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हल्द्वानी नगर निगम चुनाव की सरगर्मियां तेज भाजपा-कांग्रेस के दावेदार जनता का समर्थन जुटाने में जुटे। आरक्षण की स्थिति अभी साफ नहीं लेकिन उम्मीदवार मेहनत में लगे हुए हैं। घर-घर दस्तक दे रहे हैं और स्थानीय मुद्दों का समाधान करने का वादा कर रहे हैं। टिकट पाने के लिए संगठनों में संपर्क समीकरण और लॉबिंग भी जारी है। जानिए हल्द्वानी में मेयर पद के संभावित उम्मीदवारों के बारे में।

हल्द्वानी। निकाय चुनाव को लेकर आरक्षण की स्थिति अभी साफ नहीं है। मगर भाजपा और कांग्रेस से जुड़े दावेदार मेहनत में जुटे हैं। सभी को पता है कि चुनाव लडऩे का हौंसला जनता से ही मिलेगा। इसलिए कोई घर-घर दस्तक दे रहा तो कोई दावा कर रहा है कि इस समस्या को समाधान वो ही करवाएगा।

खास बात ये है कि शहर में हो रहे छोटे-बड़े आंदोलन में पक्ष-विपक्ष से जुड़े दावेदारों की अलग-अलग भूमिका है। कांग्रेसी जहां आंदोलन में शामिल होकर उसे धार-दे रहे तो भाजपा से जुड़े चेहरे शांति संग समाधान की तरफ बढऩे की वकालत करते नजर आते हैं।

दूसरी तरफ भ्रमण और स्थानीय कार्यक्रमों की व्यवस्ता से फुर्सत मिलते ही देहरादून से दिल्ली तक की दौड़ भी लग रही है। क्योंकि, संगठनों की शक्ति का केंद्र तो यहीं है। वैसे भी पहली लड़ाई तो टिकट पाने की ही है। और ये अपने दल के भीतर ही होगी।

हल्द्वानी नगर निगम पिछले दो चुनाव से भाजपा का कब्जा है। डा. जोगेंद्र रौतेला 2013 और 2018 में मेयर का चुनाव जीते थे। दिसंबर 2023 में जनप्रतिनिधियों का कार्यकाल खत्म होने के बाद से निगम प्रशासक के जिम्मे हैं लेकिन 11 माह बीतने के बावजूद चुनाव को लेकर तस्वीर साफ नहीं हो पाई

अभी तो ये ही पता नहीं कि मेयर से लेकर 60 वार्डों में पार्षदों के आरक्षण लेकर क्या स्थिति होगी। उसके बावजूद दावेदारों की मेहनत में कोई कमी नहीं है। होर्डिंग और पोस्टरों के माध्यम से बधाई संदेश देने के साथ ही घर-घर संपर्क भी किया जा रहा है।

दूसरी तरफ कुछ चेहरे ऐसे भी थे जिन्होंने अपने जन्मदिन से लेकर अन्य मौकों पर खास 'पार्टी' तक का आयोजन कर दिया। और उसमें भीड़ जुटाने के लिए पार्टी विशेष वाली भावना से भी कुछ पल के लिए किनारा कर लिया। यही वजह है कि इन कार्यक्रमों में दूसरे दलों के चेहरे भी नजर आए थे।

इसके अलावा टिकट की राह के कांटे दूर करने के लिए संगठन के अंदर संपर्क, समीकरण और लाबिंग को लेकर भी संभावित दावेदार खासा मेहनत कर रहे हैं। क्योंकि, इन्हें भी पता है कि हल्द्वानी में लड़ाई तो भाजपा और कांग्रेस के बीच ही होगी। निर्दलीय ताल ठोंकने की हिम्मत तो शायद ही कोई करेगा।

बड़ा महंगा पड़ रहा चुनाव, होर्डिंग बदलते बीता गया साल

दिसंबर 2023 में जनप्रतिनिधियों का कार्यकाल खत्म होने पर मेयर संग 60 पार्षद भी निवर्तमान हो गए। इसके बाद दावेदारी जताने के तरीके और प्रचार के गणित पर नजर डाले तो पिछले साल अक्टूबर से संभावित दावेदारों ने अपने मोहल्लों में होडिंग-बैनर लगाने शुरू कर दिए।

पिछली दीपावाली, नए साल के बाद 2024 में उत्तरायणी, होली, रक्षाबंधन, जन्माष्टमी के बाद अब नवरात्र और दीवाली की बधाई देते हुए वही चेहरे नजर आ रहे हैं। यानी होर्डिंग बदलते-बदलते एक साल हो गया है। इसलिए कई दावेदार भी कह रहे हैं कि बड़ा महंगा पड़ गया चुनाव।

मेयर सीट के संभावित दावेदार

भाजपा से फिलहाल डा. जोगेंद्र रौतेला, रेनू अधिकारी, प्रमोद तोलिया व शंकर कोरंगा और कांग्रेस से योगेश जोशी, पूर्व दर्जा राज्य मंत्री ललित जोशी व पूर्व चेयरमैन हेमंत बगड़वाल के नाम की चर्चा है। अभी कई और नाम सामने आएंगे।