केंद्रीय एजेंसियों को शक है भारत के 11 बड़े शहरों व छह देशों में लॉरेंस बिश्नोई मजबूत पकड़ बना चुका है। उसके गैंगस्टर इन जगहों पर सक्रिय हैं। अलग-अलग राज्यों व देशों की कमान लॉरेंस के अलग-अलग साथी गैंगस्टर संभाल रहे हैं। लॉरेंस गिरोह के इंटरनेट मीडिया विंग को हैंडल करने वाले गुर्गे फेसबुक व इंस्टाग्राम पेज आदि के जरिये युवाओं को लालच देकर गिरोह में भर्ती कर रहे हैं।
नई दिल्ली। हाल के वर्षों में देश के हर बड़े शहरों में हो रही हाई प्रोफाइल लोगों की हत्या के मामले में कुख्यात गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई का नाम जुड़ने से यह बात साफ हो गई कि उसका साम्राज्य अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम की तरह तेजी से फैलता जा रहा है। राज्यों की पुलिस व केंद्रीय एजेंसियां इसके बढ़ते आतंक पर अंकुश लगाने में नाकाम साबित हो रही हैं।
मुंबई में अभिनेता सलमान खान के घर के बाहर फायरिंग कराने से लेकर यूपी के माफिया अतीक अहमद व अशरफ की हत्या कराने, पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या कराने व दिल्ली में जिम संचालक नादिर शाह की हत्या कराने के बाद अब महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री व राकांपा नेता बाबा सिद्दीकी की हत्या में भी लॉरेंस का नाम जुड़ने से पुलिस व केंद्रीय एजेंसियों के अलावा सरकार पर भी सवाल उठने लगे हैं।
मुंबई में भी पैर फैलाना किए शुरू
एजेंसियों की मानें तो दिल्ली, हरियाणा, पंजाब व राजस्थान के बाद लॉरेंस अब आर्थिक नगरी मुंबई में भी अपने पैर फैलाना शुरू कर चुका है, ताकि दाऊद के बचे-खुचे वर्चस्व को खत्म कर वहां रंगदारी रैकेट चला सके। बाबा सिद्दीकी की हत्या के पीछे जांच एजेंसियों का कहना है कि लॉरेंस ने दाऊद व सलमान खान के करीबियों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है।
सिद्दीकी हत्याकांड में लॉरेंस से होगी पूछताछ
सिद्दीकी की हत्या के पीछे सलमान से उनकी नजदीकी कारण बनी या किसी मसले को लेकर निजी दुश्मनी व अन्य विवाद इसकी जांच के लिए स्पेशल सेल के साथ मुंबई पुलिस गुजरात के साबरमती जेल में बंद लॉरेंस से संयुक्त रूप से पूछताछ करेगी। क्योंकि मुंबई पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए दो शूटर्स ने लॉरेंस के गुर्गे होने का दावा किया है।
खुली सेल में रहता है लॉरेंस
स्पेशल सूत्रों की मानें तो साबरमती जेल के जिस सेल में लॉरेंस को रखा गया है, वह खुली सेल है जिसमें गार्डन भी बना है। जहां वह अकेला घूमता रहता है। ऐसी सुविधाएं क्यों यह भी एक बड़ा सवाल है।
इन राज्यों और देशों में फैला साम्राज्य
पुलिस व जांच जांच एजेंसियों की विफलता ही कहा जाए कि एक दशक में देश के नए डॉन लॉरेंस ने अपने जुर्म का साम्राज्य भारत के 11 राज्यों व विदेश के छह देशों तक फैला लिया है। दिल्ली, हरियाणा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार, बंगाल, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, झारखंड व गुजरात के अलावा कनाडा, यूएसए, अजरबैजान, पुर्तगाल, यूएई व रशिया में लॉरेंस व गोल्डी बराड़ के गुर्गे कई वारदात को अंजाम दे चुके हैं।
कैसे चलता है लॉरेंस का गैंग
एजेंसियों की मानें तो कनाडा, पंजाब व दिल्ली की कमान लॉरेंस व गोल्डी संभाल रहे हैं। राजस्थान, मध्यप्रदेश व यूएसए की कमान लॉरेंस के गठजोड़ वाले राजस्थान का गैंगस्टर रोहित गोदारा, पुर्तगाल, यूएई, दिल्ली-एनसीआर, महाराष्ट्र, बिहार, बंगाल की कमान लॉरेंस का भाई अनमोल बिश्नोई के पास है। हरियाणा व उत्तराखंड की कमान काला जठेड़ी के पास है। लेकिन, सभी हर मसले की रिपोर्ट लॉरेंस को करते बलकार
इंटनरेट के जरिए गुर्गे तलाशते हैं युवाओं को
स्पेशल सेल सूत्रों की मानें तो लॉरेंस ने अपना इंटरनेट मीडिया विंग बना रखा है। इस विंग को हैंडल करने वाले दर्जनों गुर्गों ने दुर्लभ कश्यप नाम से फेसबुक व इंस्टाग्राम पेज बना रखा है, जिसके जरिये गुर्गे ऑनलाइन भर्ती के लिए ऐसे युवाओं की तलाश करते हैं जो लालच में आकर गिरोह में भर्ती होना चाहते हैं।
वफादारी का मांगा जाता है सबूत
गिरोह में शामिल होने वाले युवाओं का ब्रेनवॉश कर गुर्गे उन्हें अत्याधुनिक हथियार व वाहन मुहैया कराने के बाद उन्हें पहले वफादारी का सुबूत देने के लिए कहा जाता है और काम देकर उनसे बड़ी-बड़ी वारदातें कराई जाती हैं, ताकि पकड़े व मारे जाने पर लॉरेंस का नाम न आ पाए।
एक समय में बोलती थी दुर्लभ कश्यप की तूती
मध्यप्रदेश के मालवा में वर्षों पूर्व देश के सबसे कम उम्र का खूंखार गैंगस्टर दुर्लभ कश्यप की तूती बोलती थी। उसकी अपनी उम्र से ज्यादा लंबी जुर्म की फेहरिस्त थी। दुर्लभ कश्यप और उसके गिरोह के सदस्य आंखों में सुरमा (काजल), माथे पर लाल तिलक और कंधे पर गमछा डालकर चलते थे। गिरोह का नारा था महाकाल। बिल्कुल उसी तर्ज पर लॉरेंस का नारा है जय बलकारी
गैंगवार में मारा गया दुर्लभ
2001 में पैदा हुआ दुर्लभ महज 20 साल की उम्र में 2020 में उज्जैन में अपने विरोधी गिरोह रमीज के साथ गैंगवार में मारा गया। लेकिन, इंटरनेट मीडिया पर दुर्लभ कश्यप आज तक जिंदा है। उस समय भी दुर्लभ कश्यप से प्रभावित होकर नाबालिग और युवा उसके गिरोह में शामिल होकर बड़े गुंडे बनना चाहते थे। बिल्कुल उसी तर्ज पर अब नाबालिग व युवा लॉरेंस से जुड़ते जा रहे हैं, लेकिन सरकार व पुलिस इस पर अंकुश नहीं लगा पा रही है।
गरीबी व शिक्षा के अभाव में युवाओं को अपराध के रास्ते पर जाने से रोकने के लिए राज्यों की पुलिस कागजों में तो बहुत सारी योजनाएं चलाती है, लेकिन इसका कोई फायदा देखने को नहीं मिल रहा है। युवा लगातार जुर्म की अंधेरी दुनिया में प्रवेश कर रहे हैं।
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