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अफ्रीका से होते हुए पाकिस्तान बांग्लादेश व थाईलैंड जैसे देशों में संक्रामक मंकी पॉक्स के मरीज मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने सतर्कता बढ़ा दी। मंगलवार से पटना के लोकनायक जयप्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट व गया के अंतराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर विदेशों से आने वाले लोगों की स्क्रीनिंग शुरू हो जाएगी। दोनों एयरपोर्ट पर बैनर के साथ मे आई हेल्प यू डेस्क लगाकर चिकित्साकर्मियों की प्रतिनियुक्ति की गई है

पटना। मंकी पॉक्स के आशंका होने पर रोगियों के नमूने लेकर जांच के लिए एम्स दिल्ली या कोलकाता स्थित नशेनल इंस्टीट्यूट आफ कालरा एंड इंटेरिक डिजीज भेजा जाएगा। यह जानकारी इंटीग्रेटेड डिजीज सर्विलांस प्रोग्राम के राज्य सर्वेक्षण पदाधिकारी डा. रणजीत कुमार ने दी।

सिविल सर्जन डॉ. मिथिलेश्वर कुमार के निर्देश पर राज्य स्वास्थ्य समिति ने मे आय हेल्प यू डेस्क के लिए दो बड़े बैनर बनवाने के साथ ड्यूटी रोस्टर जारी कर दिया है।

ये चिकित्साकर्मी चेहरे, हाथ-पैर, जननांग आदि पर रैशेस, मुंह, गले, आंख, निजी अंगों पर रैशेस, लिम्फ नोड्स में सूजन, बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में ऐंठन आदि होने पर मरीज को आशंकित रोगी मानते हुए जांच के लिए नमूना लेंगी।

विदेश से आने वाले भरें सेल्फ डिक्लेरेशन फार्म

डॉ. रणजीत कुमार ने सिविल सर्जनों का भेजे निर्देश में कहा कि अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर गत 21 दिन में विदेशों से आने वाले यात्रियों की हिस्ट्री ली जाए व उनसे सेल्फ डिक्लेरेशन फार्म भरवाया जाए। इनलैंड नेविगेशन अथारिटी गायघाट से मिलकर शिप से आने वाले विदेशी यात्रियों की भी निगरानी की जाए।

आइडीएच पटन, एनएमसीएच, एएनएमसीएच गया में मंकीपॉक्स आशंकितों व पुष्ट मरीजों के लिए पांच-पांच बेड का आइसोलेशन वार्ड बनाया जाए। चर्म रोग विशेषज्ञों को इनका नोडल पदाधिकारी बनाया जाए।

पांच देशों में विदेशी नागरिकों से फैला

दक्षिण अफ्रीका, केन्या, रवांडा, युगांडा, कांगो, लोकतांत्रिक गणराज्य, बुरुंडी, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, कांगो-ब्रेजाविल, कैमरून, नाइजीरिया, आइवरी कोस्ट, लाइबेरिया, स्वीडन, पाकिस्तान, बांग्लादेश फिलीपीन्स व थाईलैंड में मंकी पॉक्स के मामले सामने आ चुके हैं।

स्वीडन, पाकिस्तान, बांग्लादेश, फिलीपींस व थाईलैंड में यह रोग विदेशी नागरिकों से फैला है। भारत के केरल में मार्च 2024 को जो मंकी पॉक्स का रोगी आया था, वह भी विदेश से लौटा था।

क्या है मंकीपॉक्स

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 14 अगस्त को जिस मंकी पॉक्स को पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया है, वह भले ही उसकी संक्रामक दर कोरोना जितनी नहीं हो लेकिन यह दुर्लभ संक्रामक रोग है।

चेचक के वैरियोला वायरस के जींस आर्थोंपॉक्स वायरस से संबंधित है। इसका पहला मामला 1958 में बंदरों में पाया गया था, इसलिए इसका नाम मंकीमाक्स पड़ा। यह रोग छोटे जानवरों जैसे चूहे, गिलहरी आदि से इंसानों को होता है।

एक से 10 प्रतिशत के बीच मृत्युदर

मंकी पॉक्स के लक्षण बुखार, सिर-पीठ में दर्द, मांसपेशियों में ऐंठन, ठंड लगना, कमजोरी-थकावट व लिम्फ नोड्स में सूजन हैं जैसा कि कमोवेश चेचक में होता है।

बुखार के 1 से 3 दिनों के बाद चेहरे पर लाल दाने निकलते हैं जो पूरे शरीर में फैलते हुए फफोले में बदल जाते हैं। ये लक्षण 2 से 4 सप्ताह तक रह सकते हैं। इसमें रोगी की मृत्युदर एक से 10 प्रतिशत तक हो सकती है। यह कोरोना की तरह हवा से नहीं फैलता। संक्रमित के निकट संपर्क या उसके इस्तेमाल की चीजों से फैलता है।