Skip to main content

RBI MPC Meet 2024: UPI से टैक्स पेमेंट लिमिट में हुई बढ़ोतरी, जल्द मिलेगी डेलिगेटेड पेमेंट्स की भी सुविधा

आरबीआई गवर्नर ने बताया कि एमपीसी समिति में रेपो रेट को स्थिर रखने का फैसला लिया है। इसके अलावा भी कई बड़े फैसले लिए हैं। आज आरबीआई गवर्नर ने एमपीसी बैठक में लिए गए फैसलों का एलान किया है। गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि यूपीआई के जरिये टैक्से पेमेंट लिमिट को 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिए गए हैं।

दिल्ली:-इसके अलावा भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने यूपीआई के जरिये टैक्स पेमेंट की सीमा बढ़ाने की घोषणा की। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने बताया कि यूपीआई अपनी सहज सुविधाओं से भुगतान का सबसे पसंदीदा तरीका बन गया है। वर्तमान में, यूपीआई के लिए टैक्स पेमेंट की सीमा एक लाख रुपये है।

दास ने कहा कि विभिन्न उपयोग-मामलों के आधार पर रिजर्व बैंक ने समय-समय पर पूंजी बाजार, आईपीओ अभिदान, लोन कलेक्शन, बीमा, चिकित्सकीय और शैक्षिक सेवाओं आदि जैसी कुछ श्रेणियों के लिए सीमाओं की समीक्षा की है और उन्हें बढ़ाया है।

एमपीसी बैठक के फैसलों का एलान करते हुए दास ने कहा कि चूंकि प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर भुगतान सामान्य, नियमित तथा उच्च मूल्य के हैं। इसलिए यूपीआई के जरिये कर भुगतान की सीमा को एक लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख प्रति लेनदेन करने का निर्णय लिया गया है। टैक्स पेमेंट को लेकर आवश्यक निर्देश अलग से जारी होंगे।

जल्द शुरू होगी डेलिगेटेड पेमेंट्स

आरबीआई के अनुसार यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) का उपयोगकर्ता आधार 42.4 करोड़ हो गया है। हालांकि, उपयोगकर्ता आधार के और विस्तार की संभावना है। यूपीआई में ‘डेलिगेटेड पेमेंट्स’ शुरू करने का भी प्रस्ताव है।

शक्तिकांत दास ने कहा कि ‘डेलिगेटेड पेमेंट्स’ से एक व्यक्ति (प्राथमिक उपयोगकर्ता) को प्राथमिक उपयोगकर्ता के बैंक खाते पर किसी अन्य व्यक्ति (द्वितीयक उपयोगकर्ता) के लिए यूपीआई लेनदेन सीमा निर्धारित करने की अनुमति मिलेगी।

इससे देशभर में डिजिटल भुगतान की पहुंच और उपयोग में वृद्धि होने की उम्मीद है। इस संबंध में भी विस्तृत निर्देश जल्द ही जारी किए जाएंगें। इसके साथ ही आरबीआई ने अनधिकृत कंपनियों की जांच के लिए डिजिटल लोन देने वाले ऐप के सार्वजनिक तौर पर आंकड़े तैयार करने का प्रस्ताव दिया है।

इसके अलावा गवर्नर दास ने कहा कि ग्राहकों के हितों की सुरक्षा, डाटा गोपनीयता, ब्याज दरों तथा वसूली प्रक्रियाओं, गलत बिक्री आदि पर चिंताओं से निपटने के लिए दिशानिर्देश दो सितंबर, 2022 को जारी किए गए थे। हालांकि, मीडिया की खबरों ने डिजिटल लोन देने में बेईमान कंपनियों की मौजूदगी को उजागर किया है जो आरबीआई (आरई) से संबद्ध होने का झूठा दावा करती हैं।