पश्चिमी दिल्ली के जनकपुरी में करवाचौथ के दिन एक पत्नी ने अपने ब्रेन डेड पति के अंगदान का फैसला लिया। अमृता अस्पताल फरीदाबाद में लीवर दान किया गया। मणिपाल अस्पताल के डॉक्टरों की टीम ने मृतक शैलेन्द्र सिंह का लीवर और कार्निया निकालकर तीन लोगों को जीवनदान दिया है। महिला के इस साहसिक कदम की खूब सराहना हो रही है।
पश्चिमी दिल्ली। करवाचौथ के त्योहार पर जहां पत्नी अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती है। वहीं दूसरी ओर एक साहसी पत्नी ने पति का ब्रेन डेड होने से निधन होने के बाद उनके अंगदान करने का फैसला लिया।
अमृता अस्पताल फरीदाबाद में लीवर दान किया
पत्नी के इस बहादुरी भरे निर्णय से मणिपाल अस्पताल के डॉक्टरों की टीम ने मृतक शैलेन्द्र सिंह का लीवर और कार्निया निकालकर तीन लोगों को जीवनदान दिया है। राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (नोट्टो) द्वारा अमृता अस्पताल फरीदाबाद में 41 वर्षीय एक पुरुष को लीवर प्रदान किया गया है। इसके अलावा अन्य दो लोगों को कार्निया प्रदान की जाएगी।
जनकपुरी में शैलेन्द्र सिंह अपनी पत्नी और आठ साल की बेटी के साथ रह रहे थे। वह एक निजी कंपनी में काम करते थे। 17 अक्टूबर की सुबह 48 वर्षीय शैलेन्द्र अचानक घर में ही बेहोश हो गए। इसके बाद पत्नी उन्हें आनन-फानन में द्वारका सेक्टर-6 स्थित मणिपाल अस्पताल में ले गईं। वहां डॉक्टरों की टीम ने उनका इलाज किया।
डॉक्टरों ने मरीज से शरीर से निकाला लीवर और कार्निया
शैलेन्द्र की हालत गंभीर थी तो उनका सीटी स्कैन किया गया, जिसमें पता चला कि उच्च रक्तचाप के कारण मस्तिष्क में भारी रक्तस्राव हुआ था। डॉक्टरों की टीम के काफी प्रयासों के बाद भी उनकी हालत बिगड़ती चली गई। उसी दिन रात करीबन 9:55 बजे ब्रेन डेड होने से उनका निधन हो गया। इसके बाद पत्नी ने अपने पति के अंगदान करने का साहसी निर्णय लिया। फिर डॉक्टरों की एक टीम ने मरीज से शरीर से लीवर और कार्निया निकाला।
अंगों को दान करने का इच्छुक था शैलेन्द्र
कार्निया आंखों का वह पारदर्शी भाग होता है जिस पर बाहर का प्रकाश पड़ता है। आर्गन शेयरिंग एंड ट्रांसप्लॉट के प्रमुख डा. कर्नल अवनीश सेठ ने बताया कि हमारी टीम ने मिलकर परिवार को समझाया और एक सही निर्णय लेने में उनकी मदद की। पीड़ित परिवार शैलेन्द्र सिंह के सभी अंगों को दान करने का इच्छुक था, लेकिन हृदय, गुर्दे और फेफड़े ठीक न होने से वह दान में नहीं दिए जा सके।
मगर उनके लीवर और कार्निया के दान से तीन लोगों को नया जीवन दान मिला है। वहीं अस्पताल के निदेशक विजी वर्गीस ने कहा कि अंगदान करने के परिवार के फैसले से दूसरों के जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव आया है। अंग दान जीवन का एक सच्चा उपहार है। हम सभी को अंग दान पर विचार करने और दाताओं के रूप में पंजीकरण करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं, ताकि एक व्यक्ति से कई लोगों की जान बचे।
रेवाड़ी: मंजू ने हमसफर को अपनी किडनी देकर निभाया फर्ज
पति-पत्नी का रिश्ता प्रेम व समर्पण का होता है। ऐसे ही एक परिवार में पत्नी ने अपने पति को किडनी देकर न केवल पत्नी होने का कर्तव्य निभाया बल्कि त्याग और समर्पण के साथ सुख दुख में साथ रहने का समाज में जीवंत और प्रत्यक्ष उदाहरण बनी हैं।
शहर के कुतुबपुर मोहल्ला में रहने वाले हेमंत भारद्वाज आज पत्नी मंजू देवी की किडनी प्रत्यारोपित होने के बाद स्वस्थ जीवन व्यतीत कर रहे हैं। 50 वर्षीय हेमंत भारद्वाज पिछले तीन साल से उच्च रक्तचाप और अन्य शारीरिक दिक्कत से परेशान थे। इसी साल फरवरी में दिक्कत बढ़ने पर जांच कराने पर पता चला कि हेमंत की दोनों किडनी 90 प्रतिशत काम करना बंद कर चुके हैं।
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