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रूस की एक महिला ने बड़ी-बड़ी उम्मीदों और सपनों को त्याग कर अघोरी बनने का फैसला किया। श्री अन्नपूर्णानाथ नाम की यह महिला भारत के प्रमुख साधना स्थलों की यात्रा कर रही हैं। बुलेट बाइक से यात्रा कर रही अन्नपूर्णानाथ ने खगड़िया के प्रसिद्ध योगीराज डॉ. रामनाथ अघोरपीठ बलुआही में रात्रि विश्राम किया। वे हिंदी नहीं बोल पाती हैं लेकिन अंग्रेजी में बेहतर बात करती हैं।

खगड़िया।बड़ी-बड़ी उम्मीदें, बड़े- बड़े सपने को त्याग कर रूस की एक महिला अघोरी बन गई। उनका नाम अघोर पंथ में श्री अन्नपूर्णानाथ है। वे रूस से भारत आकर प्रमुख साधना स्थलों की यात्रा कर रही हैं। वे बुलेट बाइक से यात्रा कर रही हैं।

इस बाइक पर दैनिक उपयोग की जरूरी समान रखती हैं। बीते गुरुवार की रात अन्नपूर्णानाथ खगड़िया के प्रसिद्ध योगीराज डा. रामनाथ अघोरपीठ, बलुआही पहुंची। जहां साधना में रात बिताई। शुक्रवार की सुबह आगे की यात्रा पर निकल गई। उन्हें आश्रम की व्यवस्था, रखरखाव अच्छी लगी। उनके साथ कोलकाता के बालुर घाट से योगी दीपकनाथ साथ चल रहे हैं। शुक्रवार की सुबह उनको दर्शन को लेकर भीड़ लग गई।

अघोरपीठ आश्रम के ट्रस्टी समेत अन्य ने उनका स्वागत किया। पूर्व वार्ड पार्षद सह अघोरपीठ के सचिव रणवीर कुमार ने भी उनका स्वागत किया। कम उम्र में जीवन की बड़ी- बड़ी उम्मीदों, सपनों को त्याग कर अघोरी बने अन्नपूर्णानाथ ने कहा कि साधना से बढ़कर जीवन में कुछ नहीं है। लोग माया- मोह के जाल में फंसकर दुखी और सुखी होते हैं। मगर स्थाई कुछ नहीं मिलता।

सबको श्मशान और कब्रिस्तान में एक दिन जाना होता है। वह हिंदी नहीं बोल पाती हैं। अंग्रेजी में बेहतर बतियाती हैं। उनकी बातों का अनुवाद योगी दीपकनाथ करते हैं। उन्होंने कहा कि लोग सबकुछ पर विजय पा सकते हैं। मगर आज तक किसी ने मौत पर विजय नहीं पाई।

भारत के प्रमुख साधना स्थलों का भ्रमण पूरा होने पर वह फिर अपने देश रूस लौटने को सोच सकती हैं। मालूम हो कि डा. रामनाथ अघोरपीठ आश्रम में नेपाल से लेकर उज्जैन, कोलकाता, उत्तर प्रदेश समेत देश के कोने-कोने से साधक पहुंचते हैं।