- Delhi Rain: मानसून में अब तक 20 से ज्यादा लोगों की गई जान, आरोप-प्रत्यारोप में उलझीं एजेंसियां
देश की राजधानी दिल्ली में जब गर्मी सितम ढाहती है तो यहां के रहने वाले लोग मानसून का इंतजार करते हैं कि बारिश होगी तो राहत मिलेगी। लेकिन हर साल दिल्ली में मानसून जानलेवा बन जाती है। अगर इस वर्ष की बात करें तो अभी तक 20 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। कोई समाधान होने के बजाय। सब एक-दूसरे पर आरोप लगाने में व्यस्त हैं।
- करंट लगने से तीन लोगों की हुई मौत, मानसून में अब तक 20 से ज्यादा लोगों की जा चुकी है जान।
- बुधवार की रात को ढाई बजे करीब बंद हुई वर्षा फिर भी सुबह तक सड़कों पर जमा था पानी।
नई दिल्ली:-राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में मानसून का इंतजार लोग गर्मी से राहत के लिए इंतजार करते हैं। वहीं मानसून दिल्ली में जानलेवा बन जाता है। जब-जब दिल्ली में तेज वर्षा होती है तो लोगों की कभी करंट लगने से तो कभी जलभराव में डूबने से मौत होने की सूचना आने लग जाती है। इतना ही नहीं आरोप प्रत्यारोप पर पूरा मुद्दा राजनीति में फंसकर रह जाता है। पहले नेता और अब एजेंसियां भी इसी ट्रेक पर आ गई है।
खोड़ा के पास डीडीए और एमसीडी एक बच्चे और महिला की मौत पर एक दूसरे को ही जिम्मेदार बता रहे हैं। नतीजतन राजधानी में वर्षा होती है तो समस्या और विकराट हो जाती है। बुधवार को हुई तेज वर्षा में लोग परेशान तो हुए ही वहीं रात ढाई-तीन बजे वर्षा बंद होने के बाद भी बृहस्पतिवार को लोग जलभराव के कारण परेशान हुए। झिलमिल से लेकर किशनगंज, पांडव नगर, जीटी करनाल रोड मुकरबा चौक जैसे इलाकों के साथ ही आईटीओ के विकास मार्ग पर पानी जमा रहा।
जिससे लोगों को परेशानी हुई। वहीं, वर्षा और नागरिकों व एजेंसियों की लापरवाही के कारण करंट लगने से तीन लोगों की मृत्यु भी दर्ज की गई है। इसमें बिंदापुर में 12 वर्षीय बच्चे की मौत हुई है। तो संगम विहार में जलभराव में करंट आने की वजह से 18 वर्षीय युवक और मीठापुर में पानी की टंकी में अलार्म में करंट की चपेट में आने से 28 वर्षीय व्यक्ति की मौत हो गई।
बुधवार को नौकरीपेशा लोग अंडरपास और प्रमुख मार्गों पर जलभराव (Delhi Water logging) के कारण यातायात जाम में फंसे थे तो बृहस्पतिवार को दफ्तर या अन्य कामों पर निकलने के लिए पहले यह पता करते हुए नजर आए कि रास्तों पर कहीं जलभराव तो नहीं है। एहतियात बरतते हुए लोग अपने गतंव्य के लिए निकले। फिर भी कई स्थानों पर जलभराव होने की वजह से परेशान हुए।
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विशेषज्ञों के अनुसार वर्षा होने पर पानी एकत्रित हो लेकिन वह दो घंटे के भीतर निकल जाए माना जाता है कि जल निकासी की व्यवस्था काफी हद तक ठीक है, लेकिन कई स्थानों पर सुबह 10-11 बजे तक जलजमाव रहा। इसकी वजह से लोगों ने यातायात जाम का भी सामना किया। यह हालत तब है कि जबकि जलभराव के कारण लोगों की जान तक जा रही है। समाधान निकालने की बजाय एजेंसिया आरोप प्रत्यारोप में जुटी है। इसकी वजह से समाधान की बात अब भगवान भरोसे हो गई है।
जलभराव से विकास मार्ग यातायात बंद करने आ जाती है नौबत
राजधानी दिल्ली में आइटीओ पर विकास मार्ग के दोनों तरफ के रास्ते जलभराव की वजह से बंद करने की नौबत अब आने लगी है। जबकि यह मार्ग पूर्वी दिल्ली और मध्य दिल्ली को जोड़ने वाले प्रमुख मार्गों में से एक हैं। बावजूद इसके यहां पर हो रहे जलभराव के समाधान के लिए प्रशासन गंभीर नहीं है।
पिछले वर्ष बाढ़ की वजह से नाले का पानी इस सड़क पर आ गया था। जिसकी वजह से इस मार्ग को दिनभर के लिए भी बंद करना पड़ा था इतना ही नहीं कई दिनों तक यह जलभराव का पानी जमा रहा था। अब यहां पर वर्षा के कारण जलभराव दो-ढाई फिट तक पानी जमा होने लगा है। जिसकी वजह से वाहनों के खराब होने तक की समस्या है। बुधवार की वर्षा के बाद बृहस्पतिवार की सुबह भी यहां पानी जमा था।
जबकि पीडब्ल्यूडी के अधिकारी इस जलभराव के लिए जहां एमसीडी के ड्रेन नंबर 12 की सफाई न होने की वजह से समस्या बता रहे हैं, जबकि एमसीडी का कहना है कि रोड पीडब्ल्यूडी की है तो जल निकासी की जिम्मेदारी उन्हीं की है। जलभराव की बड़ी वजह रिंग रोड पर डब्ल्यूएचओ इमारत के पास जलभराव होता था जलभराव को रोकने के लिए दो वर्ष पहले वहां पर सड़क का स्तर ऊंचा कर दिया गया। इसकी वजह से वह पानी भी आइटीओ की तरफ आ जाता है। जिससे समस्या विकट हो जाती है।
वर्षा में फिर से बह गई नाले से निकाली गई गाद
दिल्ली में वर्षा के कारण एक तो नालों से गाद निकालने की औपचारिकता होती है कुछ जगह सफाई हो भी जाए तो निकाली गई गाद भी नहीं उठती है। ऐसी ही स्थिति निजामुद्दीन के पास बारापुला नाले के पास दिखी। यहां पर गाद नहीं उठाई गई।
पांच दिन से यहां गाद जिसकी वजह से बुधवार को हुई वर्षा में निकाली गई गाद का बड़ा हिस्सा फिर से नाले में ही चला गया। जबकि यह नाला बहुत ही महत्वपूर्ण है। जंगपुरा से लेकर लाजपत नगर जैसे प्रमुख इलाकों में जल निकासी का यह प्रमुख जरिया है। बुधवार को वर्षा के कारण डिफेंस कालोनी से लेकर जंगपुरा, लाजपत नगर और लोधी रोड जैसे इलाकों में जलभराव की स्थिति उत्पन्न हो गई
मिंटो ब्रिज से लेकर जखीरा अंडरपास का नहीं निकला समाधान
दिल्ली में मिंटो ब्रिज 30 साल से ज्यादा से जलभराव हो रहा है। संसद भवन से लेकर दिल्ली सचिवालय से मात्र कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर बने इस ब्रिज पर जलभराव का कोई समाधान नहीं निकल पाया है। जलभराव में वाहन डूबने और लोगों की जान जाने की कई घटनाएं जबकि इसमें हो चुकी है। पर यहां पर जलभराव नहीं बंद हुआ।
300 मीटर लंबे इस मार्ग पर तीन प्रमुख एजेंसियों की जिम्मेदारी है। जिसमें पीडब्ल्यूडी से लेकर नई दिल्ली नगरपालिका परिषद औऱ रेलवे शामिल है। यह सभी एजेंसिया अभी तक इस जलभराव को बंद नहीं कर पाई है। मिंटो ब्रिज का निर्माण 1905 से लेकर 1910 के बीच में हुआ। ऐसी ही स्थति जरीखा से लेकर किशनंगज रेल अंडर ब्रिज की है। जहां पर कई वर्षों जलभराव हो रहा है।
जल निकासी को दुरुस्त करने पर नहीं दिया जा रहा है ध्यान
जलभराव का प्रमुख कारण वर्षा जल निकासी की पर्याप्त व्यवस्था न होना है। वर्षा से पहले जिन एजेंसियों को वर्षा के हिसाब से नालों की चौड़ाई और गहराई तैयार करनी चाहिए लेकिन हर वर्ष एजेंसिया न तो नाले की सफाई करती हैं और नही नए सिरे से इन नालों का निर्माण करती हैं।
जिसकी वजह से यह समस्या है। अगर, कुछ काम होता भी है तो सिर्फ चलताउ हैं। जिसकी वजह से समस्या का स्थायी समाधान नहीं होता है। डब्ल्यूएचओ के पास होने वाला जलभराव इसका सटीक उदाहरण है।
लुटियंस दिल्ली में जलनिकासी भी हो रही है ध्वस्त
बुधवार की वर्षा के दौरान कनाट प्लेस से लेकर पटियाला हाउस , लोधी कालोनी, गोल्फ लिंक, लक्ष्मीबाई और चाणक्यपुरी जैसे अन्य इलाकों में जलजमाव हुआ। यह स्थिति तब है कि एनडीएमसी के जलनिकासी के लिए अलग व्यवस्था है।
साथ ही इसकी सफाई भी अन्य क्षेत्रों की तुलना में ज्यादा सही होती है। पर स्थिति यहां पर विकट हो रही है। घुटनों से ज्यादा पानी सड़कों पर जमा हो रहा है। जिसकी प्रमुख वजह है कि एनडीएमसी के नाले जहां जाकर गिरते हैं वहां पर आगे सफ
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