हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि को महत्वपूर्ण माना गया है। अमावस्या का दिन गंगा स्नान पितृ तर्पण पितृ पूजा पिंड दान और ब्राह्मणों को भोजन कराने के लिए उत्तम माना जाता है। साथ ही भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करने का विधान है। धार्मिक मान्यता है कि इन शुभ कार्यों को करने से जातक को जीवन में शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं
बरेली।: हिंदू नववर्ष के तीसरे महीने में ज्येष्ठ अमावस्या का पर्व मनाया जाता है। इस साल ज्येष्ठ अमावस्या 06 जून (Kab Hai Amavasya 2024) को पड़ रही है। अमावस्या का दिन गंगा स्नान, पितृ तर्पण, पितृ पूजा, पिंड दान और ब्राह्मणों को भोजन कराने के लिए उत्तम माना जाता है। साथ ही भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करने का विधान है। धार्मिक मान्यता है कि इन शुभ कार्यों को करने से जातक को जीवन में शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं। अमावस्या पर पितृ तर्पण करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और जीवन सुखमय होता है। आइए जानते हैं अमावस्या पर कैसे करना चाहिए पितृ तर्पण?
ज्येष्ठ अमावस्या 2024 डेट और शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि की शुरुआत 05 जून को रात 07 बजकर 54 मिनट पर होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 06 जून को शाम 06 बजकर 07 मिनट पर होगा। ऐसे में 06 जून को ज्येष्ठ अमावस्या को मनाई जाएगी।
ज्येष्ठ अमावस्या 2024 पितृ तर्पण विधि
ज्येष्ठ अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठें और दिन की शुरुआत देवी-देवता के ध्यान से करें। इसके बाद स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें। अब एक लोटे में जल, फूल और तिल डाल लें। इसे पितरों को अर्पित करें। इसके बाद गाय के गोबर से बने उपले, खीर, गुड़ और घी अर्पित करें। इस तिथि पर श्रद्धा अनुसार वस्त्र, अन्न और धन का गरीबों में दान करना चाहिए।
पितृ दोष दोष के मंत्
- ॐ आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि।
- शिव-शक्ति-स्वरूपेण पितृ-देव प्रचोदयात्’।
पितृ गायत्री मंत्र
- ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्।
- ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च। नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:।
- ॐ आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि। शिव-शक्ति-स्वरूपेण पितृ-देव प्रचोदयात्।
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