बिहार में आज से जन सुराज अभियान राजनीतिक दल में तब्दील हो गया है। प्रशांत किशोर इसके सूत्रधार हैं लेकिन फिलहाल उन्होंने कोई पद नहीं लिया है। बिहार में नए राजनीतिक दल के लिए उत्सुकता है खासकर प्रशांत किशोर के व्यक्तित्व के कारण। अब जनसुराज पार्टी आने वाले विधानसभा चुनाव में दूसरे दलों को चुनौती दे सकती है।
पटना। अब तक एक अभियान रहा जन सुराज गांधी जयंती पर बुधवार को राजनीतिक दल के स्वरूप में परिवर्तित हो गया है। पटना का वेटनरी कॉलेज का परिसर इसका साक्षी बना। प्रशांत किशोर ने मंच से जन सुराज पार्टी की घोषणा की।
मंच पर लोगों को संबोधित करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि पिछले 2-3 सालों से जन सुराज अभियान चल रहा है। लोग पूछ रहे थे कि दल कब बनेगा तो इसको लेकर आज हम सभी जुटे हैं। अब चुनाव आयोग द्वारा जन सुराज अभियान को पार्टी के रूप में स्वीकार कर लिया गया है।
पार्टी की घोषणा के बाद प्रशांत किशोर ने लोगों से एक सवाल भी पूछा। उन्होंने पूछा कि 'जन सुराज' नाम ठीक है? केवल चुनाव आयोग के पास करने से नहीं होगा, अगर आपको नाम पसंद नहीं आएगा तो हम फिर से चुनाव आयोग में दूसरे नाम के लिए प्रयास करेंगे।
जन सुराज स्थापना अधिवेशन में पार्टी के कार्यवाहक अध्यक्ष मधुबनी के रहने वाले मनोज भारती बने। उन्होंने नेतरहाट से पढ़ाई की है। IIT कानपुर में भी उन्होंने शिक्षा ग्रहण की है। इसके अलावा, IIT दिल्ली से M.Tech किया है। फिर IFS बनकर वह दुनिया के कई देशों में भारत के एम्बेसडर रहे।
उल्लेखनीय है कि दो वर्ष पहले गांधी जयंती पर ही पश्चिम चंपारण जिला में भितिहरवा से जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर (पीके) ने पदयात्रा की शुरुआत की थी।
आधिकारिक दावा है कि एक करोड़ संस्थापक सदस्य मिलकर जन सुराज का गठन कर रहे। सफलता-विफलता का आकलन बाद में, अभी राजनीति के पुस्तक मेंं एक नया अध्याय जुड़ रहा है।
संचालन समिति में 25 सदस्य होंगे
पार्टी के संदर्भ में किसी भी निर्णय के लिए अधिकृत संचालन समिति में 25 सदस्य होंगे। इस घोषणा के साथ संविधान समिति भी घोषित हो सकती है, जो राजनीतिक दल के रूप में जन सुराज का संविधान तैयार करेगी।\
बहरहाल स्थापना सम्मेलन में सहभागिता के लिए पूरे बिहार से समर्थकों, कार्यकर्ताओं और नेताओं का जुटान होना है। इसके लिए पिछले कई दिनों से वेटनरी कालेज परिसर में तैयारी चल रही थी। वहां हजारों लोगों के बैठने और खाने-पीने की व्यवस्था हुई है। पूरे पटना में जन सुराज के होर्डिंग्स टंग चुके हैं।
पीके के समर्थकों ने जेपी गंगा पथ पर भोजन के लिए डेरा डाला
प्रशांत किशोर की रैली में शामिल होने आए लोग जेपी गंगा पथ पर भोजन के लिए डेरा डाल दिया है। रैली में आने वाले गाड़ियों को हटाने के लिए ट्रैफिक पुलिस पहुंच चुकी है।
बनते-बिगड़ते रहे दलों के दौर में बिहार को मिल रहा जन सुराज
बिहार का मिजाज तो वैसे भी फिरंट रहता है। बारंबार के पुराने प्रयोगों से वह बिदक जाता है तो नए दावे से मुंह फेर लेने में भी नहीं हिचकता। इसका प्रमाण पिछले वर्षों में बनते-बिगड़ते रहे राजनीतिक दल हैं। अब बारी जन सुराज की है, जो अब अभियान का चोला उतार राजनीतिक दल की काया में समा रहा है।
बिहार के लिए इसे एकमात्र विकल्प बता रहे सूत्रधार प्रशांत किशोर (पीके) का दावा है कि इसकी रीति-नीति राजनीति को जिम्मेदार बनाने वाली होगी। इसी आधार पर जन सुराज की सफलता और स्थायित्व का दावा है।
पिछले दो दशक में बिहार में लगभग एक दर्जन राजनीतिक दल अस्तित्व में आए। इनमें से सर्वाधिक चार पार्टियों का गठन तो अकेले उपेंद्र कुशवाहा ने कर दिया।
- Log in to post comments