Jamui News: सरकारी हॉस्पिटल में एंबुलेंस के इंतजार 4 घंटे तक तड़पती रही युवती, तोड़ा दम; तो महज 24 मिनट में आ गया शव वाहन
बिहार के जमुई सदर अस्पताल में एक महिला की मौत हो गई क्योंकि उसे रेफर किए जाने के बाद एंबुलेंस नहीं मिली। बिंदी देवी नाम की महिला पेट दर्द से पीड़ित थी और उसे पीएमसीएच रेफर किया गया था। लेकिन सरकारी एंबुलेंस नहीं मिलने के कारण उसे चार घंटे तक अस्पताल में ही इंतजार करना पड़ा। इस दौरान उसकी हालत बिगड़ती गई और अंत में उसने दम तोड़ दिया।
जमुई। बिहार के जमुई सदर अस्पताल में मंगलवार रात हुए एक घटना ने एक बार फिर राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी। दरअसल, डॉक्टरों द्वारा रेफर किए जाने के चार घंटे बाद एंबुलेंस के इंतजार में एक महिला ने दम तोड़ दिया।
जमुई सदर अस्पताल के डॉक्टरों द्वारा रेफर किए जाने के बाद अस्पताल में ही एंबुलेंस के इंतजार में बिंदी देवी (18) पेट दर्द से साढ़े चार घंटे तक छटपटाती रही, लेकिन एंबुलेंस नहीं आपहुंचा
आखिरकार वह तड़पकर मर गई, तो उसी 102 नंबर पर डायल करने पर महज 24 मिनट में शववाहन उसके शव को घर पहुंचाने के लिए आ गया।
कुव्यवस्था का आलम यह कि शववाहन तक पार्थिव शरीर को पहुंचाने के लिए अस्पताल में स्ट्रेचर नहीं मिला। इसके बाद पिता ने बेजान बेटी को गोद में उठाकर शव वाहन तक पहुंचाया
डॉक्टरों ने पीएमसीएच में किया था रेफर
मंगलवार शाम 7 बजकर 45 बजे जमुई के सोनो प्रखंड स्थित कोड़ाडीह गांव निवासी केदार मंडल अपनी बेटी बिंदी को लेकर अस्पताल के आपातकालीन कक्ष में पहुंचे थे। बिंदी के पेट में तेज दर्द था।
गंभीर स्थिति देखते हुए डॉक्टर ने उसे पटना मेडिकल कालेज अस्पताल (पीएमसीएच) रेफर कर दिया, लेकिन पटना ले जाने के लिए सरकारी एंबुलेंस नहीं मिली।
गरीब पिता पैसे के अभाव में निजी एंबुलेंस किराये पर नहीं ले सके। बिंदी की बिगड़ती हालत देख रात्रि ड्यूटी पर आए डॉ. अभिषेक गौरव ने भी एंबुलेंस उपलब्ध कराने की कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हो सके।
इधर, तड़पती बिंदी को ले जाने के लिए मौत आ गई। रात 12.30 बजे उसने अंतिम सांस ली। इसके बाद अस्पताल प्रशासन ने शव को घर भेजने की प्रक्रिया शुरू की। 102 नंबर पर डायल किया गया और 12.54 बजे शव वाहन आ गया।
बिंदी के पिता ने बताया कि पुत्री को पटना ले जाने के लिए कई बार 1llllll2 नंबर पर डायल किया, लेकिन एंबुलेंस खराब होने की बात कही जाती रही। अस्पताल के अधिकारियों को भी फोन लगाया।
चिकित्सक व अन्य स्वास्थ्य कर्मियों ने भी एंबुलेंस के लिए प्रयास किया। रोते-बिलखते केदार के मुताबिक उन्होंने निजी एंबुलेंस वालों से भी बात की।
किसी ने किराया साढ़े पांच हजार मांगा तो किसी ने छह से सात हजार। उनके पास इतने पैसे नहीं थे। किसी ने मदद भी नहीं की। इस वजह से बेटी को तड़पकर मरता देखता रहा।
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