बिहार सरकार ने भूमि सर्वेक्षण के बीच अब आर्द्रभूमि को लेकर बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने तय किया है कि 100 हेक्टेयर से बड़ी 33 आर्द्रभूमि का स्वास्थ्य कार्ड तैयार किया जाएगा। यह जानकारी मंत्री डॉ. प्रेम कुमार ने बिहार राज्य आर्द्रभूमि प्राधिकरण की चौथी बैठक में दी। उन्होंने यह भी कहा कि विभाग की ओर से 36 आर्द्रभूमि की पहचान की जाएगी।
पटना। बिहार की आर्द्रभूमि के विकास के लिए सरकार संकल्पित है। प्रदेश के सौ हेक्टेयर से बड़े 33 आर्द्रभूमि स्थलों को स्वास्थ्य कार्ड बनाया जाएगा। ये बातें सोमवार को राज्य के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के मंत्री डॉ. प्रेम कुमार ने बिहार राज्य आर्द्रभूमि प्राधिकरण की चौथी बैठक में कहीं।
बैठक का आयोजन राजधानी के अरण्य भवन में किया गया। बैठक में मंत्री ने कहा कि जल्द ही विभाग की ओर से 36 आर्द्रभूमि की पहचान की जाएगी और उसकी अधिसूचना भी जारी कर दी जाएगी।
कांवर झील की समेकित प्रबंधन योजना को मिली स्वीकृति
बैठक में बेगूसराय वन प्रमंडल के तहत कांवर झील के समेकित प्रबंधन योजना की स्वीकृति प्रदान की गई। यह राज्य का मुख्य आर्द्रभूमि है। राज्य के पांच आर्द्रभूमि को रामसर साइट घोषित करने के लिए आवश्यक कार्रवाई विभाग की ओर से की जाएगी। इसमें मोनिकामन, नरसन चौर, कोठिया चौर, सरोतर झील, सोनक-सुईया भागर को शामिल किया गया है।
सोमवार की बैठक में बिहार राज्य आर्द्रभूमि प्राधिकरण के सदस्य सचिव डॉ. के. गणेश कुमार ने आर्द्रभूमि की वर्तमान स्थिति पर विस्तार से प्रकाश डाला। मौके पर विभाग के सचिव बंदना प्रेयषी सहित कई अधिकारियों ने भाग लिया।
सचिव ने बैठक में जोर दिया की प्रदेश के जलाशयों की सुरक्षा समय की मांग है। इसका संरक्षण हर स्तर पर होना चाहिए। इसके लिए सरकार अपने स्तर से प्रयास कर रही है, समाज को भी इसके प्रति जागरूक होने की जरूरत है।
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