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हरियाणा न्यूज़ हरियाणा विधानसभा चुनाव में हार के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ईवीएम में गड़बड़ी का आरोप लगा रहे हैं लेकिन चुनाव हारने वाले 52 उम्मीदवारों ने फैक्ट-फाइंडिंग कमेटी के सामने इस दावे को खारिज कर दिया है। अधिकांश उम्मीदवारों का कहना है कि कांग्रेस नेताओं की आपसी गुटबाजी और भितरघात के कारण पार्टी को हार का सामना करना पड़ा।

चंडीगढ़। हरियाणा के विधानसभा चुनाव में हार का ठीकरा ईवीएम पर फोड़ रहे कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के दावे को अधिकतर प्रत्याशियों ने खारिज कर दिया है। चुनाव हारने वाले 52 प्रत्याशियों ने फैक्ट फाइंडिंग कमेटी के समक्ष जूम के माध्यम से अपनी बात रखी है।

अधिकतर प्रत्याशियों का कहना है कि कांग्रेस नेताओं की आपसी गुटबाजी और ​भितरघात की वजह से हार का सामना करना पड़ा। वरिष्ठ नेताओं में तालमेल नहीं था।

पूर्व केंद्रीय मंत्री व सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा की नाराजगी भी पार्टी पर भारी पड़ने की बात कई उम्मीदवारों ने कही है।

चुनाव में हार के कारणों का पता लगाने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे तथा लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने फैक्ट फाइंडिंग कमेटी बनाई हुई है। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता वाली इस कमेटी में राजस्थान के विधायक हरीश चौधरी भी शामिल हैं।

कमेटी ने चुनाव हारने वाले सभी उम्मीदवारों से चार सवाल पूछे। इनमें चुनाव हारने की वजह, विधानसभा क्षेत्र में वरिष्ठ नेताओं द्वारा किए गए दौरों के अलावा स्टार प्रचारकों के दौरों को लेकर पूछा गया। चौथा सवाल ईवीएम की भूमिका को लेकर था।

कई सीटों पर कांग्रेस केवल बागियों की वजह से हारी चुनाव

बड़ी संख्या में उम्मीदवारों ने ईवीएम के रोल से साफ इनकार कर दिया। कई उम्मीदवारों ने दोटूक कहा, हार के लिए ईवीएम को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते। कांग्रेस की हार के पीछे पार्टी के खुद के नेता ही जिम्मेदार रहे। टिकट नहीं मिलने से बागी हुए नेताओं को मनाने के लिए गंभीरता से प्रयास नहीं हुए। कई सीटों पर कांग्रेस केवल अपने ही बागियों की वजह से चुनाव हारी।

वरिष्ठ नेताओं में तालमेल नहीं था। कुमारी सैलजा की अनदेखी का मुद्दा भी कुछ उम्मीदवारों ने कमेटी के सामने उठाया। कुछ ने कहा कि अगर कुमारी सैलजा को उकलाना से चुनाव लड़वाया जाता तो प्रदेश की 10 से 15 सीटों का फायदा उनके चुनाव लड़ने मात्र से हो सकता था। सैलजा की नाराजगी और चुनाव प्रचार से दूरी से दलित वोट बैंक में सेंध लगी।

कई उम्मीदवारों ने कहा कि जाट वोट के ध्रुवीकरण की वजह से भी कांग्रेस को नुकसान हुआ। जाट मतदाताओं के मुखर होने की वजह से दूसरी जातियों में गलत संदेश गया।

इस वजह से मतदान के एक सप्ताह पहले माहौल बिगड़ना शुरू हो गया और वोटिंग का दिन आते-आते गैर-जाट वोटर भाजपा के लिए लामबंद हो गए। इस वजह से उन सीटों पर भी कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा, जिन सीटों पर पहले दिन से कांग्रेस की जीत तय मानी जा रही थी।

भितरघात के खुले आरोप

कमेटी सदस्यों के साथ वन-टू-वन बातचीत में बरवाला, नलवा व हिसार सहित कई अन्य हलकों के प्रत्याशियों ने कहा कि टिकट कटने की वजह से कांग्रेस के ही वरिष्ठ नेता विरोध कर रहे थे।

अंदरखाने वोट भाजपा को दिलवाए। एक उम्मीदवार ने कांग्रेस के सांसद और एक ने पूर्व कैबिनेट मंत्री पर भाजपा की मदद करने के आरोप जड़ दिए हैं। कुछ ऐसे उम्मीदवार भी हैं, जिन्होंने इस बात पर सवाल उठाए हैं कि ईवीएम की बैटरी आखिर तक 99 प्रतिशत ही रही। इससे गड़बड़ की आशंका जताई जा सकती है।

स्टार प्रचारकों की सूचना नहीं

कई उम्मीदवारों ने कहा कि स्टार प्रचारकों के दौरों को लेकर प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से पूर्व में किसी तरह की सूचना नहीं दी गई। चुनाव के दौरान पार्टी नेतृत्व के नेताओं से बातचीत करना आसान था।

लेकिन प्रदेश के नेता संपर्क में नहीं आ रहे थे। कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता छोड़ने का ऐलान कर चुके पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव तो पहले ही कह चुके हैं कि नेताओं के दौरों के बारे में पहले सूचना ही नहीं दी गई।

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