RGA न्यूज़:-हांफते हुए तय किया 21 किमी का खौफनाक सफर, ऊपर लैंडस्लाइड का डर-नीचे 400 फीट गहरी खाई;
केदारनाथ धाम समेत पैदल मार्ग पर फंसे यात्रियों को हेली से रेस्क्यू किया जा रहा है लेकिन मौसम अभियान में बार-बार बाधक बन रहा है और वायु सेना के चिनूक व एमआइ-17 हेलीकाप्टर लगातार उड़ान नहीं भर पा रहे। केदारनाथ पैदल मार्ग पर जगह-जगह फंसे सैकड़ों यात्री प्रशासन और स्थानीय लोगों की मदद कठिन रास्तों को पारकर चौमासी पहुंचने में सफल रहे।
- अब तक 400 से अधिक यात्री केदारनाथ से चौमासी होते हुए पहुंच चुके गुप्तकाशी
- इसके सिवा नहीं था उनके पास कोई विकल्प
- Kedarnath Rescue: आपदा के बाद केदारनाथ पैदल मार्ग पर जगह-जगह फंसे सैकड़ों यात्री प्रशासन और स्थानीय लोगों की मदद कठिन रास्तों को पारकर चौमासी पहुंचने में सफल रहे।
अब तक 400 से अधिक यात्री चौमासी के रास्ते केदारनाथ धाम से गुप्तकाशी पहुंच चुके हैं। लेकिन, इस दौरान उन्हें जिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ा, उनके स्मरण मात्र से ही तन में सिहरन दौड़
केदारनाथ धाम समेत पैदल मार्ग पर फंसे यात्रियों को हेली से रेस्क्यू किया जा रहा है, लेकिन मौसम अभियान में बार-बार बाधक बन रहा है और वायु सेना के चिनूक व एमआइ-17 हेलीकाप्टर लगातार उड़ान नहीं भर पा रहे। ऐसी स्थिति में सैकड़ों यात्री पैदल ही कठिन रास्तों से वापस लौट रहे हैं।
दो दिन केदारनाथ धाम में इंतजार किया
केदारनाथ धाम में तीन दिन से फंसे पटना (बिहार) निवासी तेजनारायण यादव 21 किमी लंबी दूरी तय कर शनिवार को चौमासी पहुंचे। वह बताते हैं, दो दिन केदारनाथ धाम में इंतजार किया, लेकिन मौसम लगातार खराब रहने के साथ ही धाम में बढ़ रही दिक्कतों को देखते हुए उनके साथियों ने तय किया किया कि चौमासी होते हुए गुप्तकाशी पहुंचा जाए।
सभी ने हिम्मत बांधी और शनिवार सुबह केदारनाथ से चौमासी के लिए चल पड़े। रास्ता काफी जटिल था, ऊपर पहाड़ी से पत्थर गिरने का भय और नीचे 400 फीट गहरी खाई।
इसके सिवा कोई विकल्प नहीं
मामूली लापरवाही भी जीवन लीला समाप्त कर सकती थी, लेकिन इसके सिवा कोई विकल्प भी तो नहीं था। सो, जैसे-तैसे हांफते हुए चौमासी पहुंच ही गए। शनिवार को ही रोहिणी (दिल्ली) के सुरेश प्रभु भी चौमासी होते हुए गुप्तकाशी पहुंचे। वह बताते हैं, बुधवार रात तेज वर्षा हुई, केदारनाथ धाम में तो कोई नुकसान नहीं हुआ, लेकिन पैदल मार्ग पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। ऐसे में दो दिन वह धाम में ही कैद होकर रह गए।
शनिवार को हिम्मत जुटाई और मंदिर समिति की टीम के साथ 90 यात्रियों का दल चौमासी के लिए चल पड़ा। बीच में कहीं खाने-पीने की कोई व्यवस्था नहीं थी और रास्ता भी काफी कठिन था, मिल-जुलकर सभी ने यह चुनौती भी पार कर ली।
चंडीगढ़ के राजकुमार सिंह बताते हैं कि पिछले दो दिनों से केदारनाथ धाम में मौसम काफी खराब था, जिस कारण हेलीकाप्टर उड़ान नहीं भर पाए। यह देख उनके सभी साथी पैदल ही चौमासी पहुंचे।
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