पटना में 10 लाख रुपये की रिश्वत मामले में सीबीआई की गिरफ्त में आए आयकर विभाग के निलंबित प्रधान आयकर आयुक्त (बिहार-झारखंड) संतोष कुमार के बड़े-बड़े कारनामे सामने आ रहे हैं। उन्होंने जमशेदपुर के एक कंस्ट्रक्शन कंपनी के मालिक से चार करोड़ रुपये की रिफंड के एवज में सवा करोड़ की संपत्ति अपने बेटे के नाम लिखवा ली थी। सीबीआई अभी और भी कई खुलासे कर सकती है।
पटना। 10 लाख रुपये की रिश्वत मामले में सीबीआइ (केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो) की गिरफ्त में आए आयकर विभाग के निलंबित प्रधान आयकर आयुक्त (बिहार-झारखंड) संतोष कुमार के बड़े-बड़े कारनामे सामने आ रहे हैं।
बेटे के नाम करवा ली संपत्ति
संतोष कुमार ने जमशेदपुर के कौशल कंचन कंस्ट्रक्शन के मालिक कौशल सिंह के चार करोड़ रुपये की रिफंड के एवज में बतौर रिश्वत सवा करोड़ की संपत्ति अपने बेटे सुमित कुमार के नाम लिखवा ली थी। बाद में इस संपत्ति को 1.50 करोड़ में बेचा गया और यह राशि नकद के रूप में देने के लिए बिचौलिये से बकायदा कहलवाया भी गया।
सीबीआई ने निलंबित अधिकारी के बारे में दी कई अहम जानकारी
सीबीआइ ने निलंबित आयकर आयुक्त संतोष कुमार के खिलाफ दर्ज की गई प्राथमिकी में उनके खिलाफ कई मामलों की जानकारी दी है। सूत्रों की माने तो एक ऐसे ही मामले में 85 लाख रुपये के जब्त फ्लैट को छोडऩे के एवज में संतोष कुमार ने 15 लाख रुपये की रिश्वत ली थी। ऐसा ही मामला कोयला कारोबारी गुरपाल सिंह का था। 54 लाख रुपये की आयकर मांग को निपटारे के लिए 10 लाख रुपये की रिश्वत ली थी।
सीबीआइ दिल्ली की भ्रष्टाचार निरोधी शाखा (एंटी करप्शन ब्रांच) द्वारा दर्ज एफआइआर में कहा गया है कि इसके लिए उन्होंने हाकिम मोमिन के चार्टर्ड एकाउंटेंट नीरज अग्रवाल से पटना में 13 जून, 2024 को रिश्वत ली थी।
हाकिम मोमिन को अनुचित लाभ पहुंचाने की कोशिश
इसी मामले में इस वर्ष जून 16 को आयकर अधिकारी प्रभाकर प्रसाद और विकास कुमार ने हाकिम मोमिन को अनुचित लाभ दिलाने के लिए रिश्वत की बात की थी। रिश्वत की राशि देवघर के आयकर अधिकारी के निर्देश पर अंकित कुमार को दी गई। यहां बता दें कि रिश्वत मामले में सीबीआइ ने निलंबित प्रधान आयकर आयुक्त और दो आयकर अधिकारी समेत 12 नामजद आरोपित बनाया है।
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