डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति चुनाव जीतने पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि ट्रंप की जीत के बाद दोनों देशों के रिश्ते और बेहतर होंगे। ट्रंप शासन में भारत के लिए नए अवसर खुलेंगे। भारत-अमेरिका संबंधों और एच-1बी वीजा पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच आर्थिक संबंध काफी व्यापक हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि मेरे विचार से भारत और अमेरिका के संबंध के 4-5 पहलू हैं। व्यापारिक तौर पर भी दोनों देशों के रिश्ते काफी महत्वपूर्ण है। मुझे उम्मीद है कि ट्रंप की जीत के बाद दोनों देशों के रिश्ते और बेहतर होंगे। ट्रंप शासन में भारत के लिए नए अवसर खुलेंगे।
उन्होंने आगे कहा कि डिजिटल क्षेत्र में दोनों देशों के बीच जो व्यापार और टेकनोलॉजी सेवाओं का आदान-प्रदान में कोई रुकावट नहीं आएगी। वहीं, अप्रवासन जैसे मुद्दे पर भी भारत को चिंता करने की जरूरत नहीं है।
बता दें कि ट्रंप ने चुनावी रैली के दौरान इस बात पर जोर दिया था कि अगर उनकी सरकार बनी तो देश में गैर-कानून रूप से दाखिल प्रवासियों पर रोक लगाई जाएगी। वहीं, उन्होंने कई बार कहा है कि अमेरिकी में नौकरियों पर पहला अधिकार यहां के नागरिकों का है।
बढ़ गई पाक-चीन की टेंशन
गौरतलब है कि ट्रंप के आने से पाकिस्तान और चीन की चिंता बढ़ चुकी है। दरअसल, ट्रंप ने पिछले शासन के दौरान पाकिस्तान को मिलने वाली आर्थिक सहायता भी रोक दी थी। इसके अलावा ट्रंप ने चीन के साथ ट्रेड वार की बात की थी। अब एक बार फिर ट्रंप के आने से भारत के पड़ोसी देशों चीन, पाकिस्तान की टेंशन काफी बढ़ चुकी है।
भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है अमेरिका
वहीं, भारत-अमेरिका संबंधों और एच-1बी वीजा पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा,''भारत और अमेरिका के बीच आर्थिक संबंध काफी व्यापक हैं। पिछले साल 2023 में भारत और अमेरिका के बीच करीब 190 अरब डॉलर का व्यापार हुआ, जिसमें सामान और सेवाएं भई शामिल है। अमेरिका भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है।
बड़ी तादाद में भारतीय छात्र वहां पढ़ते हैं और रक्षा प्रौद्योगिकी में अमेरिका और भारत के बीच एक बड़ी निवेश साझेदारी है। हम इन सभी मुद्दों पर उनके साथ अच्छी बातचीत करना चाहेंगे और हमारे संबंध मजबूत हुए हैं।"
क्या है H-1B वीजा प्रोग्राम?
H-1B वीजा प्रोग्राम का मकसद अमेरिका में कुशल श्रमिकों की कमी को दूर करना है। यह उन गैर-आप्रवासी लोगों को मिलता है, जो काम करने के इरादे से अमेरिका जाते हैं। उन्हें ग्रीन कार्ड मिलता है। H-1B वीजा 6 साल के लिए वैध होता है। एच-1बी वीजाधारक शख्स अपने बच्चों और पत्नी के साथ अमेरिका में रह सकता है। वह अमेरिका की नागरिकता के लिए भी अप्लाई कर सकता है।
सबसे ज्यादा भारतीयों को मिलता है H-1B वीजा
अमेरिकी कंपनियों की डिमांड चलते भारत के आईटी प्रोफेशनल को सबसे अधिक H-1B वीजा मिलता है। अमेरिकी सरकार का डेटा भी बताता है कि पिछले कुछ साल में H-1B वीजाधारकों में सबसे ज्यादा भारतीय हैं। वित्त वर्ष 2023 में कुल (3.86 लाख) H-1B स्वीकृत हुए। इसमें से 72.3 फीसदी यानी 2.79 लाख भारतीयों के पास थीं। चीनी कर्मचारी दूसरे स्थान पर थे, जिन्हें कुल H-1B वीजा का 11.7 फीसदी मिला था।
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