भारत और बांग्लादेश के बीच का आखिरी टेस्ट मैच कानपुर के ग्रीन पार्क में खेला गया। बारिश और गीली आउट फील्ड के चलते पहले तीन दिन का खेल नहीं हो सका था। इसके बाद ग्रीनपार्क के ड्रेनेज सिस्टम की खूब आलोचना हुई थी। अब BCCI की तकनीकी टीम ड्रेनेज सिस्टम और सब एयर सिस्टम को लेकर प्रस्ताव बना रही है। इसके तहत चिन्नास्वामी की सुविधाए ग्रीनपार्क में लगाई जाएंगी।
कानपुर। भारत और बांग्लादेश टेस्ट मैच में ढाई दिन का खेल बारिश के कारण नहीं हो पाने के बाद स्टेडियम का ड्रेनेज सिस्टम सवालों के घेरे में खड़ा हो गया था। हालांकि, चौथे और पांचवें दिन पूरा हुआ और निर्णय भारत के पक्ष में रहा। मैच पूरा हो जाने के बाद अब प्रशासन, यूपीसीए और खेल विभाग की ओर से पूरे स्टेडियम में ड्रेनेज सिस्टम की योजना बनाई जा रही है
इसमें चेन्नई के चिन्नास्वामी स्टेडियम की तरह ही ग्रीनपार्क में सब-सरफेस एरिएशन और वैक्यूम-पावर्ड ड्रेनेज सिस्टम लगाने के लिए बीसीसीआई की तकनीकी टीम की ओर से प्रस्ताव बनाया जा रहा है। इसमें भारी वर्षा के बाद भी स्टेडियम 15 मिनट में ही मैच के लिए तैयार हो जाएगा। पिच से लेकर बाउंड्री तक का क्षेत्र पूरी तरह से पहले जैसा हो जाएगा।
यूपीसीए और खेल विभाग के अधिकारियों ने की बैठक
सात अक्टूबर को मंडलायुक्त अमित गुप्ता ने यूपीसीए और खेल विभाग के पदाधिकारियों के साथ बैठक कर ग्रीनपार्क में ड्रेनेज सिस्टम और तीन मंजिला गैलरी बनाने की योजना बनाई थी। जिसके लिए यूपीसीए को आर्किटेक्ट और कंसल्टेंट उपलब्ध कराने के लिए निर्देशित किया था। यूपीसीए अब विशेषज्ञों की सलाह पर स्टेडियम में सब-सरफेस एरिएशन और वैक्यूम-पावर्ड ड्रेनेज सिस्टम लगाने पर विचार कर रहा है।
सरफेस ड्रेनेज सिस्टम का होगा उपयोग
इसमें वर्षा के बाद दस हजार लीटर प्रति मिनट की तेजी से पानी मैदान से बाहर निकलता है। बीसीसीआई के कंसल्टेंट क्यूरेटर शिव कुमार ने बताया कि भारत के अधिकांश मैदानों की आउटफील्ड में वर्षा के पानी को तत्काल सोखकर बाहर निकासी के लिए नाली में जाता है। इस तकनीक को सरफेस ड्रेनेज सिस्टम कहा जाता है, इस तकनीक की अति आधुनिक तकनीक में अब सब एयर सिस्टम को भी लगाया जा रहा है।
चिन्नास्वामी और हिमाचल में लगी यह तकनीक
भारत में अभी तक सिर्फ चिन्नास्वामी स्टेडियम तथा हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला स्टेडियम में ही यह सिस्टम लगाया गया है। इसमें सरफेस ड्रेनेज सिस्टम के साथ सब एयर सिस्टम की विशेषता है कि वर्षा का पानी तो आउटफील्ड सोख कर बाहर कर देती है, इसके साथ ही आउटफील्ड की घास को सब एयर सिस्टम में नीचे से हवा द्वारा तत्काल सोख लिया जाता है। इस तकनीक में विशेष प्रकार के जियो फैब्रिक क्लाथ तथा विशेष प्रकार के सरफेस मेटेरियल का प्रयोग किया जाता है।
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