गई, मगर अब तक न विभाग दिया है और न ही वेतन।
युवाओं को सता रहा नौकरी जाने का खतरा
अधिकारी दलील देते है कि आपके ग्रेडेशन सर्टिफिकेट की वेरिफिकेशन होगी। साथ ही 497 युवाओं को तो यह कह दिया है कि आपकी सर्टिफिकेट ग्रेडेशन 2018 से पहले की है, जो पॉलिसी के तहत मान्य नहीं है। ऐसे में इन युवाओं को नौकरी जाने का भी खतरा सता रहा है।
बीते मार्च माह में हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग की ओर से डी ग्रुप की भर्ती की गई थी। जिसमें करीब 1500 युवा स्पोर्ट्स कोटे के थे। विभागीय गलती के कारण इन्हें एक्स सर्विस मैन कैटेगरी में दिखा दिया। दैनिक जागरण ने इस समाचार को प्रमुखता से प्रकाशित किया। उस समय गलती ठीक करने की बात कही गई।
पिछले 8 महीने से कार्यालयों में कर रहे ड्यूटी
स्पोर्ट्स कोटे के तहत भर्ती होने वाले युवाओं की सर्टिफिकेट ग्रेडेशन की वेरिफिकेशन से पहले ही ज्वाइनिंग करवा दी गई। लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनावों के दौरान इनसे काम करवाया। अब ये आठ माह से प्रशासनिक अधिकारियों के कार्यालयों में ड्यूटी दे रहे हैं, मगर वेतन नहीं मिल रहा। साथ ही ग्रेडेशन सर्टिफिकेट की वेरिफिकेशन के फेर में नौकरी भी सुरक्षित नहीं।
मंत्रियों, अधिकारियों के चक्कर लगाकर परेशान
ये 1500 युवा अब मंत्रियों, नेताओं और अधिकारियों के चक्कर लगा रहे हैं। मंत्रियों से गुहार लगा रहे हैं कि उनकी नौकरी सुरक्षित कर उन्हें आठ माह का वेतन दिलाया जाए। युवा कृष्ण, अजय कुमार, रोहित, सुमेर, प्रीतम, अक्षय, सुरेंद्र, समुंद्र, जसवंत, राहुल, शक्ति सिंह ने बताया कि वे स्पोर्ट्स कोटे में भर्ती हुए।
एचएसएससी कर्मचारियों ने गलती से उन्हें एक्स सर्विस मैन की सूची में डाल दिया। लोकसभा चुनाव में प्रशासनिक अधिकारियों कार्यालयों में काम पर भेज दिया। विधानसभा चुनाव में भी कार्य किया। अब आठ महीने हो चुके हैं और अब तक वेतन नहीं दिया। वे गांवों से हैं, तो किराया लगाकर आते हैं और ड्यूटी करते हैं।
न उनकी कैटेगरी ठीक की जा रही है और न ही खेल के ग्रेडेशन सर्टिफिकेट की वेरिफिकेशन। नियमानुसार नियुक्ति से पहले ग्रेडेशन सर्टिफिकेट की जांच होती है। अब पॉलिसी का हवाला देकर कह रहे हैं कि 2018 से पहले बने ग्रेडेशन सर्टिफिकेट पॉलिसी के तहत मान्य नहीं है। आवेदन फार्मों में ऐसी कोई शर्त नहीं थी। अब तो सभी चिंतित हैं कि नौकरी भी बचेगी या नहीं। न ही यह स्पष्ट किया जा रहा है कि उन्हें वेतन कब मिलेगा।
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