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शिव पुराण में प्रदोष व्रत की महिमा का वर्णन है। प्रदोष व्रत करने से साधक को अमोघ फल की प्राप्ति होती है। इस व्रत का फल दिन अनुसार प्राप्त होता है। रवि प्रदोष व्रत करने से साधक को जीवन में ऊंचा मुकाम हासिल होता है। इस शुभ अवसर पर आत्मा के कारक सूर्य देव की भी पूजा की जाती है। 

वैदिक पंचांग के अनुसार, 15 सितंबर को प्रदोष व्रत है। रविवार के दिन पड़ने के चलते यह रवि प्रदोष व्रत कहलाएगा। यह पर्व हर पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन देवों के देव महादेव और मां पार्वती की पूजा की जाती है। साथ ही शिव-शक्ति के निमित्त प्रदोष व्रत रखा जाता है। रवि प्रदोष व्रत करने से करियर और कारोबार को नया आयाम मिलता है। साथ ही साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। ज्योतिषियों की मानें तो रवि प्रदोष व्रत पर दुर्लभ सुकर्मा योग का निर्माण हो रहा है। इसके अलावा, कई अन्य मंगलकारी शुभ योग भी बन रहे हैं। इन योग में भगवान शिव की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। आइए तिथि एवं शुभ मुहूर्त जानते हैं-

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