प्रयागराज शहर के लोगों को बंदरों के आतंक से मुक्ति दिलाने के लिए नगर निगम ने मथुरा से मंकी कैचर टीम को बुलाने का फैसला किया है। एक महीने के भीतर टेंडर प्रक्रिया पूरी कर बंदरों को पकड़ने का काम शुरू हो जाएगा। मंकी कैचर को एक बंदर पकड़ने के लिए 440 रुपये से लेकर 740 रुपये नगर निगम की ओर से वहन किया जा सकता है।
प्रयागराज। शहर के लोगों को बंदरों के आतंक और उत्पात से छुटकारा दिलाने के लिए मथुरा से मंकी कैचर टीम को बुलाया जाएगा। एक माह के भीतर टेंडर प्रक्रिया पूरी कर बंदरों को पकड़ने की सिलसिला शुरू हो जाएगा।
मंकी कैचर को एक बंदर पकड़ने के लिए 440 रुपये से लेकर 740 रुपये नगर निगम की ओर से वहन किया जा सकता है। अल्लापुर,दारागंज, अलोपीबाग,बघाड़ा,जीरो रोड,झूंसी,नैनी, फाफामऊ क्षेत्र में बंदरों का खौफ तेजी से बढ़ रहा है।
प्रतिदिन एक दर्जन से अधिक लोगों को बंदर अपना शिकार बना रहे हैं। बंदरों से बचने के लिए जड़ियन टोल, कीडगंज, टैगोर टाउन,अल्लापुर आदि मुहल्लों में सैकड़ों लोगों ने छतों और बालकनी को रेलिंग लगा कर घेराबंदी कर दी है।
बंदरों के बढ़ते खौफ से लोगों को आर्थिक और मानसिक समस्या से जूझना पड़ रहा है। जन समस्याओं को देखते हुए दैनिक जागरण की ओर से ‘आतंक बंदरों का’ शीर्षक से समाचारीय अभियान चलाया गया। शहर के अलग-अलग वार्डों और स्थानों से सैकड़ों लोगों ने बंदरों को लेकर अपनी समस्या को बताया।
उनकी समस्याओं को जागरण ने प्राथमिकता से प्रकाशित किया। अपर नगर आयुक्त ने बताया कि बंदरों को पकड़ने की प्रक्रिया अगले महीने से शुरू हो जाएगी।
पकड़े गए बंदरों को पिंजड़े में बंद कर पास के जंगल में छोड़ दिया जाएगा। एक अनुमान के मुताबिक शहर में लगभग 500 बंदर है, जोकि अलग-अलग टोलियों में रहते हैं।
बेखौफ होकर नगर में घूमती है इनकी टोली
नगर निगम में 100 वार्ड है और करीब 15.50 लाख से अधिक आबादी होगी। इसमें से तीन दर्जन से अधिक वार्डों में वर्षो से बंदरों के उत्पात से लोग परेशान हैं , हाल यह है कि बंदरो की टोली बेखौफ होकर घरों में घुस जाती है और घरों में रखे समान को नुकसान पहुंचाती है। लोगों ने बताया कि जब बंदरों को भगाने के लिए प्रयास करते है तो हिंसक बंदर उन्हें काटने तक के लिए दौड़ पड़ते हैं। रेलवे स्टेशन,बस अड्डा के आसपास बंदरों का झुंड मंडराता रहता है।
नगर निगम पशु चिकित्सा एवं कल्याण अधिकारी डा.विजय अमृत राज ने कहा कि बंदरों को पकड़ने की खास योजना बनाई जा रही है। सब कुछ सही रहा तो अगले महीने से बंदरों को पकड़ने के लिए मथुरा से टीम बुलाई जाएगी। यह टीम बंदरों को पकड़ कर पिंजड़े में रखेगी। उसके बाद जंगलों में ले जाकर उन्हें छोड़ देगी।
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