अब महाराष्ट्र में शिवसेना-यूबीटी सांसद संजय राउत ने एनडीटीवी मराठी कॉन्क्लेव में राज्य से संबंधति कई मुद्दों के बारे में बात की। उन्होंने कहा राजनीति में कुछ भी आसान नहीं होता है। उद्धव ठाकरे को भी समस्याओं का सामना करना पड़ा था। हम फीनिक्स जैसे राख से उठेंगे। हमारी पार्टी आंखों के सामने छीन ली गई इससे हमारे नेता गए हैं।
मुंबई: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से पहले नेताओं की एक-दूसरे पर बयानबाजी जारी है। अब महाराष्ट्र में शिवसेना-यूबीटी सांसद संजय राउत ने एनडीटीवी मराठी कॉन्क्लेव में राज्य से संबंधति कई मुद्दों के बारे में बात की।
उन्होंने कहा, "राजनीति में कुछ भी आसान नहीं होता है। उद्धव ठाकरे को भी समस्याओं का सामना करना पड़ा था। हम फीनिक्स जैसे राख से उठेंगे। हमारी पार्टी आंखों के सामने छीन ली गई इससे हमारे नेता गए हैं लेकिन हमारे लोग आज भी हमारे साथ हैं। "
कब जारी होगा महा विकास अघाड़ी का घोषणापत्र?
राउत ने कहा कि 20 नवंबर को होने वाले महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए महा विकास अघाड़ी का घोषणापत्र 4 नवंबर को कांग्रेस नेता राहुल गांधी के राज्य के दौरे के बाद जारी किया जाएगा। उन्होंने कहा कि गठबंधन - जिसमें शिवसेना (यूबीटी), कांग्रेस और शरद पवार के नेतृत्व वाली राकांपा शामिल है वो राज्य के वित्त को व्यवस्थित करने, भ्रष्टाचार और कानून व्यवस्था की समस्या से लड़ने और राज्य में स्थिरता लाने पर ध्यान देंगे।
उन्होंने राकांपा नेता बाबा सिद्दीकी की हत्या और जेल में बंद कैदियों की कथित जुड़ाव का स्पष्ट संदर्भ देते हुए कहा, "महाराष्ट्र के उद्योग बाहर चले गए हैं और युवाओं ने अपनी नौकरियां खो दी हैं।राज्यसभा सांसद संजय राउत ने शिंदे सरकार पर तंज कसते हुए कहा, लॉरेंस बिश्नोई को लेकर संजय राउत ने कहा, राज्य के नेताओं की हत्याएं हो रही हैं और जेल में बंद कैदी कानून-व्यवस्था को चुनौती दे रहे हैं।"
'फीनिक्स की तरह राख से उठेगी'
शिव सेना (यूबीटी) के नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत ने कहा, कहा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले विभाजन के बावजूद पार्टी "फीनिक्स की तरह राख से उठेगी" जिसने उद्धव ठाकरे गुट से शिव सेना का नाम और प्रतीक चिन्ह छीन लिया है।
'राज्य में असंवैधानिक सरकार कर रही काम'
राउत ने चुनाव आयोग पर पार्टी के नाम और प्रतीकों की लड़ाई में अजीत पवार के नेतृत्व वाली राकांपा और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के प्रति पक्षपात करने का आरोप लगाया। उन्होंने आगे कहा, "एनसीपी पार्टी के जनक चुनाव आयोग के सामने बैठे थे, लेकिन उन्होंने इसे दूसरे व्यक्ति को दे दिया। हमने अपने लिए न्याय की मांग की थी। आज हमारे चुनाव चिह्न का मामला सुप्रीम कोर्ट में ढाई-ढाई को लेकर है।'' उन्होंने राज्य में एक असंवैधानिक सरकार को काम करने की अनुमति दी है। न्याय के देवता की आंखों से पट्टी हटाने का मतलब यह नहीं है कि सब कुछ संविधान के अनुसार चल रहा है।"
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