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Himachal Politics News हिमाचल प्रदेश के सदस्‍यों की आवाज राज्‍यसभा और लोकसभा में खूब गूंजी। अनुराग ठाकुर हर्ष महाजन सिकंदर कुमार सुरेश कश्यप डॉ. राजीव भारद्वाज इंदु गोस्वामी और कंगना रनौत ने संसद में हिमाचल प्रदेश के मुद्दों पर सवाल उठाए। कंगना ने 18 तो अनुराग ठाकुर ने 19 प्रश्न पूछे। प्रदेश में राज्यसभा की तीन और लोस की चार सीटें हैं।

शिमला। राज्यसभा और लोकसभा में इस बार हिमाचल ने खूब प्रश्न पूछे। हिमाचल हित से संबंधित स्वास्थ्य से लेकर परमाणु व यूरेनियम संयंत्र के प्रश्न संसद में गूंजे।

हिमाचल में राज्यसभा की तीन व लोकसभा की चार सीटें हैं, इनमें सभी सदस्य भाजपा के हैं। कांगड़ा संसदीय क्षेत्र से लोकसभा सदस्य डॉ. राजीव भारद्वाज ने सर्वाधिक प्रश्न हिमाचल से संबंधित किए

सिकंदर कुमार ने राज्‍यसभा की आवाज की बुलंद

सिकंदर कुमार ने भी राज्यसभा में हिमाचल की आवाज खूब बुलंद की। सिकंदर कुमार ने राज्यसभा में कुल 27 प्रश्न किए। सांसद ने स्वास्थ्य, कपड़ा, परमाणु, सामान्य प्रशासन, जलशक्ति विभाग आदि से संबंधित प्रश्न संबंधित केंद्रीय मंत्रियों से किए। इन्होंने हिमाचल में यूरेनियम क्षमता और संयंत्रों की जानकारी भी मांगी।

राज्यसभा सदस्य इंदु गोस्वामी ने 16 प्रश्न पूछे। इन्होंने ग्रामीण विकास, कौशल विकास, स्वास्थ्य, जलशक्ति और रेलवे आदि मंत्रालयों से संबंधित प्रश्न किए।

हर्ष महाजन ने भी राज्‍यसभा में उठाए मुद्दे

हर्ष महाजन ने भी राज्यसभा में हिमाचल के मुद्दे उठाए। उन्होंने 13 प्रश्न स्वास्थ्य, ग्रामीण व कौशल विकास, उद्यमिता, कंपनी मामले, रेलवे, नागारिक उड्डयन मंत्रालय आदि से संबंधित किए। वहीं, लोकसभा में डॉ. राजीव भारद्वाज ने 29 प्रश्न पूछे। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, पंचायतीराज, संसदीय, पर्यटन आदि से संबंधित मुद्दे उठाए।

सुरेश कश्यप ने उद्योग और स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दे उठाए

शिमला से लोकसभा सदस्य सुरेश कश्यप ने भारी उद्योग, स्वास्थ्य, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय से संबंधित सात प्रश्न किए। मंडी से लोकसभा सदस्य कंगना रनौत ने शिक्षा, पंचायतीराज और पर्यटन से संबंधित 18 प्रश्न केंद्रीय मंत्रियों से पूछे।

 

अनुराग ठाकुर ने पूछे 16 सवाल

पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं हमीरपुर से लोकसभा सदस्य अनुराग ठाकुर ने 16 प्रश्न पूछे। इन्होंने मत्स्य, पशुपालन, डेयरी आदि से संबंधित मामले उठाए। पिछले लोकसभा चुनाव में सुरेश कश्यप पर आरोप लगे थे कि उन्होंने हिमाचल के मामले संसद में नहीं उठाए। न ही कोई प्रश्न पूछा, इसलिए इस बार भाजपा ने एक रणनीति के तहत काम सौंपा है।

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