भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 2014 में 72 सीटों पर चुनाव लड़ा था जिनमें 37 पर जीत मिली थी। छह झाविमो विधायक भाजपा में शामिल हुए जिससे विधायकों की संख्या 43 हो गई। इस बार 2014 के चुनाव जीतने वाले कुछ विधायकों को टिकट नहीं मिला जिनमें गंगोत्री कुजूर ताला मरांडी विमला प्रधान शिवशंकर उरांव लक्ष्मण टुडू और राज पलिवार शामिल हैं।
रांची। वर्ष 2014 में भाजपा ने 72 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिनमें 37 पर जीत मिली थी। चुनाव परिणाम आने के बाद झाविमो के टिकट पर चुनाव जीतनेवाले छह विधायक एक साथ भाजपा में चले गए थे, जिससे इसके विधायकों की संख्या बढ़कर 43 हो गई थी।
यह बहुमत के लिए पर्याप्त था। पार्टी के इस स्वर्णिम काल में विधायक रहे एक मंत्री सहित छह विधायकों को पिछले चुनाव की तरह इस बार भी नकार दिया है। उन्हें इस बार भी टिकट नहीं मिल सका।
वर्ष 2014 में चुनाव जीतनेवाले ऐसे जिन विधायकों को इस बार भी टिकट नहीं मिला, उनमें मांडर से चुनाव जीतनेवाली गंगोत्री कुुजूर, बोरियो से चुनाव जीतनेवाले ताला मरांडी, सिमडेगा से चुनाव जीतने वाली विमला प्रधान, गुमला से शिवशंकर उरांव, घाटशिला से लक्ष्मण टुडू तथा मधुपुर से राज पलिवार सम्मिलित हैं।
पलिवार को भाजपा ने उस समय श्रम, नियोजन एवं प्रशिक्षण मंत्री भी बनाया था। इन्हें वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में तो मौका दिया गया, लेकिन वे चुनाव हार गए थे। बाद में वर्ष 2021 में तत्कालीन मंत्री हाजी हुसैन अंसारी के निधन के बाद हुए उपचुनाव में इनकी जगह गंगा नारायण सिंह को टिकट दिया था।
हालांकि, वे भी जीत नहीं पाए। भाजपा ने पलिवार की जगह इस बार भी उनपर ही विश्वास जताया। मांडर से पिछले चुनाव में भाजपा ने देवकुमार धान को टिकट दिया था, जबकि इस बार सन्नी टोप्पो को उम्मीदवार बनाया गया है। इसी तरह, सिमडेगा से पिछली बार श्रद्धानंद बेसरा को टिकट मिला था।
इस बार भी पार्टी ने बेसरा पर ही विश्वास जताते हुए उनपर दांव लगाया है। इसी तरह, गुमला में शिवशंकर उरांव की जगह मिसिर कुजूर को टिकट मिला था। इस बार पार्टी ने लोहरदगा संसदीय क्षेत्र से सुदर्शन भगत को चुनाव मैदान में उतारा है। इन्हें लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने के बाद भी पार्टी का साथ देने का उपहार मिला।
इधर, वर्ष 2019 में टिकट नहीं मिलने पर ताला मरांडी आजसू के टिकट पर चुनाव मैदान में उतर गए थे। हालांकि बाद में उनकी वापसी तो हुई, लेकिन इस बार भी उन्हें टिकट नहीं मिला। बता दें कि इस वर्ष हुए लोकसभा चुनाव में उम्मीदवारों की सूची में नाम आने के बाद भी ताला मरांडी का नाम बाद में कट गया था।
घाटशिला से लक्ष्मण टुडू की जगह पिछली बार लक्ष्मण मार्डी को टिकट मिला था। इस बार पार्टी ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दिनेशानंद गोस्वामी पर विश्वास जताया है। वर्ष 2014 में विधायक रहे केदार हाजरा ने पिछला चुनाव भी जीता, लेकिन इस बार उनका टिकट कट गया। पार्टी ने जमुआ से उनकी जगह मंजू देवी को टिकट दिया है।
जीते तो ये भाजपा विधायक लगाएंगे हैट्रिक
इस बार भी विधानसभा चुनाव जीते तो भाजपा के सात विधायक लगातार जीत की हैट्रिक लगाएंगे। इनमें से रणधीर कुमार सिंह, अमर बाउरी एवं नवीन जायसवाल ने वर्ष 2014 में झाविमो के टिकट पर चुनाव जीता था।लेकिन बाद में ये भाजपा में सम्मिलित हो गए थे। बाकी चार ने भाजपा के टिकट पर चुनाव जीता था। इनमें नारायण दास, विरंची नारायण, राज सिन्हा तथा अनंत ओझा सम्मिलित हैं।
पिछला चुनाव हारने के बाद भी भाजपा ने इनपर जताया विश्वास
वर्ष 2014 में विधायक रहे छह नेताओं को भाजपा ने पिछले विधानसभा में भी टिकट दिया था, लेकिन उनकी हार हो गई थी। पार्टी ने इस बार भी इनपर विश्वास जताते हुए टिकट देने का काम किया। इनमें बगोदर से नागेंद्र महतो, गिरिडीह से निर्भय शाहाबादी, खिजरी से रामकुमार पाहन, महागामा से अशोक कुमार सम्मिलित हैं।
वहीं, योगेंद्र महतो को पिछली बार टिकट तो मिला था, लेकिन इस बार उनकी जगह पूर्व सांसद रवींद्र पांडेय को मौका मिला। इसी तरह, ईचागढ़ से साधुचरण महतो को पिछले चुनाव में भाजपा से ही टिकट मिला था। लेकिन इस बार यह सीट आजसू के पास चली गई।
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