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पद्मविभूषण रतन टाटा का स्वर्गवास से देश को एक बड़ी क्षति पहुंची है। वह एक महान उद्योगपति और समाज सेवक थे जिन्होंने टाटा ग्रुप को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया और समाज के लिए कई महत्वपूर्ण योगदान दिए। मुंबई में जन्मे पद्मविभूषण रतन टाटा ने शुरुआती शिक्षा मुंबई से ही पूरी की। इसके बाद वह आगे की पढ़ाई के लिए शिमला के बिशप कॉटन स्कूल चले गए।

शिमला। देश के प्रसिद्ध उद्योगपति और पद्मभूषण से सम्मानित टाटा ग्रुप के चेयरमैन रतन टाटा का स्वर्गवास हो गया है। इस खबर से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है। उन्होंने बुधवार देर रात मुंबई के ब्रींच कैंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली।

देश के मशहूर उद्योगपति पद्मविभूषण रतन टाटा को दो सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्मभूषण और पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया। पद्मविभूषण रतन टाटा का जन्म 1937 में बॉम्बे (अब मुंबई) में हुआ। उनकी शुरुआती शिक्षा मुंबई के कैंपियन स्कूल में हुई। हालांकि, यहां वह 8वीं कक्षा तक ही पढ़े। इसके बाद की पढ़ाई उन्होंने शिमला के एक स्कूल में की।

शिमला में कहां पढ़े पद्मविभूषण रतन टाटा

पद्मविभूषण रतन टाटा ने आगे की पढ़ाई के लिए शिमला में मौजूद बिशप कॉटन स्कूल को चुना। खास बात है कि यह स्कूल न केवल देश में बल्कि पूरे एशिया महाद्वीप में सबसे बड़े स्कूलों में शुमार है। यह देश का पहला पब्लिक स्कूल था, जिसकी स्थापना सन् 1859 में जॉर्ज एडवर्ड लिंच कॉटन ने की थी। जॉर्ज कॉटन वेस्टमिंस्टर स्कूल में स्कॉलर थे और कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट थे।

बिशन कॉटन स्कूल का कॉम्पलैक्स शिमला से करीब 4 किलोमीटर दूर 35 एकड़ मे मौजूद है। यहां क्रिकेट, टेनिस, रॉकी, टेबल टेनिस, जिमनास्टिक, स्क्वैश, हॉकी और बॉक्सिंग सहित कई खेल खेलने की भी सुविधा है।

वहीं, मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने एक्स पर पद्मविभूषण रतन टाटा के स्वर्गवास पर दुख जताया है। उन्होंने लिखा, देश के प्रतिष्ठित उद्योगपति एवं समाज सेवी रतन टाटा जी के निधन की खबर अत्यंत दुखद है। उद्योग जगत में उनके अमूल्य योगदान को सदैव याद किया जाएगा। ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें और उनके परिवार को इस असीम दुख को सहने की शक्ति प्रदान करें।

नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने भी पद्मविभूषण रतन टाटा के स्वर्गवास पर शोक प्रकट किया। उन्होंने लिखा भारत के महान सपूत श्री रतन नवल टाटा जी के निधन की खबर से स्तब्ध हूं। देश के रत्न रतन टाटा जी का महाप्रयाण एक अपूरणीय क्षति है। ईश्वर उनकी आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें। स्वर्गीय रतन टाटा जी ने देश, समाज और मानवता की सेवा के लिए जो कार्य किया वह अद्वितीय है। उनका व्यक्तित्व भावी पीढ़ियों को भी प्रेरित करता रहेगा।

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