विजय वर्मा ने ओटीटी और सिल्वर स्क्रीन पर अपने टैलेंट का परचम लहराया है। आज इसी एक्टिंग टैलेंट के दम पर उन्होंने इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाई है। वहीं उनके दोस्त जयदीप अहलावत का भी सिनेमा की दुनिया में कम योगदान नहीं है। दोनो ने हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान एक दूसरे से जुड़े किस्से शेयर किए।
फिल्म इंडस्ट्री में ऐसी दोस्ती कम ही देखने को मिलती है, जो स्टारडम के बाद भी टिकती है। कुछ ऐसी ही फ्रेंडशिप है एक्टर विजय वर्मा और जयदीप अहलावत की। 'जाने जान' को-स्टार्स की दोस्ती फिल्म इंडस्ट्री में आने के पहले से है। हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान दोनों ने एक दूसरे को लेकर ढेर सारी बातें कीं।
'द हॉलीवुड रिपोर्टर इंडिया' को दिए इंटरव्यू में विजय वर्मा और जयदीप अहलावत ने फिल्म इंडस्ट्री में आने से पहले के समय को लेकर बात की। दोनों की एक दूसरे से दोस्ती फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (FTII) के टाइम से है। जयदीप ने बताया कि पहली बार उन्होंने विजय को एक वर्कशॉप में देखा था।
'आत्मा' बने विजय से पहली बार ऐसे हुई थी मुलाकात
जयदीप ने कहा कि वर्कशॉप में उनकी नजर विजय पर तब पड़ी, जब उन्होंने अचानक से हैदराबादी एक्सेंट में कुछ कहा। तब विजय स्कूल के किसी लड़के की तरह ड्रेस अप होकर आए थे। इस पर विजय ने कहा कि दरअसल, वह (उनकी एक्टिंग टीम) एक तरह की एक्सरसाइज कर रही थी, जिसमें सभी को अपने डायलॉग्स बोलने थे। टास्क था कि बस में घूमने जाने के सीन को इमेजन करते हुए एक्टिंग करनी थी।
विजय ने कहा कि उस टास्क में सभी बच्चे एक दूसरे से बात कर रहे हैं। तभी 2-3 बच्चों के साथ कुछ न कुछ गलत हो रहा था। विजय इस टास्क में 'आत्मा' बने थे। उन्होंने कहा कि वह आत्मा बनकर सबके आसपास घूम रहे थे, लेकिन आसपास के लोग उन्हें नहीं देख सकते क्योंकि उस एक्टिविटी में सबको यह दिखाना था कि उन्होंने आत्मा को नहीं देखा। इसके बाद आखिरी में विजय को एक डायलॉग बोलना होता है, जिसे वह हैदराबादी एक्सेंट में बोलते हैं। एक्टर ने बताया कि उनके बोलने का तरीका ऐसा था कि सभी पेट पकड़कर हंसने लगे थे।
इमोशनल बॉन्डिंग पर कही ये बात
जयदीप और विजय ने एक दूसरे से इमोशनल बॉन्डिंग पर भी बात की। विजय ने कहा कि कई बार एक्टिविटी के दौरान उन्हें सामने किसी को इमेजन करते हुए एक डायलॉग बोलना होता था। कई बार ऐसा हो जाता था कि काल्पनिक दृश्यों में भी वह रियल सिचुएशन इमेजिन करने लगते थे और बहुत कुछ ऐसा कह जाते थे, जो पर्सनल है। जब बाद में एहसास हुआ, तब समझ आया कि वह एक दूसरे के साथ इस बॉन्ड तक आ चुके हैं कि अपनी पर्सनल बातें शेयर कर सकते हैं।
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