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दिल्ली न्यूज़: बांग्लादेश में हिंसक प्रदर्शन के कारण 300 करोड़ का कारोबार ठप, स्कूटर-पार्ट्स मार्केट चिंतित

बांग्लादेश Violent Protests बांग्लादेश में आरक्षण विरोधी प्रदर्शन और हिंसक झड़पों के बीच सोमवार को तख्तापलट हो गया। प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस्तीफा दे दिया और राजधानी ढाका छोड़ दिया। फिलहाल वह भारत में हैं। बांग्लादेश की हिंसा का असर अब भारतीय बाजार पर पड़ने लगा है। करोलबाग का थोक स्कूटर पार्ट्स मार्केट चिंतित हैं। अभी व्यापारियों का 50 करोड़ रुपये बकाया है

नई दिल्ली:- बांग्लादेश में हिंसा व अस्थिरता से करोलबाग का थोक स्कूटर पार्ट्स मार्केट चिंतित हैं। इस मार्केट में 40 हजार से अधिक कारोबारी प्रतिष्ठान हैं और यहां से दो पहिया व तीन पहिया वाहनों के पार्ट्स बांग्लादेश  के साथ ही नेपाल, श्रीलंका, इजिप्ट समेत 20 से अधिक देशों के होते हैं।

बाजार से जुड़े लोगों ने बताया कि इस बाजार के कई थोक दुकानदारों का पैसा हालिया घटनाक्रम के चलते वहां के डीलरों के पास फंसा हुआ है, जो 50 करोड़ रुपये से अधिक का है। वहां के डीलरों ने यहां के व्यापारियों का फोन उठाना बंद कर दिया है या मौजूदा स्थिति का हवाला देते हुए बकाया भुगतान से आनाकानी कर रहे हैं।

15-20 दिनों से बने हैं ये हालात

यह स्थिति 15-20 दिनों से बनी हुई है। जिसके चलते इस बाजार का बांग्लादेश के साथ 300 करोड़ रुपये से अधिक का सालाना कारोबार ठप है। चिंता यह है कि पड़ोसी मुल्क की अस्थिरता तक यह स्थिति बनी रह सकती है।

दिल्ली स्कूटर ट्रेड एसोसिएशन के एडवाइजरी बोर्ड के सदस्य गुरदीप कक्कड़ के अनुसार बांग्लादेश में स्कूटर, मोटरसाइकिल व तीन पहिया वाहनों के उपकरण की पूर्ति में यह बाजार प्रमुख है।

15 सालों से बांगलादेश में उपकरणों की बढ़ी निर्यात

करीब 15 सालों से वहां उपकरणों की निर्यात बढ़ी है। मौजूदा समय में 100 से अधिक कारोबारी प्रतिष्ठानों से 300 करोड़ रुपये सालाना से अधिक का कारोबार वहां से होगा। यहां से हेल्मेट, इंडिकेटर, प्लास्टिक के उपकरण समेत अन्य जाते हैं। उसके लिए वहां के डीलर इस बाजार आते हैं। एक दुकानदार ने बताया कि बांग्लादेश से अंतिम डीलर कोई 20 दिन पहले आया था।

इसी तरह कश्मीरी गेट आटो पार्ट्स मार्केट से भी कार संबंधित उपकरण बांग्लादेश जाते हैं। आटोमोटिव पार्ट्स मर्चेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष विनय नारंग के अनुसार वहां से कारोबार नाम मात्र का है, क्योंकि वहां के डीलरों का भुगतान में रवैये संतुष्ट करने वाला नहीं होता है। इसलिए उन्होंने इस मामले में कोलकाता को ठिकाना बनाया हुआ है।

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