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नैनीताल आने वाले पर्यटक अब नहीं देख पाएंगे Tiffintop, भारी भूस्खलन से डोरथी सीट का अस्तित्व खत्म

सरोवर नगरी के संवेदनशील टिफिनटॉप में मंगलवार रात भारी भूस्खलन हुआ है। टिफिनटॉप नैनीताल का प्रसिद्ध पर्यटन स्थल हैं। यहां रोजाना पर्यटक ट्रेकिंग कर पहुंचते हैं। इस क्षेत्र के नीचे प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान व आबादी है। दो साल पहले भी भूस्खलन हुआ था। तब प्रशासन की टीम ने क्षेत्र का निरीक्षण किया था। टिफिन आकार की वजह से इस चट्टान का नाम टिफिनटॉप है।

नैनीताल:-सरोवर नगरी के संवेदनशील टिफिनटॉप में मंगलवार रात भारी भूस्खलन हुआ है। यहां विशालकाय बोल्डरों की आवाज सुन लोग भी दहशत में आ गए हैं। प्रभावितों के अनुसार भूस्खलन से ऐतिहासिक डोरथी सीट का अस्तित्व खत्म हो गया है ।

टिफिनटॉप नैनीताल का प्रसिद्ध पर्यटन स्थल हैं। यहां रोजाना पर्यटक ट्रेकिंग कर पहुंचते हैं। इस क्षेत्र के नीचे प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान व आबादी है।

दो साल पहले भी भूस्खलन हुआ था। तब प्रशासन की टीम ने क्षेत्र का निरीक्षण किया था। क्षेत्र में तारबाड़ कर आवाजाही रोक दी थी, लेकिन फिर हालात सामान्य होने पर आवाजाही फिर शुरू कर दी गई है। क्षेत्र के दुकानदार दिनेश सुंठा ने बताया कि रात करीब 11 बजे भारी भूस्खलन हुआ है। जिससे टिफिनटॉप की चट्टान दरक गई।

अंग्रेज महिला की याद में नैनीताल का यह टॉप कहलाया डोरोथी सीट

जमाना दशकों पीछे छूट गया है लेकिन किस्से हमेशा अतीत की परछाई बनकर वर्तमान के साथ चलते रहते हैं। अंग्रेज महिला की याद में नैनीताल की पहाड़ी या चट्टान डोरोथी सीट के रूप में प्रसिद्ध है। नैनीताल शहर को अंग्रेजों ने बसाया। शहर की भूगर्भीय संवेदनशीलता को देखते हुए सुरक्षा के उपाय भी

 

इन्हीं में से एक है टिफिन टॉप। इसे डोरोथी सीट भी कह सकते हैं। इसके पीछे जुड़ी है एक अंग्रेज महिला यानी डोरोथी की स्मृतियां हैं। इतिहासकार प्रो अजय रावत के अनुसार समुद्रतल से 7520 फीट की ऊंचाई पर स्थित टिफिन टॉप प्राकृतिक सुंदरता का खजाना है। ऊंचे देवदार व बाज के वृक्ष इस स्थान को रमणीक बनाते हैं तो शीतल हवा दिल को सुकून पहुंचाती है।

अंग्रेज इस स्थान के मुरीद

पहाड़ का टॉप होने के साथ नैनीताल के शानदार दर्शन कराने वाले इस स्थान के अंग्रेज इस कदर मुरीद हुए कि शहर के आखिरी छोर पर चार किमी की खड़ी चढ़ाई पार कर इसे पिकनिक स्पॉट बना दिया और नाम दिया टिफिन टॉप। इतिहासकारों की मानें तो चित्रकारी करने वाली अंग्रेज महिला डोरोथी केलेट को यह स्थल बेपनाह पसंद था। वह अक्सर ऊंची चढ़ाई पार कर टिफिन टॉप पहुंचतीं और वहां बैठकर कागज पर नैसर्गिक सुंदरता को उकेरा करतीं।

दुर्भाग्य से इसी स्थान पर पैर फिसलकर खाई में गिरने से उनकी मौत हो गई। डोरोथी की याद में उनके पति कर्नल जेपी केलेट समेत उनके परिजनों ने स्मृति स्थल बनाया और तब से इस स्थान को डोरोथी सीट भी कहा जाने लगा। पर्यटन सीजन हो या ऑफ सीजन हजारों पर्यटक टिफिनटॉप तक ट्रेकिंग कर जाते हैं। यहां बारापत्थर से या अयारपाटा से भी आवागमन होता है।

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