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धार्मिक मत है कि जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही जीवन में खुशियों का आगमन होता है। साधक नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की भक्ति भाव से पूजा करते हैं। इस अवसर पर नवरात्र के नौ दिन विशेष उपाय भी किए जाते हैं।

शारदीय नवरात्र की शुरुआत हो चुकी है। इस दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। वहीं, नवरात्र के दूसरे दिन मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की विधिपूर्वक पूजा की जाती है। साथ ही मां ब्रह्मचारिणी के निमित्त नवरात्र के दूसरे दिन व्रत रखा जाता है। सनातन शास्त्रों में मां दुर्गा की महिमा का गुणगान किया गया है। मां अपने भक्तों पर विशेष कृपा बरसाती हैं। उनकी कृपा से साधक को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही जीवन में व्याप्त दुख एवं संकट दूर हो जाते हैं। ज्योतिषियों की मानें तो नवरात्रि के दूसरे दिन दुर्लभ शिववास योग समेत कई मंगलकारी संयोग बन रहे हैं। इन योग में मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होगी। आइए, शुभ योग और मुहूर्त जानते हैं-

शुभ मुहूर्त

वैदिक पंचांग के अनुसार, शारदीय नवरात्र की द्वितीया तिथि 04 अक्टूबर को रात 02 बजकर 59 मिनट से शुरू होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 05 अक्टूबर को सुबह 05 बजकर 30 मिनट पर होगा। इसके पश्चात, तृतीया तिथि प्रारंभ होगी। इस प्रकार शारदीय नवरात्र के दूसरे दिन द्वितीया तिथि दिन भर है।

शिववास योग 

शारदीय नवरात्र के दूसरे दिन दुर्लभ शिववास योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का संयोग दिनभर है। वहीं, शिववास योग का समापन 05 अक्टूबर को सुबह 05 बजकर 30 मिनट पर होगा। इस दौरान देवों के देव महादेव कैलाश पर जगत की देवी मां महागौरी के साथ विराजमान रहेंगे। शिववास योग में शिव-शक्ति की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। इसके साथ ही सुख, समृद्धि और आय (Navratri Shivvas Yog Upay) में वृद्धि होती है।

करण

शारदीय नवरात्र की द्वितीया तिथि पर बालव और कौलव करण का निर्माण हो रहा है। ज्योतिष कौलव और बालव करण को शुभ मानते हैं। इसके साथ ही दूसरे दिन चित्रा नक्षत्र का भी संयोग बन रहा है। इन योग में पूजा करने से मां की कृपा साधक पर अवश्य ही बरसेगी।

पंचांग

सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 16 मिनट पर

सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 47 मिनट पर

चन्द्रोदय- सुबह 07 बजकर 25 मिनट पर  

चन्द्रास्त - शाम 06 बजकर 47 मिनट पर

ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 38 मिनट से 05 बजकर 27 मिनट तक

विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 07 मिनट से 02 बजकर 55 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 03 मिनट से 06 बजकर 28 बजे तक

निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 45 मिनट से 12 बजकर 34 मिनट तक

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