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UP Politics: सत्ता से दूरी और कैडर की कमजोरी ने बदली हाथी की चाल, कांशीराम के इस सूत्र पर BSP करेगी कदमताल

अंबेडकरनगर की कटेहरी प्रथम जिला पंचायत सीट पर उपचुनाव में मिली जीत के बाद बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने दस विधानसभा सीटों पर उपचुनाव लड़ने का निर्णय किया है। राजनीति से संन्यास की खबर के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने सोमवार को कहा कि वह सक्रिय राजनीति से संन्यास नहीं ले रही हैं। बसपा के लिए अपनी अंतिम सांस तक समर्पित रहने का मेरा फैसला अटल है।

नई दिल्ली। सत्ता पाने के लिए प्रयोग करती रही बसपा ने एक बार फिर अपनी रणनीति बदली है। लंबे समय तक उपचुनावों से दूरी बनाने के बाद बसपा प्रमुख मायावती को अब यह आभास है कि 2012 में प्रदेश की सत्ता से बेदखल होने के बाद लगातार उनका कैडर कमजोर हुआ है, जिसे मजबूत करने के लिए उन्हें अब पार्टी संस्थापक कांशीराम के उसी सूत्र पर विश्वास कर कदम बढ़ाना होगा कि पार्टी जितने चुनाव लड़ेगी, उतनी ही मजबूत होगी।

अंबेडकरनगर की कटेहरी प्रथम जिला पंचायत सीट पर उपचुनाव में मिली जीत ने बसपा के रणनीतिकारों के इस विश्वास को मजबूत किया और इसी आस में पार्टी ने दस विधानसभा सीटों पर उपचुनाव लड़ने का निर्णय किया।

वोटबैंक की राजनीति

लोकसभा चुनाव में विपक्षी गठबंधन आईएनडीआईए ने संविधान को मुद्दा बनाया और वह इस विमर्श को दलित और पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं तक पहुंचाने में काफी सफल हो गए कि भाजपा संविधान को बदलना चाहती और आरक्षण संकट में है। इसका नुकसान न सिर्फ भाजपा को हुआ, बल्कि दलितों के आधार वोटबैंक की राजनीति करती रही बसपा भी अपने सबसे खराब दौर में पहुंच गई

उत्तराधिकारी पर यू-टर्न

चुनाव परिणाम के बाद समीक्षा में यही बात उभरकर आई कि बसपा को कमजोर और निष्क्रिय देखकर ही उसका वोटबैंक सपा और कांग्रेस की तरफ गया। यही कारण है कि जिन भतीजे आकाश आनंद को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर मायावती ने नेशनल को-ऑर्डिनेटर की जिम्मेदारी सौंपी थी, उन्हें चुनाव के दौरान अपरिपक्व बताते हुए पद से हटा दिया था।

 

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