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Shree Krishna Marriage हल्द्वानी में अनोखी शादी हुई है। भावना रावल ने भगवान श्रीकृष्ण से विवाह किया है। वृंदावन से लाई गई श्री कृष्ण की मूर्ति को दूल्हा बनाया गया था। भावना ने सात फेरे लिए और विधि-विधान से विवाह संपन्न हुआ। भावना ने कहा कि यह उनका सौभाग्य है कि भगवान ने उन्हें स्वीकारा है। वह जिंदगी भर श्रीकृष्ण की सेवा करेंगी।

हल्द्वानी: बैंड की धुन पर थिरकतीं महिलाएं। फूलों से सजे वाहन में सवार दूल्हे। साथ में बराती धीरे-धीरे विवाह मंडप तक आगे बढ़ते हैं। आतिशबाजी हो रही है, जहां नख-शिख शृंगार से सजी-धजी दुल्हन समेत घराती बेसब्री से बरात का इंतजार कर रहे हैं।

भोजन का पंडाल अलग से सजा है। वहां फूलों के अलावा तरह-तरह के व्यंजनों की खुशबू भी महक रही है। यह दृश्य कोई सामान्य विवाह का नहीं, बल्कि भक्ति के भावों में डूबी भावना का भगवान श्रीकृष्ण से विवाह बंधन का है। हर कोई इस अनूठी ब्याह का साक्षी बनने को बेताब है

अनूठा ब्‍याह

गुरुवार को आवास विकास में इस अनूठे ब्याह की धुन पूरे शहर में गूंज रही थी। वृंदावन से लाए गए श्री कृष्ण की मूर्ति को दूल्हा बनाया गया था।  दुल्हन बनी थीं तिकोनिया सेखावतगंज निवासी भावना रावल। दोनों के विवाह के लिए पंचेश्वर मंदिर में पूरी तैयारी की गई थी।

आधे किलोमीटर दूर से बरात धूमधाम से आवास विकास की गलियों में घूमते हुए मंदिर तक पहुंची, जहां बराती बने बच्चे, जवान, महिलाएं, बूढ़े सभी बैंड की धुनों पर मदमस्त होकर थिरक रहे थे। मंदिर गेट पर महिलाएं कलश लेकर बरात के स्वागत को खड़ी थीं।

बरात मंडप में पहुंची तो मन ही मन श्रीकृष्ण को अपना मान चुकी भावना महिलाओं के बीच से दूल्हे को निहारने लगीं और महिलाएं मंगल गीत गाने लगीं। पुरोहित विनय जोशी व अनिल पंत ने श्रीकृष्ण की मूर्ति व भावना रावल को मंडप में बैठाया। विधि विधान से भावना व भगवान श्रीकृष्ण की शादी कराई। भावना ने सात फेरे लिए।

इस बीच बरातियों-घरातियों ने भोजन ग्रहण किया। भावना के छोटे भाई उमेश रावल उनकी पत्नी सरोज रावल, सुनील कांडपाल, केएन जोशी व चंद्रादत्त जोशी ने कन्यादान किया। लोगों ने दुल्हन को शगुन भी भेंट किया। शाम के समय पंचेश्वमंदिर से भावना रावल की विदाई हुई। विदाई में भावुक होने का दृश्य तो था, लेकिन भावना को अपनी पसंद से ब्याह रचाने की खुशी भी थी।

यह मेरा सौभाग्य की भगवान ने मुझे खुद स्वीकारा, जिंदगी भर करूंगी सेवा

दैनिक जागरण से हुई बातचीत में 55 वर्षीय भावना रावल ने बताया कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि उनकी श्रीकृष्ण से शादी होगी। उन्होंने तो यह सोचा था कि वह जिंदगी भर श्रीकृष्ण की सेवा करती रहेंगी। यह उनका सौभाग्य है कि खुद श्रीकृष्ण ने उनको स्वीकारा है, तभी जाकर आज उनकी शादी हो रही है। वह जिंदगी भर श्रीकृष्ण की सेवा करेंगी। अगले जीवन में भी वह यही चाहती हैं।

सुबह तीन बजे उठकर, चार बजे भगवान की पूजा में हो जाती हैं मग्न

16वीं शताब्दी की कृष्ण भक्त मीराबाई जैसी ही कहानी भावना रावल की भी है। ऐसी लागी लगन मीरा हो गई मगन, जैसे गीत भी भावना पर सही बैठते हैं। उनके छोटे भाई उमेश रावल बताते हैं कि दीदी प्रतिदिन सुबह तीन बजे उठ जाती हैं। उसके बाद घर के ऊपर बने मंदिर में वह श्री कृष्ण की पूजा अर्चना व उनकी भक्ति में लग जाती हैं। यह उनकी नियमित दिनचर्या है।

वहीं वह बीते 30 वर्षों से आवास विकास स्थित पंचेश्वर मंदिर में पहुंचकर भगवान की सेवा में जुट जाती हैं। उमेश रावल ने बताया कि वह पहले बीमार मां सरस्वती देवी की सेवा में जुटी रहती थीं। पिता के बाद मां का भी देहांत हो गया तो भावना पूरी तरह से श्रीकृष्ण की भक्ति में डूब गईं। भावना को कई बार शादी के रिश्ते भी आए, लेकिन उन्होंने शादी नहीं की। आखिरकार अब उनकी शादी श्रीकृष्ण भगवान से करवाई गई।

श्री कृष्ण से शादी रचाने का हल्द्वानी में दूसरा मामला

भगवान श्रीकृष्ण से विवाह का हल्द्वानी में यह दूसरा मामला है। इससे पूर्व हल्द्वानी के प्रेमपुर लोश्ज्ञानी निवासी 21 वर्षीय हर्षिका पंत ने भी श्रीकृष्ण से शादी रचाई थी।