हरियाणा में विधानसभा चुनाव के नतीजे कुछ ही घंटों में आ जाएंगे। इस समय सभी की नजर एक तरफ जहां नायब सैनी और पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सीटों पर हैं तो वहीं प्रदेश के तीन लालों पर भी है। कई सीटों पर मुकाबला काफी रोचक हो गया है। इसके अलावा आठ वारिस ऐसे भी हैं जो अपने दम पर मैदान में हैं।
चंडीगढ़। हरियाणा में विधानसभा चुनाव के नतीजे तीन राजनीतिक 'लाल' परिवारों की राजनीतिक दिशा और दशा तय करेंगे। 15वीं विधानसभा के लिए हुए चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी बंसी लाल और चौधरी भजन लाल के वारिस भाजपा और कांग्रेस के भरोसे हैं तो पूर्व उपप्रधानमंत्री चौधरी देवी लाल के आठ वारिस अपने दम पर चुनावी रण में हैं।
भिवानी में तोशाम विधानसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की प्रत्याशी और स्वर्गीय बंसी लाल की पौत्री श्रुति चौधरी (सांसद किरण चौधरी की बेटी) जीतें या पौत्र अनिरुद्ध चौधरी (कांग्रेस), विधानसभा में बंसी लाल परिवार की एंट्री तय है।
हालांकि, यहां भाजपा से बागी होकर चुनाव लड़े पूर्व विधायक शशि रंजन परमार ने मुकाबले को त्रिकोणीय बनाया हुआ है, लेकिन उनकी जीत की संभावनाएं कम हैं।
भजन परिवार का 56 साल से गढ़ आदमपुर
उधर, पंचकूला में स्वर्गीय भजन लाल के बेटे और पूर्व उपमुख्यमंत्री चंद्रमोहन बिश्नोई (कांग्रेस) तो हिसार के आदमपुर में पौत्र भव्य बिश्नोई (भाजपा) और फतेहाबाद में भतीजे दूड़ा राम (भाजपा) की परीक्षा है। आदमपुर में 56 साल से भजन परिवार जीतता आ रहा है, लेकिन इस बार रिटायर्ड आइएएस चंद्र प्रकाश (कांग्रेस) से मिल रही कड़ी चुनौती के चलते भव्य की राह आसान नहीं।
रानियां में चाचा-भतीजे के बीच मुकाबला
हालांकि, पंचकूला में चंद्रमोहन बिश्नोई पूर्व विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता (भाजपा) पर भारी पड़ते दिख रहे हैं। फतेहाबाद में दूड़ाराम (भाजपा) की कांग्रेस के बलवान दौलतपुरिया के साथ टक्कर है। स्वर्गीय ताऊ देवी लाल परिवार की बात करें तो सिरसा के रानियां में निर्दलीय चुनाव लड़ रहे रणजीत सिंह चौटाला अपने ही छोटे भाई एवं पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के पौत्र और इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) प्रत्याशी अर्जुन चौटाला और कांग्रेस प्रत्याशी सर्वमित्र कांबोज के साथ त्रिकोणीय मुकाबले में फंसे हुए हैं।
उचाना को बचाना दुष्यंत के लिए बना साख
इनेलो को तोड़कर जननायक जनता पार्टी (जजपा) बनाने वाले पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला की जींद के उचाना में राह आसान नहीं। यहां उन पर पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह के बेटे और पूर्व सांसद बृजेंद्र सिंह (कांग्रेस) भारी पड़ रहे हैं। डबवाली में दिग्विजय सिंह चौटाला (जजपा) का अपने ही चाचा आदित्य चौटाला (इनेलो) और भाई अमित सिहाग (कांग्रेस) से त्रिकोणीय मुकाबला है।
इनेलो सुप्रीमो ओम प्रकाश चौटाला के बेटे अभय सिंह चौटाला ऐलनाबाद और बहू सुनैना चौटाला (इनेलो) फतेहाबाद में त्रिकोणीय मुकाबले में उलझे हुए हैं।
छह सांसदों और तीन पूर्व मंत्रियों के वारिसों का भविष्य होगा तय
विधानसभा चुनाव के नतीजे छह सांसदों और तीन पूर्व मंत्रियों के वारिसों का राजनीतिक भविष्य भी तय करेंगे, जो पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं। केंद्रीय राज्य मंत्री और गुड़गांव के सांसद राव इंद्रजीत की बेटी आरती राव का महेंद्रगढ़ के अटेली में कांग्रेस की अनीता यादव से मुकाबला है।
मैदान में रणदीप सुरजेवाला के बेटे आदित्य
इसी तरह कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और राज्यसभा सदस्य रणदीप सिंह सुरजेवाला के बेटे आदित्य सुरजेवाला की कैथल में भाजपा विधायक लीलाराम गुर्जर और हिसार के सांसद जयप्रकाश जेपी के बेटे विकास सहारण (कांग्रेस) की कलायत में पूर्व मंत्री कमलेश ढांडा (भाजपा) और इनेलो प्रदेशाध्यक्ष रामपाल माजरा से टक्कर है।
हिसार में बीजेपी पर भारी पड़ सकती हैं सावित्री जिंदल
अंबाला के कांग्रेस सांसद वरुण मुलाना की पत्नी पूजा चौधरी को मुलाना में भाजपा की संतोष सारवान तथा राज्यसभा सदस्य कार्तिकेय शर्मा की माता शक्ति रानी शर्मा को कालका में कांग्रेस विधायक प्रदीप चौधरी से कड़ी चुनौती मिल रही है। कुरुक्षेत्र के भाजपा सांसद नवीन जिंदल की माता सावित्री जिंदल हिसार में भाजपा के कार्यवाहक मंत्री डॉ. कमल गुप्ता पर भारी पड़ रही हैं।
पूर्व मंत्रियों में चौधरी निर्मल सिंह की बेटी चित्रा सरवारा (निर्दलीय) अंबाला कैंट में पूर्व मंत्री अनिल विज (भाजपा), आनंद सिंह दांगी के बेटे बलराम दांगी (कांग्रेस) रोहतक के महम में निर्दलीय बलराज कुंडू और भारतीय कबड्डी टीम के पूर्व कप्तान दीपक हुड्डा के साथ कड़े मुकाबले में फंसे हैं। पूर्व मंत्री सतपाल सांगवान के बेटे सुनील सांगवान (भाजपा) की दादरी में राह आसान नहीं
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