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Maharashtra Election केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि प्यार और जंग में सब जायज है। उन्होंने कहा कि शरद पवार की अगुआई वाली एनसीपी ने सभी पार्टियों को तोड़ा है। नितिन गडकरी ने आगे कहा कि उन्होंने (शरद पवार) शिवसेना को तोड़ दिया और छगन भुजबल और अन्य को नेताओं को पार्टी से बाहर निकाल दिया लेकिन राजनीति में यह काफी आम बात है।

महाराष्ट्र चुनाव पहले सभी राजनीतिक दलों ने अपना पूरा जोर लगा दिया है। एक तरफ जहां भाजपा 'बटेंगे तो कटेंगे' के नारे के साथ राज्यभर में महाविकास अघाड़ी दल पर निशाना साध रही है। वहीं, एमवीए का दावा है कि लोकसभा चुनाव 2024 की तरह ही राज्य की जनता एक बार फिर उन पर भरोसा जताएगी।

बता दें 20 जनवरी को विधानसभा चुनाव होना है। राज्य की दो बड़ी पार्टियां चार हिस्सों में बंट चुकी है। एनसीप और शिवसेना के दो गुट हैं। एनसीपी (शरद चंद्र पवार) और शिवसेना यूबीटी नेता उद्धव ठाकरे का आरोप है कि भाजपा की वजह पार्टी टूटी है।

शरद पवार की वजह से टूटी पार्टियां: नितिन गडकरी

शरद पवार और उद्धव ठाकरे के इस आरोप के बीच केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने कहा है कि प्यार और जंग में सब जायज है। उन्होंने कहा कि शरद पवार की अगुआई वाली एनसीपी ने सभी पार्टियों को तोड़ा है।

नितिन गडकरी ने आगे कहा कि  उन्होंने (शरद पवार) शिवसेना को तोड़ दिया और छगन भुजबल और अन्य को नेताओं को पार्टी से बाहर निकाल दिया, लेकिन राजनीति में यह काफी आम बात है। यह सही है या गलत... एक कहावत है, प्यार और राजनीति में सब कुछ जायज है

पिछले साल दो हिस्सों में बंटी थी एनसीपी

पिछले साल जुलाई में अजित पवार 40 विधायकों के साथ बागी हो गए थे। 54 विधायकों वाली एनसीपी पार्टी एक झटके में दो हिस्सों में बंट गई। वहीं, (एनसीपी ) अजित गुट भी भाजपा, शिवसेना (शिंदे गुट) के साथ सरकार में शामिल हो गई। अजित पवार को देवेंद्र फडणवीस के साथ राज्य का उपमुख्यमंत्री बनाया गया।

2022 में टूटी थी शिवसेना 

वहीं, साल 2022 में शिवसेना के नेता एकनाथ शिंदे बागी हो गए थे। उद्धव ठाकरे के बेहद करीबी माने जाने वाले एकनाथ शिंदे ने 39 विधायकों के साथ बगावत कर दी। शिंदे ने महाराष्ट्र विधानसभा में डिप्टी स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दे दिया। ताकि डिप्टी स्पीकर शिंदे गुट के 16 विधायकों की अयोग्यता पर फैसला न ले पाएं।

बता दें कि मौजूदा समय में महाराष्ट्र विधानसभा की बात करें तो 288 विधानसभा सीटों में सत्तापक्ष यानी महायुति गठबंधन के पास 218 सीटें हैं। महाअघाड़ी दल यानी विपक्ष के पास 77 सीटें हैं। चार विधायकों ने किसी गठबंधन को समर्थन नहीं दिया है। एक सीट खाली है।

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